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मुख्य समाचार

दक्षिण कोरिया, जापान के बीच वार्ता में तेजी लाने पर सहमति

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सियोल। दक्षिण कोरिया की राष्ट्रपति पार्क ग्युन हे और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे के बीच युद्धकाल के दौरान कोरियाई महिलाओं को जबरन यौन दासता के लिए मजबूर करने के मुद्दे पर बातचीत आगे बढ़ाने पर सहमति बनी। पार्क के कार्यालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच इस मुद्दे पर जल्द से जल्द संभावित तिथि पर वार्ता की सहमति बनी है।

राष्ट्रपति पार्क के विदेशी मामलों के वरिष्ठ सचिव किम क्यू हयून ने संवाददाताओं को बताया कि इस साल दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के सामान्य होने की 50वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक मौके को ध्यान में रखते हुए दोनों नेताओं के बीच यह सहमति बनी।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कार्यालय ब्लू हाउस में पार्क और अबे की द्विपक्षीय मुलाकात हुई। दोनों नेताओं की यह मुलाकात सियोल में रविवार को हुए त्रिपक्षीय सम्मेलन से इतर हुई है, जिसमें पार्क और अबे के साथ-साथ चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने भी शिरकत की।

पार्क और अबे के बीच बनी इस सहमति को दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के रूप में देखा जा रहा है।

दक्षिण कोरिया ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जापान के सैन्य वेश्यालयों में यौनकर्मी के रूप में जबरन धकेली गईं कोरियाई किशोरियों और लड़कियों के मुद्दे पर अबे से माफी मांगने को कहा। साथ ही इस मामले में उचित हर्जाने की भी मांग की।

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान सैन्य वेश्यालयों में यौन दासियों के रूप में जबरन काम करने को मजबूर की गई इन किशोरियों एवं युवतियों को ‘कंफर्ट वीमेन’ के नाम से जाना जाता है।

जापान का हालांकि कहना है कि इस मुद्दे को दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य करने के तहत 1965 की एक संधि में ही सुलझा लिया गया था। इस मुद्दे पर कई दौर की राजनयिक वार्ताएं हुई हैं, लेकिन इसका कोई परिणाम नहीं निकला।

दक्षिण कोरिया के इतिहासकारों का अनुमान है कि 2,00,000 से अधिक महिलाओं को द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जबरन यौनकर्मी के रूप में काम करने को मजबूर किया गया। इन यौनकर्मियों में सर्वाधिक कोरियाई प्रायद्वीप से थीं। वर्तमान में दक्षिण कोरिया की केवल 46 कंफर्ट वीमेन ही जीवित हैं, जिनकी उम्र अब 90 साल के आसपास है।

पार्क ने सम्मेलन की शुरुआती टिप्पिणयों में कहा, “मुझे उम्मीद है कि आज की बैठक में इतिहास के उस दुखद पहलू का समाधान तलाशने पर चर्चा होगी।”

इसकी प्रतिक्रिया में अबे ने दोनों देशों के नेताओं के बीच दोस्ताना विचारों के आदान-प्रदान पर जोर दिया।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन

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डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।

 

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