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मुख्य समाचार

नाकाम सिस्टम का उदाहरण है एआईपीएमटी

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AIPMT

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आखिरकार देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) परीक्षा को रद्द कर दिया। परीक्षा में हुई घनघोर अनियमितता को देखते हुए कोर्ट ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को चार हफ्ते के अंदर दोबारा परीक्षा आयोजित कराने का आदेश भी दिया। इस महत्वपूर्ण फैसले के साथ ही देशभर में फैले पेपर लीक कराने वाले गिरोह का मकड़जाल टूट गया और लाखों परीक्षार्थियों के साथ खिलवाड़ होने से बच गया लेकिन इससे देश की बेहद महत्वपूर्ण परीक्षा के प्रबंधन में भारी कमियां भी उजागर हुई हैं। हैरत तो यह है कि परीक्षा मंम भारी पैमाने पर नकल के मामले सामने आने के बावजूद सीबीएसई किसी भी तरह की गड़बड़ी की बात से पूरी तरह इन्कार करता रहा।

तीन मई को हुई इस प्रवेश परीक्षा के पेपर लीक को लेकर किए गए रोहतक पुलिस के खुलासे ने देशभर में हड़कंप मचा दिया। रोहतक आईजी ने खुलासा किया कि सीबीएसई की ओर से कराई गई परीक्षा का पर्चा लीक हुआ। देशभर में कई सेंटर पर ब्लूटूथ अंडर गारमेंट्स के जरिए गिरोह ने अपने उम्मीदवारों तक आंसर-की पहुंचाई। देखते ही देखते इस पर्चा लीक मामले के तार हरियाणा के अलावा, यूपी, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली सहित अलग अलग प्रदेशों से भी जुड़ गए और इन राज्यों में इसी सिलसिले में छापेमारी भी की गई। आंकड़ों की दृष्टि से देखें तो इस गड़बड़झाले का आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है। इस साल परीक्षा में छह लाख 30 हजार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था, जिसमें मेडिकल और बीडीएस के लिए कुल 3200 सीटों के लिए चयन होना था। पेपर लीक होने के बाद की गई जांच में पता चला कि करीब 700 परीक्षार्थियों तक परीक्षा से पहले ही आंसर की पहुंच चुकी थी यानी अगर ये परीक्षा रद्द न होती तो 20 फीसदी से ज्यादा सीटों पर दागी उम्मीदवारों का चयन हो गया होता। इस तरह डॉक्टर बने लोग मरीजों की कैसी सेवा करते, इसका तो सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। देश में मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था पहले से दयनीय हालात में है, ऐसे में परीक्षा में हुई ये धांधली पूरे तंत्र पर सवालिया निशान लगाती है।

इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट में परीक्षा को रद्द होने से रोकने के लिए सीबीएसई ने दलील दी कि उन छात्रों को मेरिट लिस्ट से बाहर कर दिया जाएगा, जिनको फायदा पहुंचा। हालांकि कोर्ट ने उसकी इस दलील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि परीक्षा की पूरी प्रक्रिया पर दाग लग चुका है। कोर्ट का यह भी मानना था कि इससे ईमानदार छात्रों का कैरियर प्रभावित हो सकता है। आशंका है कि योग्य छात्रों की जगह उन छात्रों को मिल जाए जिन्हें इस अनियमितता से फायदा तो पहुंचा लेकिन उनकी पहचान नहीं हो पाई हो।

निश्चित तौर पर पूरे देश में भारी पैमाने पर हुई गड़बड़ियों के पीछे किसी संगठित व बेहद सशक्त गिरोह का हाथ है जिसका मास्टरमाइंड अब भी गिरफ्त से दूर है। चूंकि एक बार फिर परीक्षा का बिगुल बज चुका है और ये गैंग एक बार फिर से परीक्षा की शुचिता को प्रभावित कर सकता है। ऐसे में सीबीएसई और सरकार दोनों को बेहद कड़े इंतजाम करने की जरूरत है ताकि और कोई धांधली न होने पाए। इसका एक पक्ष यह भी है कि अपनी मेहनत के दम पर डॉक्टरी की पढ़ाई का सपना देखने वाले परीक्षार्थियों को फिर जीजान से परीक्षा की तैयारी में जुटना पड़ेगा।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन

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डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।

 

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