हेल्थ
नोएडा के स्कूल प्रधानाचार्यो एवं पाषर्दो के लिए ‘तम्बाकू संवेदीकरण कार्यशाला’
नोएडा, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)| जेपी अस्पताल ने ‘डिस्ट्रिक्ट टोबेको सेल’ एवं ‘आई कैन विन फाउन्डेशन’ के सहयोग से नोएडा और ग्रेटर नोएडा के स्कूली प्रधानाचार्यो एवं पार्षदों के लिए शुक्रवार को ‘तम्बाकू संवेदीकरण कार्यशाला’ का आयोजन किया।
लोगों को तम्बाकू सेवन के नुकसान के बारे में जागरुक बनाना इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य था। कार्यशाला के माध्यम से प्रतिभागियों को बताया गया कि कैसे स्कूलों, अस्पतालों, सार्वजनिक प्रशासन के संयुक्त प्रयासों द्वारा युवाओं को तम्बाकू से होने वाले जानलेवा रोगों से बचाया जा सकता है।
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि स्कूल एक ऐसी जगह है जहां बच्चे जीवन के महत्वपूर्ण सबक सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं। ऐसे में अध्यापकों के सहयोग से इस संदेश को बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जा सकता है और तम्बाकू की रोकथाम के मिशन को प्रभाविता से हासिल किया जा सकता है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार तम्बाकू भारत में पुरुषों एवं महिलाओं में होने वाले कैंसर के 30 फीसदी मामलों का कारण है। पुरुषों मंे मुख का कैंसर और इसके बाद फेफड़ों का कैंसर सबसे आम हैं। 42 फीसदी पुरुषों एवं 18.3 फीसदी महिलाओं की मौत का कारण तम्बाकू से होने वाला कैंसर ही है।
जेपी अस्पताल में सर्जिकल ओंकोलोजी के अपर निदेशक डॉ. पवन गुप्ता ने कहा, तम्बाकू कैंसर के मुख्य कारणों में से एक है। इस रोग में न केवल मरीज बल्कि उसका पूरा परिवार कष्ट उठाता है। हालांकि कैंसर के कई और कारण भी हैं, जो हमारे नियन्त्रण में नहीं हैं, किंतु तम्बाकू छोड़ना पूरी तरह से हमारे हाथ में हैं। उचित मार्गदर्शन एवं परामर्श द्वारा हम इस बुरी लत से छुटकारा पा सकते हैं।
गौतम बुद्ध नगर के जिला मजिस्ट्रेट बी.एन. सिंह ने कहा, युवाओं द्वारा तम्बाकू का सेवन हमारे देश के भविष्य को नष्ट कर रहा है। हमें सुनिश्चित करना होगा कि समाज कल्याण के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं को प्रभाविता से लागू भी किया जाए। स्कूलों को भी इस तरह की गतिविधियों पर निगरानी के लिए इन-हाउस सैल बनाने चाहिए। हम स्कूलों को इस पहल के लिए पूरा सहयोग एवं समर्थन प्रदान करेंगे।
लाइफ स्टाइल
साइलेंट किलर है हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी, इन लक्षणों से होती है पहचान
नई दिल्ली। हाई कोलेस्ट्रॉल की बीमारी एक ऐसी समस्या है, जो धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती है इसीलिए इसे एक साइलेंट किलर कहा जाता है। ये बीमारी शरीर पर कुछ संकेत देती है, जिसे अगर नजरअंदाज किया गया, तो स्थिति हाथ से निकल भी सकती है।
हालांकि, पिछले कुछ सालों में कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों के बीच जागरुकता बढ़ी है और सावधानियां भी बरती जाने लगी हैं। ऐसा नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल शरीर के लिए पूरी तरह से नुकसानदायक है। अगर यह सही मात्रा में हो, तो शरीर को फंक्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। चलिए जानते हैं इसी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाए तो क्या होगा?
जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा 200 mg/dL से अधिक हो जाती है, तो इसे हाई कोलेस्ट्रॉल की श्रेणी में गिना जाता है और डॉक्टर इसे कंट्रोल करने के लिए डाइट से लेकर जीवन शैली तक में कई बदलाव करने की सलाह देते हैं। अगर लंबे समय तक खून में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बनी रहे, तो यह हार्ट डिजीज और हार्ट स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।
हाई कोलेस्ट्रॉल को “साइलेंट किलर” क्यों कहते हैं?
हाई कोलेस्ट्रॉल को साइलेंट किलर इसलिए कहते हैं क्योंकि व्यक्ति के स्वास्थ्य पर इसका काफी खतरनाक असर पड़ता है, जिसकी पहचान काफी देर से होती है। इसके शुरुआती लक्षण बहुत छोटे और हल्के होते हैं, जिसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर जाते हैं और यहीं से यह बढ़ना शुरू हो जाते हैं। आखिर में इसकी पहचान तब होती है जब शरीर में इसके उलटे परिणाम नजर आने लगते हैं या फिर कोई डैमेज होने लगता है।
शरीर पर दिखने वाले कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को कैसे पहचानें?
हाई कोलेस्ट्रॉल के दौरान पैरों में कुछ महत्वपूर्ण लक्षण नजर आने लगते हैं, जिसे क्लाउडिकेशन कहते हैं। इस दौरान पैरों की मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और थकान महसूस होता है। ऐसा अक्सर कुछ दूर चलने के बाद होता है और आराम करने के साथ ही ठीक हो जाता है।
क्लाउडिकेशन का दर्द ज्यादातर पिंडिलियों, जांघों, कूल्हे और पैरों में महसूस होता है। वहीं समय के साथ यह दर्द गंभीर होता चला जाता है। इसके अलावा पैरों का ठंडा पड़ना भी इसके लक्षणों में से एक है।
गर्मी के मौसम में जब तापमान काफी ज्यादा हो, ऐसे समय में ठंड लगना एक संकेत है कि व्यक्ति पेरिफेरल आर्टरी डिजीज से जूझ रहा है। ऐसा भी हो सकता है कि यह स्थिति शुरुआत में परेशान न करे, लेकिन अगर लंबे समय तक यह स्थिती बनी रहती है तो इलाज में देरी न करें और समय रहते डॉक्टर से इसकी जांच करवाएं।
हाई कोलेस्ट्रॉल के अन्य लक्षणों में से एक पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बदलाव आना भी शामिल है। इस दौरान ब्लड वेसेल्स में प्लाक जमा होने लगते हैं, जिसके कारण ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है।
ऐसे में जब शरीर के कुछ हिस्सों में कम मात्रा में खून का दौड़ा होता है, तो वहां कि त्वचा की रंगत और बनावट के अलावा शरीर के उस हिस्से का फंक्शन भी प्रभावित होता है।
इसलिए, अगर आपको अपने पैरों की त्वचा के रंग और बनावट में बिना कारण कोई बदलाव नजर आए, तो हाई कोलेस्ट्रॉल इसका कारण हो सकता है।
डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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