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नोटबंदी के मुद्दे पर संसद में हंगामा, विपक्ष ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की
नई दिल्ली। विपक्ष ने संसद में लगातार तीसरे दिन नोटबंदी के मुद्दे को पूरे जोरशोर से उठाया। हंगामे के बीच सोमवार को दोनों सदनों की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई, जिसके कारण सदन का कामकाज प्रभावित हुआ। दोनों सदनों ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में रविवार को रेल हादसे का शिकार हुए लोगों के प्रति अपनी संवेदना भी प्रकट की।
कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सहित विपक्ष पूरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करता रहा। विपक्ष ने सभापति के आसन के सामने जमा होकर नारा लगाया, गली गली में शोर है, नरेंद्र मोदी चोर है और जनविरोधी नरेंद्र मोदी, होश में आओ होश में आओ।
भोजनावकाश से पहले लोकसभा की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी, जिसके बाद दो बजे अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी।
कांग्रेस व माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित विपक्षी सदस्यों ने नोटबंदी के बाद बैंको की कतार में लगे लोगों की मौत पर शोक जताने तथा प्रधानमंत्री के सदन में उपस्थित होने की मांग को लेकर हंगामा किया, जिसके कारण राज्यसभा की कार्यवाही भोजनावकाश से पहले चार बार स्थगित करनी पड़ी।
लोकसभा में नौवाहन विभाग (क्षेत्राधिकार और समुद्री दावों का निपटान) विधेयक तथा सेरोगेसी (विनियमन) विधेयक पेश किया गया। सुबह में जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुदीप बंदोपाध्याय ने नोटबंदी पर चर्चा के लिए अध्यक्ष से स्थगन प्रस्ताव को मंजूरी देने की मांग की, लेकिन अध्यक्ष ने मना कर दिया। तृणमूल तथा कांग्रेस सदस्य अध्यक्ष की आसंदी के निकट पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारे लगाने लगे। संसदीय मामलों के मंत्री एच.एन.अनंत कुमार ने आंदोलित सदस्यों से सदन की कार्यवाही सुचारू पूर्वक चलने देने का आग्रह किया, लेकिन वे नहीं माने। कुमार ने कहा कि सरकार नोटबंदी के कारण लोगों को हो रही परेशानी सहित किसी भी मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने नारे लगाते सदस्यों से कहा, चर्चा होने दीजिए। सरकार आपके सभी सवालों का जवाब देने के लिए तैयार है। प्रश्नकाल के दौरान, विपक्षी सदस्यों ने चिल्लाना शुरू कर दिया, गली-गली में शोर है, मोदी सरकार चोर है।
वहीं, राज्यसभा में सरकार ने विपक्ष पर चर्चा से भागने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने नोटबंदी के कारण बैंकों के बाहर कतार में खड़े होने के दौरान मरने वाले लोगों के प्रति शोक प्रकट करने की मांग की है। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, भीषण रेल हादसे में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जताने में हम सरकार के साथ हैं। लेकिन नोटबंदी के कारण मरे 70 लोग भी हमारे ही देश के निवासी हैं।
माकपा नेता सीताराम येचुरी ने कहा, 11 बैंक कर्मचारियों सहित लगभग 70 लोगों की मौत हो चुकी है। सदन को नोटबंदी पर चर्चा से पहले उन लोगों के प्रति संवेदना जतानी चाहिए। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विपक्ष पर सदन की कार्यवाही को जानबूझकर बाधित करने का आरोप लगाया।
बाद में चौथी बार सदन की कार्यवाही 12.30 बजे शुरू हुई, जिसके बाद विपक्ष ने एक बार फिर हंगामा किया। इसके बाद संसदीय मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि विपक्ष इस तरह का माहौैल बना रहा है, जैसे वह काले धन के पक्ष में हो।
नकवी ने कहा, देश में माहौल काले धन के खिलाफ तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (नोटबंदी पर) के पक्ष में है और उन्होंने काले धन के खिलाफ क्रांति का सूत्रपात किया है। एक बार फिर जब दो बजे सदन की कार्यवाही शुरू हुई, रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन द्वारा रविवार को हुए रेल हादसे पर दिए बयान पर विपक्ष ने आपत्ति जताई। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, सदन को महत्व नहीं दिया जा रहा है। वह (गोहेन) कैबिनेट मंत्री नहीं हैं। रेल मंत्री व्यस्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि रेल मंत्री सुरेश प्रभु को सदन में आकर बयान देना चाहिए। शर्मा ने कहा, हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री को सदन के समक्ष आना चाहिए। पांचवीं बार कार्यवाही स्थगित होने के बाद राज्य सभा की कार्यवाही बाद में अपराह्न तीन बजे पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
प्रादेशिक
IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी
महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।
कौन हैं IPS संजय वर्मा?
IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।
कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।
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