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दिनाकरन गुट के 18 विधायक अयोग्य घोषित, पलनीस्वामी को राहत

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चेन्नई, 18 सितम्बर (आईएएनएस)| तमिलनाडु विधानसभा के अध्यक्ष पी. धनपाल ने सोमवार को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के टी.टी.वी. दिनाकरन समर्थक 18 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया।

विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री ई.पलनीस्वामी के नेतृत्व वाले एआईएडीएमके के धड़े को सदन में शक्ति परीक्षण की स्थिति से निपटने में बड़ी राहत मिलना तय माना जा रहा है। साथ ही माना जा रहा है कि सदन में बहुमत साबित करने की प्रक्रिया अब होनी तय है।

राज्य के राज्यपाल सी. विद्यासागर राव ने दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की है। वह मंगलवार सुबह चेन्नई पहुंच रहे हैं और इस बात की संभावना है कि वह विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर मुख्यमंत्री को बहुमत साबित करने के लिए कहेंगे।

विधानसभा सचिव के. बूपति ने कहा कि इन 18 विधायकों को ‘तमिलनाडु लेजिस्लेटिव एसेंबली (डिस्क्वालिफिकेशन आन ग्राउंड आफ डिफेक्शन) रूल्स 1986’ के तहत अयोग्य घोषित किया गया है। सोमवार से यह सभी विधायक नहीं रह गए हैं।

उन्होंने इन विधायकों के अयोग्य होने के कारण सदन में रिक्त स्थानों की लिखित जानकारी निर्वाचन आयोग को भी दी है।

इन विधायकों की सदस्यता रद्द होने से 234 सदस्यीय विधानसभा (पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन से रिक्त सीट अभी खाली है) की संख्या घटकर 215 हो गई है। ऐसे में बहुमत के लिए 109 सदस्यों के समर्थन की जरूरत रह गई है और मुख्यमंत्री ई. पलनीस्वामी का दावा है कि उन्हें 114 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

विपक्षी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और उसकी सहयोगी पार्टियों के पास 98 विधायक हैं।

अयोग्य करार दिए गए विधायकों में थंगा तमिलसेल्वन, आर. मुरुगन, मरियप्पम केनेडी, के.कतिकामू, सी.जयंती पद्मनाभन, पी. पलानीयप्पन, वी.सेंथिल बालाजी, एस.मुथैया, पी.वेतरीवेल, एन. जी. पार्थिबन, एम.कोठानडापनी, टी.ए.एलुमलाई, एम.रंगासामी, आर.थंगादुरई, आर.बालासुब्रह्मणी, ‘एतीरकोट्टई’ एस. जी. सुब्रमण्यम, आर. सुंदरराज और के. उमा माहेश्वरी शामिल हैं।

विधानसभा अध्यक्ष ने शुरुआत में दिनाकरन समर्थक एआईएडीएमके के 19 विधायकों को नोटिस जारी किया था। इनमें से एक एस.टी.के. जकाइयन पाला बदलकर पलनीस्वामी की तरफ आ गए और अयोग्य होने से बच गए।

इन 18 विधायकों ने न तो पार्टी की सदस्यता छोड़ी है और न ही अन्य किसी पार्टी में शामिल हुए हैं। सामान्यतया इन्हीं आधारों पर किसी विधायक की सदस्यता रद्द की जाती है।

इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए दिनाकरन ने संवाददाताओं को बताया कि वह विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले के खिलाफ मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुमत हासिल करने का ‘शार्ट कट’ है।

उन्होंने कहा, हमें उम्मीद है कि हमें स्टे मिलेगा। न्याय की जीत होगी। धोखाधड़ी कभी जीत नहीं सकती।

दिनाकरन ने मौजूदा हालात के लिए राज्यपाल को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि सरकार के पास बीते महीने से बहुमत नहीं था। उन्होंने कहा कि इस सरकार को हटाने के बाद हम चुनाव में बहुमत हासिल करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी उन्हें 21 विधायकों का खुला समर्थन हासिल है और इनके अलावा 10-12 उन्हें खामोशी से समर्थन दे रहे हैं।

