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प्रादेशिक

डेंगू प्रकोप : केंद्र, दिल्ली सरकार को कोर्ट का नोटिस

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नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए सोमवार को केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। याचिका में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार व दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर डेंगू के नियंत्रण के लिए सतर्कता व जिम्मेदारीपूर्वक कार्रवाई न करने का आरोप लगाया गया है। राष्ट्रीय राजधानी में डेंगू के बढ़ते मामलों व मौतों के मद्देनजर कांग्रेस नेता अजय माकन ने पीआईएल दायर किया था।

न्यायाधीश जी.रोहिनी व न्यायाधीश जयंत नाथ की एक खंडपीठ ने मामले में 24 सितंबर तक केंद्र, दिल्ली सरकार व एमसीडी से जवाब मांगा है और याचिका को इसी तरह के अन्य मामलों के साथ संबद्ध कर दिया है। याचिका में माकन ने कहा कि दिल्ली सरकार जागरूकता अभियानों के लिए पहल करने में नाकाम रही है और वह नींद से तब जागी, जब डेंगू से लोगों की मौत के मामले सामने आने लगे, जबकि यह एक जानलेवा बीमारी नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने मलेरिया व डेंगू नियंत्रण कार्यक्रमों के लिए लगभग 81 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। हालांकि उसने एमसीडी को फंड जारी कराने की जहमत नहीं उठाई। डेंगू प्रकोप के नियंत्रण में नाकामी के लिए फंड की कमी का बहाना बनाते हुए इन एजेंसियों ने आम जन को पूरी तरह असहाय अवस्था में छोड़ दिया।

याचिका के मुताबिक, “डेंगू के अप्रत्याशित रूप से फैलने और शहर में लोगों के बिगड़ते स्वास्थ्य पर नियंत्रण व मुद्दे के समाधान में दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार व एमसीडी के बीच समन्वय व तैयारी की कमी है।” याचिका में कहा गया है कि न्यायालय को शहर के सभी अस्पतालों (निजी व सरकारी) को आर्थिक स्थिति या किसी अन्य कारणों से मरीजों को भर्ती करने से इनकार नहीं करने का निर्देश देना चाहिए और अस्पतालों द्वारा दुर्व्यवहार करने या मरीजों को भर्ती करने से इंकार करने पर उन पर भारी जुर्माना लगाया जाना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया है कि न्यायालय को एमसीडी को संबंधित इलाकों में मच्छरों की तादाद बढ़ने से रोकने के लिए विशेष धूम्रीकरण व स्वच्छता अभियान चलाने का निर्देश देना चाहिए। साथ ही यह भी कहा गया कि केंद्र सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में केंद्रीय पूल से चिकित्सकों की तैनाती करने का निर्देश देना चाहिए। विभिन्न पीआईएल की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने केंद्र, दिल्ली सरकार से डेंगू पर नियंत्रण को लेकर किए जा रहे उपायों पर 24 सितंबर को स्थिति रपट की मांग की थी।

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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