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अन्तर्राष्ट्रीय

नासर मामले में मिशिगन यूनिवर्सिटी की अध्यक्ष का इस्तीफा

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वाशिंगटन, 27 जनवरी (आईएएनएस)| मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी (एमएसयू) ने शुक्रवार को अपनी अध्यक्ष लोउ एना सिमोन का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। उन पर पूर्व जिम्नास्टिक चिकित्सक लैरी नासर के यौन उत्पीड़न का शिकार महिला खिलाड़ियों का साथ न देने का आरोप है। नासर ने दो दशक से ज्यादा समय तक युवा खिलाड़ियों का यौन उत्पीड़न किया।

लोउ एना सिमोन ने एमएसयू अध्यक्ष के रूप में बुधवार रात अपना इस्तीफा सौंप दिया, जिन्होंने (नासर) एमएसयू और अमेरिका के जिम्नास्टिक, खेल की राष्ट्रीय शासी निकाय के लिए काम किया था।

नासर को कुछ प्रमुख खिलाड़ियों के साथ छेड़छाड़ करने और अन्य का मेडिकल उपचार की आड़ लेकर यौन उत्पीड़न करने के आरोप में 45-175 साल तक जेल की सजा सुनाई गई है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, नासर को बुधवार को एक अदालत द्वारा असाधारण सात-दिवसीयसुनवाई के बाद सजा सुनाई गई। सुनवाई के दौरान 150 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों ने बयान दिए या अदालत में बयान को पढ़ा गया।

आरोपियों ने कहा कि खिलाड़ियों की विभिन्न चोटों का उपचार करने के दौरान वे नियमित रूप से उनके साथ छेड़छाड़ किया करते थे।

कई पीड़िताओं ने एमएसयू प्रशासन और खेल से संबंधित अधिकारियों पर उनकी बात नहीं सुनने का आरोप लगाया है।

‘डेट्रॉइट न्यूज इन्वेशटिगेशन’ के मुताबिक, नासर द्वारा यौन दुर्व्यवहार करने की जानकारी उनकी गिरफ्तारी से पहले दो दशकों में 14 एमएसयू प्रतिनिधियों तक पहुंची और कम से कम आठ महिलाओं ने उनके (नासर) करतूत के बारे में अवगत कराया।

लोउ अन्ना को भी इसकी भनक थी।

एमएसयू बोर्ड के ट्रस्टी भी इस बात को लेकर अब दबाव महसूस कर रहे थे कि इस मुद्दे पर अधिकांश सदस्यों ने लंबे समय तक अध्यक्ष का समर्थन किया।

अगर सभी ट्रस्टी इस्तीफा नहीं देते हैं तो मिशिगन राज्य के विधायक उन पर अभियोग लगाने के तरीकों पर विचार कर रहे हैं।

इसके अलावा, शुक्रवार को मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के निदेशक मार्क होलिस ने अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की। नासर के यौन दुर्व्यवहार मामले में होलिस का जाना एक नया घटनाक्रम है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

बांग्लादेश में चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी पर भारत ने जताई नाराजगी, कही ये बात

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नई दिल्ली। मंगलवार को बांग्लादेश के हिंदू संगठन सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को गिरफ्तार कर लिया गया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों द्वारा चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में ही आंदोलन किया जा रहा है। बाद में अदालत ने भी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत अर्जी खारिज कर उन्हें जेल भेज दिया। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जाहिर की।

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि हिंदुओं पर हमला करने वाले बेखौफ घूम रहे हैं, जबकि हिंदुओं के लिए सुरक्षा का अधिकार मांगने वाले हिंदू नेताओं को जेल में ठूंसा जा रहा है। वहीं बांग्लादेश सरकार ने विदेश मंत्रालय के बयान पर नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह उनका आंतरिक मामला है और भारत के टिप्पणी करने से दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ सकती है।

चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। इस प्रदर्शन को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर आंसू गैस के गोले दागे गए और लाठीचार्ज भी किया गया, जिसमें 50 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।

चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश के चटगांव स्थित इस्कॉन पुंडरीक धाम के प्रमुख भी हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बीते सोमवार को शाम 4:30 बजे हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) द्वारा हिरासत में लिया गया था।

मंगलवार को उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच चटगांव के छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट काजी शरीफुल इस्लाम के समक्ष पेश किया गया। हालांकि, उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया और उन्हें जेल भेज दिया गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उन पर देशद्रोह का आरोप लगा है।

 

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