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नि:शक्तजनों की स्वीकार्यता जरूरी : यूनिसेफ

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नई दिल्ली।  नि:शक्तजनों को समाज के हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए सरकार को समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान देना चाहिए, जो समाज को नि:शक्तजनों को स्वीकार करना सिखाए। यह बात भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि लुईस-जॉर्ज अर्सेनॉल्ट ने कही।

अर्सेनॉल्ट ने कहा, “भारत विभिन्न नीतियों और कार्यक्रमों से इस मुद्दे पर काम कर रहा है। मेरे खयाल से समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रमों पर अधिक ध्यान होना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “ये कार्यक्रम सामान्य लोगों को नि:शक्तजनों के साथ शिष्टता से व्यवहार करने की शिक्षा देंगे। उनके सशक्तीकरण के लिए उन्हें समाज में स्वीकार किया जाना अत्यधिक जरूरी है।”

अवसंरचना की जरूरत पर उन्होंने कहा, “पहले सोच बदलने की जरूरत है, अवसंरचना पर बाद में काम हो सकता है।”

2011 की जनगणना के मुताबिक देश की 2.2 फीसदी अधिक आबादी निशक्त है। पुराने योजना आयोग के मुताबिक, ऐसे लोगों का अनुपात पांच फीसदी और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक देश में नि:शक्त लोगों का अनुपात आठ फीसदी है।

इन्हें मदद करने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार ने एक्सेसेबल इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम का मकसद सरकारी भवन और परिवहन सुविधाएं ऐसे बनाए जाएं, जिनका उपयोग नि:शक्तजन भी आराम से कर पाएं।

सरकार के इस कार्यक्रम पर खुशी का इजहार करते हुए जिंदल सॉ लिमिटेड की प्रबंध निदेशक और गैर सरकारी संगठन ‘स्वयम’ से स्मिनू जिंदल ने कहा, “सार्वजनिक अवसंरचना का उपयोग योग्य होना बड़ी चुनौती है।” उन्होंने कहा कि जब निशक्तजन घर से ही नहीं निकल पाते, तो तमाम कार्यक्रमों और सशक्तीकरण कार्यक्रमों का समुचित परिणाम कैसे आएगा।जिंदल 2011 में एक दुर्घटना के बाद नि:शक्त हो गई थी।

ईएससीआईपी ट्रस्ट इंडिया के सह-निदेशक निखिल गुप्ता ने कहा, “व्हीलचेयर का उपयोग करने वाला एक व्यक्ति यदि अपने मित्र या संबंधी के साथ बाहर जाना चाहे, तो उंगली पर गिनने लायक ऐसे रेस्तरां या सिनेमा हॉल हैं, जहां वे जा सकते हैं। यह स्थिति महानगरों की है।”

 

नेशनल

पीएम मोदी पर लिखी किताब के प्रचार के लिए स्मृति ईरानी चार देशों की यात्रा पर

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नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एक नवीनतम पुस्तक ‘मोडायलॉग – कन्वर्सेशन्स फॉर ए विकसित भारत’ के प्रचार के लिए चार देशों की यात्रा पर रवाना हो गई हैं। यह दौरा 20 नवंबर को शुरू हुआ और इसका उद्देश्य ईरानी को मध्य पूर्व, ओमान और ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोगों से जोड़ना है।

स्मृति ईरानी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि,

एक बार फिर से आगे बढ़ते हुए, 4 देशों की रोमांचक पुस्तक यात्रा पर निकल पड़े हैं! 🇮🇳 जीवंत भारतीय प्रवासियों से जुड़ने, भारत की अपार संभावनाओं का जश्न मनाने और सार्थक बातचीत में शामिल होने के लिए उत्सुक हूँ। यह यात्रा सिर्फ़ एक किताब के बारे में नहीं है; यह कहानी कहने, विरासत और आकांक्षाओं के बारे में है जो हमें एकजुट करती हैं। बने रहिए क्योंकि मैं आप सभी के साथ इस अविश्वसनीय साहसिक यात्रा की झलकियाँ साझा करता हूँ

कुवैत, दुबई, ओमान और ब्रिटेन जाएंगी स्मृति ईरानी

डॉ. अश्विन फर्नांडिस द्वारा लिखित यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासन दर्शन पर प्रकाश डालती है तथा विकसित भारत के लिए उनके दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित करती है। कार्यक्रम के अनुसार ईरानी अपनी यात्रा के पहले चरण में कुवैत, दुबई, फिर ओमान और अंत में ब्रिटेन जाएंगी।

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