दिनाकरन के वफादार विधायक थंगा तमिलसेल्वन ने कर्नाटक के कोडागु में कहा कि वह सौ फीसदी आश्वस्त हैं कि उन लोगों को न्यायालय में न्याय मिलेगा। वे तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक मुख्यमंत्री को हटा नहीं दिया जाता। कोडागु के एक रिसार्ट में दिनाकरन समर्थक विधायक टिके हुए हैं।

मुख्यमंत्री पलनीस्वामी ने सलेम में कहा कि कोई भी सरकार को गिराने या एआईएडीमके को तोड़ने में सफल नहीं होगा। उनका गुट पार्टी का चुनाव निशान ‘दो पत्ती’ हासिल करेगा।

बीते सप्ताह वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मद्रास उच्च न्यायालय से कहा था कि उन्हें डर है कि विधानसभा अध्यक्ष इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर सकते हैं और इसके बाद पलनीस्वामी को शक्ति परीक्षण के लिए कह सकते हैं। उन्होंने डीएमके के वकील की हैसियत से यह बात कही थी जिसने विधानसभा में तुरंत शक्ति परीक्षण की मांग करते हुए याचिका दायर की हुई है।

विपक्षी दलों ने भी दिनाकरन समर्थक विधायकों द्वारा पलनीस्वामी से समर्थन वापस लेने के बाद सदन में बहुमत परीक्षण की मांग की थी।

मद्रास उच्च न्यायालय ने 20 सितम्बर तक बहुमत परीक्षण नहीं करने के आदेश दिए हुए हैं।

डीएमके नेता एम.के.स्टालिन ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला लोकतंत्र की निर्मम हत्या है और मुख्यमंत्री द्वारा विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने का शॉर्टकट प्रयास है।

उन्होंने कहा कि यह कदम विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री की मिलीभगत का नतीजा है।

स्टालिन ने कहा कि मुख्यमंत्री ई. पलनीस्वामी और विधानसभा अध्यक्ष धनपाल ने विधायकों को अयोग्य घोषित कर लोकतंत्र की हत्या की है जिन्होंने मुख्यमंत्री को बदलने की राज्यपाल से मांग की थी।

एक अन्य विपक्षी दल पीएमके के संस्थापक एस. रामदॉस ने कहा, लोकतंत्र की हत्या की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। विधायकों को अयोग्य ठहराया जाना दल-बदल कानून के किसी नियम के तहत नहीं किया गया है।

स्टालिन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी कहा हुआ है कि दलबदल विरोध कानून तब लागू नहीं हो सकता, जब विधायक खुद कहें कि हम अपने मुख्यमंत्री को समर्थन नहीं दे रहे हैं।

स्टालिन ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है। उन्हें और पलनीस्वामी को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

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केरल के कन्नूर जिले में चोरों ने व्यवसायी के घर से उड़ाए एक करोड़ रुपये, सोने के 300 सिक्के

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कन्नूर। केरल के कन्नूर जिले में चोरों के एक गिरोह ने वालापट्टनम में एक व्यवसायी के घर से एक करोड़ रुपये की नकदी और सोने की 300 गिन्नियां चुरा लिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।पुलिस के मुताबिक चोरी की यह घटना उस समय हुई जब व्यवसायी और उसका परिवार एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के मदुरै गए हुए थे। उन्होंने बताया कि चोरी का पता तब चला जब रविवार रात को व्यवसायी का परिवार घर लौटा और लॉकर में रखा कीमती सामान गायब पाया।

सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घर के सभी लोग 19 नवंबर से ही घर से बाहर थे। और संदेह है कि चोरों ने रसोई की खिड़की की ग्रिल काटकर घर में प्रवेश किया। सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा जा सकता है।

चोरों को लिए गए फिंगरप्रिंट

पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि नकदी, सोना और अन्य कीमती सामान आलमारी में बंद करके रखे गए थे। इसकी चाबी दूसरे कमरे में रखी गई थी। पुलिस और ‘फिंगरप्रिंट’ (अंगुलियों के निशान) लेने वाले विशेषज्ञों की एक टीम घर पहुंची और सुबूत एकत्र किए तथा आरोपियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है।

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