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नगा विद्रोहियों की खिसकती जमीन : सेना

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सुबीर भौमिक

अगरतला। भारतीय सेना को पूरा भरोसा है कि वह नागा विद्रोहियों द्वारा म्यांमार से संचालित की जाने वाली किसी भी तरह की हिसा से निपट लेगी। लेकिन इस बार सेना अलग तरह से इन विद्रोहियों का सामना करेगी। एक शीर्ष कमांडर ने यह जानकारी दी।

भारतीय सेना के कोहिमा स्थित 3 कॉर्प की कमान संभालने वाले लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत ने कहा कि म्यांमार के नागा विद्रोही नेता एस.एस.खापलांग के नेतृत्व में संघर्ष ज्यादा समय तक नहीं चल सकता, क्योंकि उसे जनसमर्थन नहीं प्राप्त है। लेफ्टिनेंट जनरल रावत ने बताया कि नगालैंड में लोग पिछले 17 सालों से व्याप्त शांति के आदी हो गए हैं। वे विद्रोही हिंसा पसंद नहीं करते, क्योंकि ऐसी स्थिति में सैन्य अभियान चलाया जाएगा, जिनसे उनकी सामान्य जिंदगी प्रभावित होगी। इसलिए खापलांग अलग-थलग पड़ गए हैं।”

उन्होंने स्वीकार किया कि खापलांग म्यांमार के सागेंग प्रांत में अपने ठिकाने पर असमियों, बोडो और मणिपुर के विद्रोहियों को पनाह दे रहा है। रावत ने कहा कि अन्य नागा विद्रोही गुट और राजनीतिक समूह हिंसा को सहन नहीं कर सकते। क्योंकि वे शांति के आदी हो गए हैं। इसलिए वे अपने लड़ाकों को नागालैंड से बाहर रखते हैं।

खापलांग ने पहले यह आरोप लगाया था कि भारतीय खुफिया एजेंसी भारत में अन्य नागा विद्रोही गुटों का इस्तेमाल कर उनके लड़ाकों को रोक रही, क्योंकि इन गुटों ने नागालैंड की स्वतंत्रता की मांग छोड़ दी है। रावत का कहना है, “हमने नागालैंड और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों में पिछले 17 सालों के संघर्षविराम के दौरान एक अनुकूल माहौल बनाया है। जब हाल ही में सोम जिले में खापलांग के लड़ाकों ने घात लगाकर हमला किया और हमारे आठ फौजियों को मार दिया। हमने अपनी सेना पीछे हटा दी। स्थानीय लोगों ने एक जिम्मेदार सेना की तरह हमें देखा है और अब वे खापलांग को रोकने के लिए हमारे साथ हैं। क्योंकि वे खापलांग को संघर्षविराम तोड़ने का दोषी मानते हैं।” संयुक्त विद्रोही मंच ‘यूएनएलएफडब्लू’ के गठन के बारे में पूछने पर रावत ने इसमें विदेशी हाथ होने की संभावना जताई।

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नेशनल

लद्दाख में एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का हुआ उद्घाटन, 4300 मीटर की ऊंचाई पर है स्थित

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लद्दाख। एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन, मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया है। इस दूरबीन से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन दुनिया में इस तरह की सबसे ऊंची दूरबीन भी है। इस दूरबीन की मदद से अब वैज्ञानिक रिसर्च में और भी प्रगति होगी। इस दूरबीन को मुंबई स्थित BARC ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों की मदद से बनाया है और इसे स्वदेशी तरीके से बनाया गया है।

4 अक्तूबर को हुआ उद्घाटन

MACE वेधशाला का उद्घाटन DAE के प्लेटिनम जुबली वर्ष प्रोग्राम का एक हिस्सा था। 4 अक्तूबर को लद्दाख के हनले में डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) वेधशाला का उद्घाटन किया। इसके उद्घाटन के बाद उन्होंने उन सभी कोशिशों की प्रशंसा भी की जिस कारण MACE दूरबीन सफल हुई।

 

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