हेल्थ
नसों की कमजोरी से दिल के रोगों का खतरा
नई दिल्ली| नसों की कमजोरी (इरेक्टाइल डिस्फंक्शन) दुनिया के 10 करोड़ से ज्यादा पुरुषों में पाई जाती है। इनमें से 50 प्रतिशत की उम्र 40 से 70 साल के बीच है। इस रोग से सबसे ज्यादा पीड़ित विकासशील देशों में से होने का अनुमान है। इस रोग के कारण हैं- बढ़ता तनाव, अस्वस्थ जीवनशैली और दिल के रोग। यहां के एडवांस फर्टीलिटी एंड गायनिकोलॉजिकल सेंटर की डायरेक्टर व आईवीएफ एंड इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ. काबेरी बनर्जी ने बताया कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और दिल के रोगों में अंतर-संबंध पाया गया है। दोनों एक साथ हो सकते हैं और दोनों के ही अपने-अपने खतरे हैं। दोनों के ही पैथोलॉजिकल आधार एक जैसे हैं, क्योंकि दोनों मामलों में तंतुओं की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने कहा, “यह जानना बेहद अहम है कि जब नसों की कमजोरी 60 साल से कम उम्र के पुरुषों में होती है तो यह भविष्य में होने वाले दिल के रोगों के बढ़े हुए खतरे का संकेत भी होती है, जबकि इससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए यह समस्या किसी बड़े खतरे के संकेत वाली नहीं होती।”
डॉ. काबेरी का कहना है कि दिल के रोग जैसे कि रक्त धमनियों का सख्त होना, हाइपरटेंशन और हाई कॉलेस्टरॉल जैसे 70 प्रतिशत शारीरिक कारण नसों की कमजोरी की वजह हो सकते हैं। इन समस्याओं की वजह से दिल, दिमाग और लिंग की ओर रक्त के बहाव में बाधा पैदा हो जाती है। 60 साल की उम्र से ज्यादा के पुरुषों में नसों की कमजोरी की 50 से 60 प्रतिशत वजह केवल रक्त धमनियों का सख्त होना होता है।
उन्होंने कहा, “कई शोधों में यह बात सामने आई है कि नसों की कमजोरी रक्त धमनियों की बीमारी का संकेत होती है, जिससे दिल के प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के मामले और मृत्यु होने की संभावना बढ़ जाती है। हम नसों की कमजोरी वाले मरीज की कलर डोपलर अल्ट्रासाउंड के साथ लिंग की ओर रक्त बहाव की जांच करते हैं, जिन्हें दिल के रोगों का खतरा होता है।”
डॉ. काबेरी ने कहा कि इस बारे में भी जानकारी होनी चाहिए कि ऐसी हालत में यौन संबंध बनाने के दौरान या तुरंत बाद दिल का दौरा पड़ने की हल्की सी आशंका हो सकती है। दिल के रोग से पीड़ित मरीज के यौन संबंध बनाने के दौरान मायोकार्डियल एस्केमिया के खतरे की जांच के लिए एक्सरसाइज टेस्ट की सलाह दी जाती है। लोगों को नसों की कमजोरी और उससे होने वाले दिल के रोग से बचने के लिए जीवनशैली में आवश्यक बदलाव करने की भी सलाह दी जाती है।
मैसाचुसेट्स मेल एजिंग स्टडी के अनुसार, दिल के रोग से पीड़ितों में नसों की कमजोरी की आशंका 39 प्रतिशत तक होती और तंबाकू का सेवन करने वालों में इसकी आशंका डेढ़ से दोगुना तक हो जाती है। इसलिए बांझपन के विशेषज्ञों के लिए यह बात जाननी अहम है कि दिल के रोग और पुरुषों में नसों की कमजोरी ऐसी आम बीमारी है जो एक साथ होती है और नसों की कमजोरी पुरुषों में दिल के रोगों का संकेत हो सकती है।
बकौल डॉ. काबेरी, अन्य बीमारियां जिनका संबंध नसों की कमजोरी से होता है, उनमें डॉयबिटीज, किडनी की बीमारी, न्यूरोलॉजिकल बीमारी और प्रोस्टेट कैंसर शामिल हैं। डायबिटीज जीवनशैली से जुड़ी ऐसी बीमारी है, जिससे नसें और रक्त धमनियां क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और पुरुष के यौन अंग में तनाव आने में रुकावट बन सकती है।
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दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी
नई दिल्ली। दिल्ली में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी का क्रम लगातार जारी है. अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में अकेले डेंगू के मरीजों में भारी संख्या में इजाफे की सूचना है. दिल्ली नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक साल 2024 में डेंगू के अब तक 4533 मरीज सामने आए हैं. इनमें 472 मरीज नवंबर माह के भी शामिल हैं.
एमसीडी की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में इस साल अब तक मलेरिया के 728 और चिकनगुनिया के 172 केस दर्ज हुए हैं.
डेंगू एक गंभीर वायरल संक्रमण है, जो एडीज़ मच्छर के काटने से फैलता है। इसके होने से मरीज को शरीर में कमजोरी लगने लगती है और प्लेटलेट्स डाउन होने लगते हैं। एक आम इंसान के शरीर में 3 से 4 लाख प्लेटलेट्स होते हैं। डेंगू से ये प्लेटलेट्स गिरते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि 10 हजार प्लेटलेट्स बचने पर मरीज बेचैन होने लगता है। ऐसे में लगातार मॉनीटरिंग जरूरी है।
डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीज को विटामिन सी से भरपूर फल खिलाना सबसे लाभकारी माना जाता है। इस दौरान कीवी, नाशपाती और अन्य विटामिन सी से भरपूर फ्रूट्स खिलाने चाहिए। इसके अलावा मरीज को ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट देना चाहिए। इस दौरान मरीज को नारियल पानी भी पिलाना चाहिए। मरीज को ताजा घर का बना सूप और जूस दे सकते हैं।
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