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प्रादेशिक

धूमधाम से हुई शान-ए-अवध इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत

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शान-ए-अवध इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत, अवध आर्ट सोसाइटी, लखनऊ, भारतेन्दु नाट्य अकादमी, मशहूर पटकथा लेखक सागर सरहदी

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लखनऊ। सूबे की राजधानी में गुरुवार को अवध आर्ट सोसाइटी के तीसरे शान ए अवध इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की शुरुआत धूमधाम से हुई। गोमतीनगर स्थित भारतेन्दु नाट्य अकादमी में फेस्टिवल का उद्घाटन मशहूर पटकथा लेखक सागर सरहदी ने दीप जलाकर किया। इस मौके पर फेस्टिवल की स्मारिका का भी विमोचन हुआ। फेस्टिवल के दौरान मशहूर रंगकर्मी जुगल किशोर को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम की शुरुआत में अवध आर्ट सोसाइटी के संरक्षक अजय कुमार सिंह और अध्यक्ष अंजनी सिंह ने सागर सरहदी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। अपने स्वागत भाषण में सागर सरहदी ने फेस्टिवल को जमकर सराहा और कहा कि यहां अलग ही माहौल है। ऐसे प्रयासों से हम लोगों की मेहनत सफल हो जाती हैं। उन्होंने फेस्टिवल की पूरी टीम को शुभकामनाएं दी।

कार्यक्रम के दौरान मशहूर रंगकर्मी जुगल किशोर को श्रंद्धाजलि के रूप में उनकी अभिनीत फिल्म खरबूजे का प्रदर्शन किया गया। फिल्म में उनके किरदार से दर्शक भाव विभोर हो गए। उनके कुछ साथियो की आँखे भी नम हो गईं। फिर फेस्टिवल का औपचारिक आरम्भ लखनऊ के लेखक व निर्देशक ओम श्रीवास्तव की फिल्म लाइफ इन मेटाफर को दिखाकर किया गया। फेस्टिवल के निदेशक अश्वनी सिंह ने कहा कि शुक्रवार से कई देशों की फिल्मों का आनंद लिया जा सकेगा। उन्होंने प्रदर्शित की जाने वाली फिल्मो की संक्षिप्त भूमिका बताई।

उत्तर प्रदेश

पशुपालन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स से संवरेगी यूपी के ग्रामीण युवाओं की तकदीर

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में यूपी मंत्रीपरिषद् ने सोमवार को राज्य में पशुपालन और परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के लिए नीति तैयार करने का फैसला लिया है। यह पहल ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं को मजबूत करने और पशु चिकित्सा विज्ञान में प्रशिक्षित पैरावेट्स की संख्या बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है। इस नई नीति के तहत राज्य में निजी संग सरकारी संस्थानों में पशुपालन डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स संचालित किए जा सकेंगे, जिससे पैरावेट्स को जरूरी प्रशिक्षण और कौशल विकास में सहायता मिलेगी।

परापशुचिकित्सा में महत्वपूर्ण होती है पैरावेट्स की भूमिका

प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने सोमवार को लोकभवन में इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां पशु चिकित्सकों की संख्या सीमित है। पूरे देश में लगभग 34,500 पशु चिकित्सक हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में वर्तमान में मात्र 8,193 पशु चिकित्सक ही उपलब्ध हैं। इस कमी के कारण पैरावेट्स को कई बार टीकाकरण, घावों की पट्टी, प्राथमिक उपचार और देखभाल जैसे कार्यों में पशु चिकित्सकों के पर्यवेक्षण में सहायक भूमिका निभानी पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्रों में पैरावेट्स को पशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए तैयार किया जाता है, लेकिन संसाधनों की कमी और अपर्याप्त प्रशिक्षण के कारण वे कई प्रकार की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।

पैरावेट्स के प्रशिक्षण और कौशल विकास पर सरकार का जोर

पशुधन मंत्री ने बताया कि बेहतर पशु स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए पैरावेट्स के प्रशिक्षण और कौशल में वृद्धि की आवश्यकता को देखते हुए योगी सरकार ने डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है। इस नीति के तहत पैरावेट्स को टीकाकरण, प्राथमिक चिकित्सा, घावों की देखभाल और पशु स्वास्थ्य सेवाओं के अन्य आवश्यक पहलुओं में प्रशिक्षित किया जाएगा। यह कदम पशुपालन और परापशुचिकित्सा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा और पैरावेट्स को पेशेवर रूप से सशक्त बनाएगा।

प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान से मिलेगी मान्यता

उन्होंने बताया कि प्रदेश में पशुपालन के क्षेत्र में कार्यरत मुख्य संस्थान पं. दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंधान संस्थान, मथुरा है। इसके अलावा, आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज और सरदार बल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ भी पशु चिकित्सा महाविद्यालय संचालित कर रहे हैं। अब इन विश्वविद्यालयों द्वारा निजी महाविद्यालयों को सम्बद्धता प्रदान करने के मानक तय किए जाएंगे, जिससे निजी क्षेत्रों में भी पशुपालन और परापशुचिकित्सा के पाठ्यक्रम संचालित हो सकें।

नीति के क्रियान्वयन के लिए विशेषज्ञ समिति गठित

योगी सरकार ने नीति तैयार करने के लिए पशुधन विभाग के विशेष सचिव की अध्यक्षता में चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। समिति ने विस्तृत अध्ययन के बाद एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसके आधार पर राज्य में परापशुचिकित्सा और पशुपालन से जुड़े कोर्स की नीति बनाई गई है। इस नीति के तहत संस्थानों की सम्बद्धता, पाठ्यक्रमों की एकरूपता और मानक निर्धारण किया जाएगा।

निजी क्षेत्रों में पाठ्यक्रम संचालन को मिलेगा बढ़ावा

पशुधन मंत्री के अनुसार योगी सरकार की ये नीति केवल सरकारी संस्थानों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि निजी महाविद्यालयों में भी इन पाठ्यक्रमों का संचालन संभव होगा। इस कदम से ग्रामीण इलाकों में पैरावेट्स की संख्या बढ़ेगी और वे पशु चिकित्सा सेवाओं में अधिक योगदान दे सकेंगे। राज्य सरकार का यह निर्णय प्रदेश के पशु पालन और कृषि क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी प्रदान करेगा। योगी सरकार का यह निर्णय पशुपालन क्षेत्र में एक नई दिशा तय करेगा और ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाएगा।

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