हेल्थ
डिजिटल डॉक्टर पर भरोसा कर रहे लोग
नई दिल्ली| स्मार्टफोन और इंटरनेट के आने वाले युग में संभव है कि लोग सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं के लिए चिकित्सक के पास जाएं ही नहीं, बल्कि अपने घरेलू चिकित्सक से घर बैठे इंटरनेट पर ही उन समस्याओं का निदान पा लें। एक सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि 49 फीसदी इंटरनेट उपयोगकर्ता स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इंटरनेट की मदद लेने लगे हैं। मौजूदा आंकड़ों पर गौर करें तो देश के 49 फीसदी इंटरनेट उपयोगकर्ता वास्तव में स्वास्थ्य समस्याओं के लिए इंटरनेट को तरजीह देने लगे हैं। इनसाइट्स ऑन इंडियन सर्चिग हेल्थ इनफॉर्मेशन ऑनलाइन सर्वे यानि इंडिया हेल्थ ऑनलाइन सर्वे में ये बातें सामने आई हैं।
इस सर्वे को हेल्थ इंजिनीयरिंग कंपनी ‘वाया मीडिया हेल्थ’ ने आयोजित किया, जिसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए।
सर्वेक्षण के अनुसार, “सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़े पेशेवर लोग सेहत से जुड़ी जानकारियां चाहते हैं और पुरुषों की स्वास्थ्य समस्याओं एवं उपचार के बारे में इंटरनेट से जानकरी इकट्ठी करने में अधिक उत्सुक हैं। कम आय वर्ग के लोगों की सेहत से जुड़ी जानकारियां प्राप्त करने के लिए इंटरनेट पर निर्भरता और विश्वास ज्यादा है।”
सर्वे के अनुसार, “इंटरनेट के जरिए स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां पाने वाले 44 प्रतिशत लोग 26 से 35 आयु वर्ग के हैं। 29 प्रतिशत लोग 18-25 आयु वर्ग के और 36-45 आयु वर्ग के 15 प्रतिशत और 46-55 आयु वर्ग के 12 प्रतिशत लोग हैं। इंटरनेट के जरिए स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारियां तलाश करने वालों में 80 प्रतिशत पुरुष हैं।”
आय वर्ग की बात की जाए तो 25,000 रुपये या इससे कम मासिक आय वाले लोगों द्वारा स्वास्थ्य सूचनाएं एकत्रित करने वालों का प्रतिशत (27) सर्वाधिक है, जबकि एक लाख रुपये मासिक आय वाले मात्र 10 प्रतिशत लोगों ने ही इंटरनेट के जरिए स्वास्थ्य समस्याओं की जानकारी ली।
वाया मीडिया हेल्थ के स्वास्थ्य प्रमुख प्रितेश कौल के अनुसार, “इससे यह जाहिर होता है कि स्वास्थ्य पर कम खर्च करने वालों के लिए पहले स्रोत के रूप में इंटरनेट तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। ऑनलाइन स्वास्थ्य समस्या का निदान चाहने वाले उपभोक्ताओं के लिए इंटरनेट को अधिक प्रासंगिक बनाने की रणनीति में ये तथ्य काफी उपयोगी साबित हो सकता है।”
सर्वे के अनुसार, 53 फीसदी लोगों ने व्यायाम और फिटनेस से जुड़ी, जबकि 48 प्रतिशत लोगों ने स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी जानकारियां लीं। सबसे रोचक तथ्य यह है कि 94 प्रतिशत लोगों ने मोबाइल के जरिए स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान इंटरनेट पर ढूंढ़े।
इस सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि 90 प्रतिशत लोगों ने इंटरनेट से मिली जानकारियों पर विश्वास जताया है, हालांकि जानकारी की पुष्टि के लिए उन्हें अपने पारिवारिक चिकित्सक से जरूर सलाह ली।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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