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मुख्य समाचार

पीसीबी चेयरमैन के पद पर फिर लौटे एहसान मनी

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लाहौर, 4 सितम्बर (आईएएनएस)| अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के पूर्व अध्यक्ष एहसान मनी की एक बार फिर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के चेयरमैन के रूप में वापसी हुई है। मनी ने इससे पहले, 1989 से लेकर 1996 तक आईसीसी में पीसीबी का प्रतिनिधित्व किया था। वह आईसीसी अध्यक्ष भी रहे हैं।

वेबसाइट ‘ईएसपीएन’ की रिपोर्ट के अनुसार, एहसान को तीन साल की अवधि के लिए निर्विरोध रूप से पीसीबी का नया चेयरमैन चुना गया है।

एहसान को नजम सेठी के स्थान पर पीसीबी का चेयरमैन चुना गया। सेठी ने पिछले माह चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था। एहसान पीसीबी के चेयरमैन के खाली पद के लिए नामांकन भरने वाले एकमात्र उम्मीदरवार थे। ऐसे में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से उन्हें वोट दिए।

अंतरिम चेयरमैन और चुनाव आयुक्त न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) अफजल हैदर की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक हुई। इसके बाद एहसान ने तुरंत प्रभाव के साथ पीसीबी के चेयरमैन का पद संभाल लिया। उन्होंने इसके बाद बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बीओजी) के सदस्यों के साथ एक छोटी बैठक भी की।

पीसीबी चेयरमैन पद के लिए चुनाव औपचारिकता मात्र थे, क्योंकि एहसान को इस पद के लिए पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी इमरान खान ने पहले ही नामांकित कर दिया था।

एहसान ने 1996 में पीसीबी के चेयरमैन पद से हटने के बाद उसी साल से लेकर 2002 तक आईसीसी के वित्त और विपणन समिति के निदेशक के रूप में काम किया। इसके बाद 2003 से लेकर 2006 तक उन्होंने आईसीसी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियां संभालीं।

पीसीबी के चेयरमैन पद को संभालने के बाद एहसान के लिए सबसे पहला काम भारत के खिलाफ नहीं खेली जा सकीं दो द्विपक्षीय श्रृंखलाओं को लेकर पूर्व चेयरमैन सेठी द्वारा शुरू की गई कानूनी लड़ाई की समीक्षा करना है।

इसके बाद वह पाकिस्तान सुपर लीग (पीएसएल) पर भी ध्यान देंगे। पीएसएल को वाणिज्यिक और टेलीविजन अधिकारों का इंतजार है।

एहसान ने सोमवार को ही पाकिस्तान की राष्ट्रीय टीम के कोचिंग स्टॉफ से मुलाकात कर ली थी। पाकिस्तान की 18 सदस्यीय क्रिकेट टीम एशिया कप से पहले गद्दाफी स्टेडियम में जारी शिविर में अभ्यास कर रही है।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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