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पाकिस्तान चुनाव : महिलाएं बढ़ा रहीं दखल
नई दिल्ली, 24 जुलाई (आईएएनएस)| पड़ोसी देश पाकिस्तान में बुधवार को नेशनल असेम्बली की 272 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहा है, जिसमें 171 महिलाएं किस्मत आजमा रही हैं। यह पहला मौका है, जब इस देश में इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं चुनाव लड़ रही हैं। इन 171 महिलाओं में 70 निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो किसी पार्टी का टिकट न मिलने के बावजूद अपने दम पर चुनावी मैदान में उतरी हैं।
बड़ी तादाद में महिलाओं का चुनाव लड़ना यह संकेत देता है कि आधी आबादी अब चुप रहकर सबकुछ सहते रहना नहीं चाहतीं। वे घर ही देहरी लांघकर सत्ता के गलियारों तक पहुंचना चाहती हैं, ताकि उनके हालात बदलें। यह राह आसान नहीं है, यही वजह है कि पाकिस्तान की राजनीति में बेनजीर भुट्टो के बाद अब तक कोई महिला नेता अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज नहीं करा पाई है।
पाकिस्तान में महिलाओं की दुर्दशा दुनिया से छिपी नहीं है, यहां तक कि राजनीतिक दलों में भी महिलाओं का शोषण रहा है। आजकल पाकिस्तानी नेता इमरान खान की पत्नी रेहम खान की एक किताब खासा चर्चा में है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के राजनीतिक दलों में महिलाओं की दुर्दशा भी बयां की है।
पाकिस्तान की राजनीति कभी भी महिलाओं के लिए माकूल नहीं रही है। इस पर रोशनी डालते हुए अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार पुष्पेश पंत कहते हैं, पाकिस्तान की राजनीति अलग तरह की रही है। यहां की महिला नेताओं की संख्या को आप उंगलियों पर गिन सकते हैं। जिस मुल्क में महिलाओं को शुरू से ही दबाकर रखा गया हो, वहां राजनीति में उनके लिए कितने कांटे होंगे, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। देश में दो साल पहले हुए निकाय चुनाव में भी बड़ी संख्या में महिलाएं चुनाव लड़ी थीं।
वह कहते हैं, इसका दूसरा पहलू भी है। अभी कहीं पढ़ा कि किसी निर्वाचन क्षेत्र में एक महिला उम्मीदवार के चुनावी पोस्टर से उसका चेहरा नदारद है। उसकी जगह पोस्टर में पति की तस्वीर छपी है। चुनाव पत्नी लड़ रही है, लेकिन तस्वीर पति की है। साफ है कि चुनाव जीतने के बाद कुर्सी पर तो पति ही बैठेगा। ऐसा हमारे यहां पंचायत चुनावों में दखने को मिलता है।
वेबसाइट ‘गल्फ न्यूज’ के मुताबिक, इस चुनाव में 18 साल से अधिक उम्र की लगभग एक करोड़ महिलाएं इस बार वोट नहीं दे पाएंगी। क्यों? इसका जवाब खोजने पर भी नहीं मिला। अब आप हिसाब लगाएं कि पाकिस्तान में 9.7 करोड़ से ज्यादा मतदाता पंजीकृत हैं, जिसमें से सिर्फ 4.3 करोड़ महिला मतदाता हैं, जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 5.5 करोड़ से अधिक है। अब यदि इन 4.3 करोड़ महिला मतदाताओं में से एक करोड़ महिलाएं वोट ही नहीं दे पाएंगी तो संख्या हुई 3.3 करोड़। क्या गारंटी है कि बाकी की सभी महिलाएं वोट देंगी?
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में राजनीतिक विभाग की सहायक प्रोफेसर फराह नाज कहती हैं, पाकिस्तान के राजनीतिक दलों में ही महिलाओं का शोषण होता है, बाकी जगह तो भूल ही जाइए। जब तक इस मुल्क की महिलाएं बड़ी तादाद में चुनाव लड़कर सत्ता के गलियारों में नहीं बैठेंगी, इनके हालात भी नहीं बदलने वाले। एक बात और कि पाकिस्तान में स्वायत्त यौन शोषण निवारण आयोग बनाए जाने की सख्त जरूरत है।
नाज हालांकि कहती हैं, ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में बदलाव नहीं आ रहा है। बदलाव धीरे-धीरे ही सही, हो रहा है। देश की सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस बार महिलाओं को टिकट दिए हैं। एक महिला उम्मीदवार तो ऐसी सीट से चुनाव लड़ रही हैं, जहां कभी महिलाओं को मतदान करने की इजाजत ही नहीं थी। सिंध सीट से तो हिंदू महिला उम्मीदवार दावेदारी पेश कर रही हैं। शाहरुख खान की चचेरी बहन नूरजहां भी चुनावी अखाड़े में हैं, यानी महिलाओं ने पाकिस्तान की राजनीति की तस्वीर बदलने की तैयारी कर ली है।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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