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देश में चार में से एक उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 18 जून (आईएएनएस)| भारतीय उपभोक्ताओं के डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ज्यादा सक्रिय होने से देश में डिजिटल खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।

हालांकि, इसमें धोखाधड़ी का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है। एक्सपेरियन की डिजिटल कंज्यूमर इनसाइट्स रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में चार में से एक उपभोक्ता ऑनलाइन धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है। यह रिपोर्ट एशिया पेसिफिक के 10 बाजारों, ऑस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम में किए गए कंज्यूमर सर्वे में मिले उपभोक्ताओं के जवाब पर आधारित है। इस अध्ययन में पाया गया है कि जैसे-जैसे ब्रांड और उपभोक्ता मोबाइल के जरिए ऑनलाइन सामान की बिक्री और खरीदारी करने के आसान तरीके तलाश रहे हैं, उसी के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं।

इस रिपोर्ट को दो प्रमुख श्रेणियों में ग्राहकों के व्यवहार को वर्गीकृत किया गया है, जिसमें पहले द डिजिटल वॉयजर्स-ये डिजिटल रूप से समझदार उपभोक्ता होते हैं, जो बेहतर अनुभव के लिए वे डेटा शेयर करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। दूसरे द डिजिटल प्रेगमैटिस्ट्स – प्रैक्टिकल अप्रोच रखने वाले उपभोक्ता- इन्हें डिजिटल रूप से रूढ़िवादी कहा जा सकता है। यह हमेशा ऑनलाइन धोखाधड़ी के प्रति सतर्क रहते हैं।

एक्सपेरियन क्रेडिट ब्यूरो की प्रबंध निदेशक और एक्सपेरियन इंडिया की कंट्री हेड वैशाली कस्तूरी ने कहा, इस अध्ययन से हमने यह पाया कि भारत में उपभोक्ता अपनी सुविधा को ज्यादा महत्व देते हैं। भारतीय उपभोक्ता एशिया पेसिफिक के दूसरे देश, जैसे सिंगापुर या हांगकांग के उपभोक्ताओं की तुलना में धोखाधड़ी से बचने के लिए कम जागरूक रहते हैं। मौजूदा समय में धोखाधड़ी का शिकार होने पर उपभोक्ता ही सारा नुकसान उठाता है। यह डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने का कोई समाधान नहीं है। इस संबंध में समाज में जागरूकता फैलाने और धोखाधड़ी से सामूहिक रूप से जंग के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है।

एशिया पेसिफिक देशों में भारत 21 प्रतिशत के साथ सर्वोच्च स्थान पर है और भारतीय इस तकनीक को अपनाने के लिए भी सबसे आगे आ रहे हैं। एशिया पेसिफिक के दूसरे देश जैसे वियतनाम और चीन में 18 प्रतिशत लोग अर्ली एडॉप्टर्स हैं। ऑस्ट्रेलिया में नौ प्रतिशत और जापान और न्यूजीलैंड में (दोनों में आठ प्रतिशत ) में ऐसा करने की इच्छा सबसे कम है।

ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों के समाधान पर कस्तूरी ने कहा, जब तक कारोबारी प्रभावी तरीके से ऑनलाइन धोखाधड़ी का समाधान नहीं खोजते, तब तक कारोबारियों के सामने उच्च स्तर का खतरा बरकरार रहेगा और धोखाधड़ी के मामले सामने आते रहेंगे, जिससे उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। उपभोक्ताओं की ओर से विश्वास की कमी होने के कारण गलत डेटा शेयर करना भी कारोबारियों के लिए एक चुनौती है, जिससे पार पाना काफी मुश्किल है।

53 फीसदी भारतीय ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए उचित सुरक्षा उपायों के लिए डेटा शेयर करने पर रजामंद दिखे।

इस रिपोर्ट से पता चलता है कि उपभोक्ताओं ने अपने पसर्नल डेटा को सुरक्षित रखने के लिए गलत डेटा भी कंपनियों से शेयर किए। थाइलैंड में सबसे ज्यादा लोगों ने गलत डेटा (85 प्रतिशत) कंपनियों से शेयर किए, जिसके बाद वियतनाम, इंडोनेशिया और भारत का नंबर आता है। जापान में सबसे कम लोगों ने (21 प्रतिशत) ने गलत डेटा कंपनी के साथ शेयर किया।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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