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तरक्की की जंग में ट्रेन बनी पैमाना
मोदी सरकार के गठन के बाद पिछले एक साल से देश बुलेट ट्रेन का सपना देख रहा है लेकिन वर्तमान में एक ही दिन मीडिया में छाई दो खबरों ने अनायास ही सबका ध्यान आकर्षित किया है। पहली खबर जापान की थी, जिसमें सेंट्रल जापान रेलवे की हाई स्पीड ट्रेन ने तेज रफ्तार का अपना ही पिछला कीर्तिमान तोड़ दिया। यह ट्रेन 603 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ी। दूसरी खबर भारत की थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के यार्ड में दो राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों के छह डिब्बे आग लगने से क्षतिग्रस्त हो गए। ये दोनों ट्रेनें यात्रियों को उतारने के बाद यार्ड में खड़ी थीं, इसलिए जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ।
इन दोनों घटनाओं का आपस में कोई जुड़ाव नहीं है लेकिन अनायास ही एशिया के दो शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों के बीच का अंतर पहाड़ सरीखा मालूम पड़ने लगता है। इस प्रतिस्पर्धा में अगर चीन को जोड़ लिया जाए तो तरक्की की नई परिभाषा गढ़ने की जरूरत पड़ेगी। अभी कुछ ही दिन पहले चीन ने माउंट एवरेस्ट के नीचे से ट्रेन गुजारकर तिब्बत से नेपाल के बीच 540 किलोमीटर लंबा रेलमार्ग बनाने की घोषणा की थी। यह ट्रैक एवरेस्ट के नीचे एक सुरंग से होकर गुजरेगा और इसके वर्ष 2020 तक पूरा हो जाने की संभावना है। चीन में ही पिछले साल दिसम्बर में देश को सीधे स्पेन से जोड़ने वाली पहली मालगाड़ी का ट्रायल रन किया गया। चीन के जिंस बाजार केंद्र यिवू से स्पेन के मेड्रिड तक के सफर में 64 डिब्बों वाली यह मालगाड़ी छह देशों कजाकिस्तान, रूस, बेलारूस, पोलैंड, जर्मनी और फ्रांस से होकर गुजरी। इस दौरान मालगाड़ी ने 13 हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तय की और 21 दिनों की यात्रा की। स्पेन की पब्लिक वर्क्स मिनिस्ट्री का कहना है कि ट्रेन द्वारा जिस सामान को भेजा गया यदि उसे जहाज से भेजा जाता तो यात्रा में 10 दिन अधिक लगते। अब दोनों राष्ट्र नियमित रूप से रेल सेवा आरंभ करने की योजना बना रहे हैं। फिलहाल यह नया रूट दुनिया का सबसे लंबा रूट है। यह रूट रूस की चीन के साथ सीमा के समीप मॉस्को से व्लादिवोस्तोक को जोड़ने वाली विश्वचर्चित ट्रांस साइबेरियन रेलवे से भी अधिक लंबा है।
चीन ने बुलेट ट्रेन को भी महज कुछ सालों में दुनिया के सामने कामयाबी के उदाहरण के तौर पर कायम किया है। चीन वर्तमान में साढ़े तीन सौ से चार सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन दौड़ा रहा है। 18 अप्रैल, 2007 में चीन ने पहली हाई स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन दौड़ाई थी लेकिन उसके बाद उसने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। आज चीन के पास 11 हजार किलोमीटर से ज्यादा का बुलेट ट्रेन नेटवर्क है। यही नहीं चीन ने दुनिया की सबसे लंबी बुलेट ट्रेन ट्रैक बिछाने का काम भी किया है। बीजिंग से शेनजेंग तक ये ट्रैक 2400 किलोमीटर लंबा है। फिलहाल 2400 किलोमीटर का ये ट्रैक हांगकांग की सीमा को छूता है, लेकिन योजना के मुताबिक चीन इसे इस साल हांगकांग में ले जाएगा। पूरे चीन में इस वक्त तकरीबन 2660 बुलेट ट्रेने दौड़ रही हैं ये देश के 100 शहरों को एक दूसरे से जोड़ती हैं। इसमें रोजाना 20 लाख लोग सफर करते हैं।
वहीं भारत में दिल्ली से आगरा के बीच सेमी हाईस्पीड गतिमान एक्सप्रेस ट्रेन का काम अब भी अटका पड़ा है। गतिमान एक्सप्रेस चलाने के लिए पिछले साल के अंत में कई ट्रायल किए गए। इसके बाद ट्रैक और रोलिंग स्टॉक को 160 किलोमीटर की रफ्तार के उपयुक्त बताया गया था। लेकिन संरक्षा आयुक्त के एतराज के बाद पूरी योजना फिलहाल ठंडे बस्ते में चली गई है। संरक्षा आयुक्त ने इस रेलखंड को 160 किलोमीटर प्रति घंटा रफ्तार वाली ट्रेन के लिए फिलहाल असुरक्षित बताया है। आयुक्त का कहना है कि इस ट्रैक के दोनों ओर बसे गांवों और कस्बों के लोग जगह-जगह ट्रैक को पार करते हैं। इसके अलावा दोनों ओर खेत होने से जानवरों के ट्रैक पर कूदने का खतरा भी हरदम बना रहता है। लिहाजा जब तक संवेदनशील स्थानों पर ट्रैक के दोनों ओर कंटीली बाड़ नहीं लगा दी जाती, इस पर सेमी हाईस्पीड ट्रेन चलाना खतरे से खाली नहीं है। देश में बुलेट ट्रेन चलाने के बारे में बारे में रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने इस साल के रेलबजट में कहा कि हम अत्यंत जोश के साथ मुम्बई और अहमदाबाद के बीच उच्च रफ्तार की रेल गाड़ियों को चलाने जैसी विशेष परियोजनाओं को जारी रखेंगे। इसके लिए व्यवहारिकता अध्ययन रिपोर्ट इस वर्ष के मध्य तक प्राप्त हो जाएगी और इसके आधार पर काम किया जाएगा। कुल मिलाकर 10 महीनों बाद भी बुलेट ट्रेन सपनों से आगे नहीं बढ़ पाई है।
यह आंकड़े साफ बता रहे हैं कि वर्तमान परिदृश्य में हम कहां पर हैं और हमारे प्रतिस्पर्धी कहां पर पहुंच रहे हैं। तकनीक के साथ एक बहुत बड़ी धनराशि भी ट्रेनों के विकास के लिए जरूरी है। दुर्घटनाओं पर रोक न लगना, नए ट्रैक स्थापित न होना, किराया सस्ता रखने की बाध्यता कुछ ऐसे कारण हैं जो हमारी ट्रेन को विश्व परिदृश्य पर स्थान बनाने से रोकते हैं। हमें इन चुनौतियों पर जीत हासिल करनी होगी क्योंकि किसी भी राष्ट्र के विकास का स्वरूप उसकी ट्रेनों की तरक्की देखकर आसानी से आंका जा सकता है। हमें इस दौड़ में पिछड़ना नहीं है।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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