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त्रिपुरा : जनजातीय या पूर्व कांग्रेसी, किसके सिर सजेगा ताज?

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नई दिल्ली, 4 मार्च (आईएएनएस)| त्रिपुरा में शून्य से सत्ता के शिखर पर पहुंचने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) यहां मुख्यमंत्री का ताज किसे सौंपेगी यह अभी तय नहीं है। हालांकि, मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लव देव का नाम सबसे आगे चल रहा है, लेकिन त्रिपुरा की राजनीति को समझने वालों का मानना है कि भाजपा यहां भी कोई चौंकाने वाला फैसला ले सकती है।

त्रिपुरा केंद्रीय विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर गौतम चकमा का कहना है कि मुख्यमंत्री पद की लालसा कई लोग अपने मन में दबाए हुए हैं।

उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले यह भी चर्चा थी कि भाजपा यहां किसी आदिवासी (जनजाति) नेता को मुख्यमंत्री की कमान सौंप सकती है क्योंकि स्थानीय दल इंडीजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के साथ गठबंधन से जनतातियों का झुकाव भाजपा की ओर देखा जा रहा था। जाहिर सी बात है कि जनजातियों का भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन को भारी समर्थन मिला और जहां इस गठबंधन के दोनों दलों में किसी का पिछले विधानसभा चुनाव में खाता भी नहीं खुला था, वहां इस चुनाव में 43 सीटों पर इनका कब्जा हो गया है।

चकमा ने कहा, जनजाति समुदाय से जिश्नु देवबर्मन और रामपदा जमातिया मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हो सकते हैं। भाजपा की इस जीत में जनजातियों का काफी योगदान है, जिसका पुरस्कार दिया जा सकता है।

चकमा ने इसके पीछे एक और तर्क दिया। त्रिपुरा में जनजाति बहुल क्षेत्र को मिलाकर अलग राज्य की मांग की जा रही है, जिसपर भाजपा ने अपने सहयोगी से वादा भी किया है, लेकिन इस मांग को पूरा करना भाजपा के लिए आसान भी नहीं है। ऐसे में उनके हाथों कमान सौंपकर पृथक राज्य की मांग दबाने की कोशिश की जा सकती है। सरकार चाहेगी कि अलग राज्य के बजाय त्रिपुरा ट्राईबल एरिया ऑटोनोमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल को मजबूत करने के अपने वादे को जरूर पूरा करे।

चकमा के मुताबिक, कांग्रेस से तृणमूल और फिर भाजपा में शामिल हुए नेताओं की महत्वाकांक्षा कम नहीं होगी। उनका यह भी दावा है कि उनके भाजपा का दामन थामने से पहले पार्टी का कोई खास अस्तित्व नहीं था क्योंकि इसके एक भी विधायक नहीं थे। पूर्व कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा को यहां मजबूती दी, जिसकी बदौलत कांग्रेस हाशिए पर चली गई और भाजपा सबसे बड़े विजेता दल के रूप में उभरकर आई है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय मीडिया में चुनाव के नतीजे आने के तुरंत बाद से ही बताया जा रहा है कि बिप्लव देव प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक (आएसएस) से जुड़ाव रहा है। ऐसे में उनकी दावेदारी मजबूत है और भाजपा में उनके आगे कोई और चेहरा अभी उभरकर नहीं आया है।

उधर, केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी त्रिपुरा पहुंच गए हैं और मुख्यमंत्री पद के लिए लिए नामों की घोषणा जल्द ही होने वाली है।

60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा की 59 सीटों पर 18 फरवरी को हुए मतदान के बाद शनिवार को आए चुनाव के नतीजों में भाजपा को 35 और आईपीएफटी को आठ सीटें मिली हैं, जबकि 16 सीटें 25 साल से प्रदेश की सत्ता में काबिज रही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को मिली है।

जनजातीय सुरक्षित सीट चारीलम में 12 मार्च को मतदान होगा। यहां माकपा उम्मीदवार नारायण देबबर्मा का निधन हो जाने से मतदान नहीं हो पाया था।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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