उत्तराखंड
त्रिवेंद्र रावत बने उत्तराखंड के सीएम, नौ मंत्रियों ने ली शपथ
देहरादून। राष्ट्रीय स्यंवसेवक संघ (आरएसएस) के लंबे समय से कार्यकर्ता रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शनिवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। रावत उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री बने हैं।
राज्यपाल कृष्णकांत पॉल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में रावत को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, जे. पी. नड्डा और उमा भारती के अलावा पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता हरीश रावत भी मौजूद थे।
रावत के साथ नौ मंत्रियों ने भी शपथ ली। इनमें सात कैबिनेट स्तर के और दो राज्यमंत्री हैं। कैबिनेट मंत्रियों में सतपाल महाराज, मदन कौशिक, यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, प्रकाश पंत, सुबोध उनियाल और प्रवीण पांडे शामिल हैं।
जबकि राज्य मंत्रियों में धन सिंह रावत और रेखा आर्य शामिल हैं। संयोग से मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अधिकांश मंत्री कांग्रेस छोडक़र आए हुए हैं। हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, सुबोध उनियाल और रेखा आर्य इसी वर्ष विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं सतपाल महाराज ने 2014 में ही भाजपा का दामन थाम लिया था।
त्रिवेंद्र रावत के शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह सहित कई वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। त्रिवेंद्र सिंह रावत 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड राज्य के नौवें मुख्यमंत्री बने हैं। मोदी के पूर्व सहयोगी रहे रावत उत्तराखंड में इससे पहले सत्ता में रही भाजपा सरकार में कृषि मंत्री रह चुके हैं।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद मोदी और शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि रावत सरकार उत्तराखंड में विकास लाएगी। मोदी ने कहा, “उत्तराखंड सरकार राज्य के लोगों द्वारा व्यक्त किए गए लगाव के बदले रिकॉर्ड विकास करेगी।”
वहीं शाह ने कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि राज्य की यह भाजपा सरकार मोदी सरकार की जन-कल्याण की योजनाओं को राज्य के हर नागरिक के दरवाजे तक पहुंचाएगी और राज्य में प्रगति एवं विकास के नए मानक स्थापित करेगी।”
इतिहास से परास्नातक एवं पत्रकारिता में डिप्लोमा रावत 19 वर्ष की आयु में छात्र-जीवन से ही आरएसएस में शामिल हुए थे। आरएसएस में वह धीरे-धीरे ऊंचे पदों पर आसीन हुए। आरएसएस प्रचारक के रूप में सेवाएं देते-देते रावत 1990 में देहरादून इकाई के अध्यक्ष बन गए।
वह 1997 में अविभाजित उत्तर प्रदेश में भाजपा के महासचिव नियुक्त किए गए तथा गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों में पार्टी काडर बनाने में अहम योगदान दिया। सरकार में रहते हुए रावत विवाद में भी घसीटे गए। कृषि मंत्री रहते हुए रावत का नाम करोड़ों रुपये के ‘बीज घोटाले’ में सामने आया।
रावत ने दोइवाला सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी हीरा सिंह बिष्ट को 24,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया है और पार्टी के अंदर उन्हें सांगठनिक कुशलता के लिए जाना जाता है। भाजपा ने नित्यानंद स्वामी के नेतृत्व में 2000 में राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी, और इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 70 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटें हासिल की हैं। रावत राज्य में भाजपा के पांचवें मुख्यमंत्री हैं।
उत्तराखंड
चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद
हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।
50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध
उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।
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