मुख्य समाचार
नेशनल हेराल्ड मुद्दे पर कांग्रेस व सरकार में तनातनी जारी
नई दिल्ली। नेशनल हेराल्ड अखबार मामले में विपक्षी दल कांग्रेस और मोदी सरकार के बीच तनानती गुरुवार को भी जारी रही। राज्यसभा की कार्यवाही कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के चलते बार-बार बाधित हुई। कांग्रेस सांसदों ने गुरुवार को लोकसभा से बहिर्गमन किया। लेकिन, यहां मामला भारतीय जनता पार्टी सांसद वीरेंद्र सिंह की टिप्पणी का था। कांग्रेस सदस्य यह कहते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए कि जब तक सिंह अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगते तब तक के लिए उन्हें सदन से निलंबित किया जाए।
संसद के बाहर भी कांग्रेस और सरकार के बीच शब्दों के तीर चलते रहे। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि कांग्रेस नेताओं को अपने बनाए चक्रव्यूह से निकलने के लिए रास्ता खुद ही निकालना होगा। उन्होंने कांग्रेस से आग्रह किया कि वह नेशनल हेराल्ड अखबार मामले से कानूनी रूप से निपटे और संसद को बाधित न करे।
वित्तमंत्री ने लिखा है, “भारत ने कभी इस आदेश को नहीं माना कि रानी कानून के प्रति जवाबदेह नहीं है।” कांग्रेस नेता अश्विनी कुमार ने मीडिया से कहा कि सरकार ‘धमकाने की राजनीति’ कर रही है और ‘उदार मूल्यों पर हमले’ में शामिल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “लोग केवल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन, गरीबों के हित की कई और बातें भी संसद में लंबित हैं।”
सबसे अधिक हंगामा राज्यसभा में दिखा। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस सदस्य सभापति की आसंदी के पास इकट्ठा हो गए और नारेबाजी शुरू कर दी। उप-सभापति पी.जे. कुरियन ने व्हिसलब्लोअर संरक्षण विधेयक को उठाना चाहा लेकिन वह नाकाम रहे। राज्यसभा बुलेटिन ने खराब व्यवहार के लिए 46 सांसदों को चिन्हित किया है। इनमें अंबिका सोनी, अश्विनी कुमार, कुमारी सैलजा जैसे नाम शामिल हैं।
राज्यसभा में हंगामे के बीच उप-सभापति पी.जे. कुरियन ने सर्वप्रथम पूर्वाह्न् 11.30 तक के लिए और उसके बाद दोपहर 12 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भी लगभग यही स्थिति रही, जिसे देखते हुए सभापति एम. हामिद अंसारी ने राज्यसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12.30 बजे तक के लिए और फिर दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
भोजनकाल के बाद भी सदन में कमोबेश वही मंजर देखने को मिला, जिस पर नकवी ने सभापति से आग्रह किया कि बवाली सदस्यों को सदन से बाहर कर देना चाहिए। नकवी ने कहा, “मेरी एक दरख्वास्त है। जो सदन की कार्यवाही नहीं चलने देना चाहते, उन्हें आगे की कार्यवाही से विश्राम दे देना चाहिए। उन्हें कुछ दिनों तक सदन के बाहर बैठने दिया जाए।” इसके जवाब में उप-सभापति कुरियन ने कहा, “मैं सहमत हूं।”
उधर लोकसभा में कांग्रेस सांसदों ने भारतीय जनता पार्टी सांसद वीरेंद्र सिंह की टिप्पणी का विरोध जारी रखते हुए उनसे बिना शर्त माफी मांगने की मांग की। कांग्रेस सदस्य यह कहते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए कि जब तक सिंह माफी नहीं मांगते तब तक के लिए उन्हें सदन से निलंबित किया जाए।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद भी सदन से बहिर्गमन कर गए। उनका कहना था कि सदन में पैदा हुई इस स्थिति को सामान्य बनाने के लिए सरकार की तरफ से कोई कोशिश नहीं की गई। कांग्रेस ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से वीरेंद्र सिंह की टिप्पणियों पर ऐतराज जताया था। गुरुवार को महाजन ने कांग्रेस सदस्यों के कार्यस्थगन प्रस्ताव को खारिज कर दिया और बताया कि सिंह की टिप्पणियों के विवादित हिस्से को सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया है।
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने यह मामला शून्यकाल में उठाया। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि सरकार भाजपा सदस्य का समर्थन कर रही है। संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने खड़गे की बात के जवाब में कहा कि सदन में बीते दो दिन से देश में सूखे की स्थिति पर चर्चा हो रही है, लेकिन कांग्रेस सदस्य लगातार अध्यक्ष के आसन को घेरे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री की तरफ पीठ कर नारेबाजी की और इस पर खेद नहीं जताया। यह दोहरा मानदंड कब तक चलेगा। वीरेंद्र सिंह ने सूखे पर चर्चा में भाग लेते हुए बुधवार को कांग्रेस नेताओं को चुनौती दी थी कि आखिर वे किसानों के बारे में कितना जानते हैं। उन्होंने राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिधिया पर कुछ टिप्पणियां की थीं, जिस पर कांग्रेस सांसदों ने आपत्ति जताई थी।
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बदल गई उपचुनावों की तारीख! यूपी, केरल और पंजाब में बदलाव पर ये बोला चुनाव आयोग
नई दिल्ली। विभिन्न उत्सवों के कारण केरल, पंजाब और उत्तर प्रदेश में विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे। कांग्रेस, भाजपा, बसपा, रालोद और अन्य राष्ट्रीय और राज्य दलों के अनुरोध पर चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है।
विभिन्न उत्सवों की वजह से कम मतदान की किसी भी संभावना को खारिज करने के लिए, चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है। ऐसे में ये साफ है कि अब यूपी, पंजाब और केरल में उपचुनाव 13 नवंबर की जगह 20 नवंबर को होंगे।
चुनाव आयोग के मुताबिक राष्ट्रीय और राज्य स्तर की पार्टियों की ओर से उनसे मांग की गई थी कि 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीख में बदलाव किया जाए, क्योंकि उस दिन धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम हैं। जिसके चलते चुनाव संपन्न करवाने में दिक्कत आएगी और उसका असर मतदान प्रतिशत पर भी पड़ेगा।
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