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लाइफ स्टाइल

दूल्हे के लिए भी जरूरी स्किन की देखभाल

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groom prepartionनई दिल्ली। शादी के दिन सिर्फ दुल्हन ही नहीं बल्कि दूल्हा भी मेहमानों के आकर्षण का केंद्र होता है, इसलिए उन्हें भी अपनी स्किन की देखभाल करनी चाहिए।

कैडल स्किन क्लीनिक के त्वचा विशेषज्ञ विवेक मेहता पुलस्त्य ने भावी दूल्हों को अपनी त्वचा चमकदार बनाए रखने के संबंध में ये सुझाव दिए हैं।

  • साबुन से चेहरा धुलने से त्वचा रूखी हो सकती है और एक्जिमा भी हो सकता है। इसलिए, सौम्य फेसवॉश से चेहरा धुलें। बेसन, दही का फेसपैक चेहरा धुलने के लिए सबसे बेहतर हैं। त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं।
  • त्वचा के लिए क्लीनिंग, टोनिंग और मॉइश्चराइजिंग बेहद जरूरी है। मुंहासों से बचने के लिए रोज चेहरा धुलें। मृत त्वचा को हटाने के लिए स्क्रब भी करें और रोज टोनर लगाएं।
  • रूखी त्वचा से बचने के लिए वाटर या तेल युक्त मॉइश्चराइजर लगाएं। दाढ़ी रखने वाले पुरुषों को खासतौर से इन तीनों चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • धूप में निकलने से पहले अपनी त्वचा के अनुसार, एसपीएफ युक्त सनस्क्रीन क्रीम लगाएं। इससे आपको हानिकारक यूवी किरणों से सुरक्षा मिलेगी। दूल्हे को शादी होने के कम से कम तीन महीने पहले से एसपीएफ क्रीम लगााना जरूर शुरू कर देना चाहिए।
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें। जंकफूड के बजाय पोषक तत्वों और विटामिन से भरपूर फलों और सब्जियों का सेवन करें।
  • दूल्हों को सारी चिंताओं को दरकिनार कर कम से कम आठ घंटे की पर्याप्त नींद जरूर लेनी चाहिए। इससे आपकी त्वचा पर भी चमक आएगी।
  • अपने दिलो-दिमाग और शरीर को आराम व सुकून देने के लिए आप स्पा भी जा सकते हैं। मैनीक्योर, पैडीक्योर, मसाज से आप खूबसूरत दिखेंग और तरोताजा महसूस करेंगे।
  • आजकल मुंहासों को दूर करने और बाल झडऩे से रोकने संबंधी कई उपचार उपलब्ध हैं जिनकी मदद से आप अपने व्यक्तित्व में चार चांद लगा सकते हैं।
  • स्किन में कसाव लाने, झुर्रिया कम करने जैसे ट्रीटमेंट के जरिए आप खुद को स्मार्ट लुक दे सकते हैं।
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लाइफ स्टाइल

साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान  

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high cholesterol symptoms

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नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।

हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?

जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?

हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।

शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?

हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।

क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।

गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।

हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।

ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।

इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।

डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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