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पुणे में क्लाइमेट-रेसिलिएंट खेती मॉडल ने जीता इक्वेटर पुरस्कार
महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित नांदेड़ जिला स्थित अपने गांव में वनिता साहेबराव (60) को अपनी सात एकड़ जमीन पर सोयाबीन, जवार तथा कपास के उत्पादन के लिए साल 2012 तक सालाना 40 हजार रुपये खर्च करने पड़ते थे। यह जिला मराठवाड़ा का हिस्सा है, जो सूखा व किसानों की खुदकुशी के लिए जाना जाता है।
वनिता के पति चीनी मिल में काम करते हैं, जिन्होंने किसानी का पूरा काम उनपर छोड़ दिया है। अपनी खेत में वह कुछ सब्जियां व दालें भी उगा लेती थीं, लेकिन यह उन्हें बेहद महंगा पड़ता था, क्योंकि उन्हें इसके लिए रसायनों व बाजार से खरीदे गए बीजों पर निर्भर रहना पड़ता था। वह दो एकड़ जमीन में केवल कपास उगाती थीं।
नकदी फसल पर केंद्रित होने का मतलब है दो एकड़ जमीन का खेती के लिए इस्तेमाल नहीं होना, क्योंकि कपास सालों भर खेत में लगी रहने वाली फसल है। सूखा प्रभावित क्षेत्र में प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों तथा बदलते बाजार परिदृश्य में न तो उनके पास और न ही उनके परिवार के पास आजीविका के लिए कोई वैकल्पिक स्रोत था, जिससे उनकी नियमित आय होती रहे।
लेकिन पांच साल पहले इसमें बदलाव आया, जब उन्होंने तथाकथित ‘वन-एकड़ मॉडल’ अपनाया। यह मॉडल क्लाइमेट-रेसिलिएंट कृषि का नवाचार तरीका है। आधे एकड़ में शुरुआत के साथ ही आज की तारीख में वह 3.5 एकड़ भूमि का प्रबंधन कर रही हैं और सब्जियां, गेहूं, दालें व हल्दी का उत्पादन कर रही हैं, जो 100 फीसदी जैविक हैं।
नकदी फसल पर अपना ध्यान केंद्रित करने की बजाय, वनिता को परिवार के लिए पोषण की जरूरतें पूरी करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। सूखे के दौरान उन्होंने परिवार में खपत होने वाली फसलें उगाईं। बाकी बचे उत्पादों को उन्होंने बाजार में बेचकर 45,000 रुपये की कमाई की।
वनिता मराठवाड़ा की उन 72,000 महिला किसानों में से एक है, जिनके जीवन को स्वयं शिक्षण प्रयोग (एसएसपी) ने बदल दिया। एसएसपी पुणे का एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो महिलाओं को सतत कृषि कार्यो तथा प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने के लिए सशक्त कर रहा है, ताकि उन्हें नियमित आय हो, उनका स्वास्थ्य बेहतर रहे तथा क्षेत्र में खाद्य एवं जल सुरक्षा सुनिश्चित हो।
किसानों को बेहद प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने में सक्षम बनाने के लिए यूएनडीपी द्वारा इस साल दिए गए इक्वेटर पुरस्कार के 15 विजेताओं में एसएसपी भी है। साल 2009 में शुरू हुए संगठन की पहल ने पिछले दो वर्षो के दौरान 20,000 से अधिक महिलाओं को इलाके में सशक्त किया है।
वन-एकड़ मॉडल के तहत, पोषण सुरक्षा, मिट्टी की उर्वरता, कृषि-जैव विकास तथा आय व्यवहार्यता के लिए फसल उगाया जाता है। परिवार की रसोई को चलाने वाली एवं बच्चों को पालने वाली महिलाएं अपने परिवार के पोषण की जरूरतों को पुरुषों से ज्यादा समझती हैं और यही कारण है कि यह कार्यक्रम महिलाओं के लिए डिजाइन किया गया है।
एसएसपी के कार्यक्रम की प्रबंधक अंजलि वर्मा ने कहा, पुरुष आय के उपार्जन के लिए नकदी फसल पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि महिलाएं परिवार के पोषण की जरूरतों को समझती हैं और यह जरूरी है कि वे यह फैसला लें कि कौन सी फसल बोई जाए, जिससे न सिर्फ संकट काल में परिवार के लिए अनाज मौजूद रहे, बल्कि आय भी हो।
मराठवाड़ा में जहां सैकड़ों किसान बीते पांच वर्षो के सूखे के दौरान खुदकुशी कर चुके हैं, वहां उन महिलाओं का जीवन बेहद कठिन हो चला है, जिन्हें अपने परिवार की आजीविका चलानी है। उन्होंने कहा, अगर आप खुदकुशी के मामलों को देखें, तो ऐसा करने वाले केवल पुरुष ही हैं। महिलाओं के लिए जीवन का त्याग करना आसान विकल्प नहीं है। वे ताउम्र अपने परिवार के लिए संघर्ष करती हैं।
मराठवाड़ा में कार्यक्रम से लाभ उठाने वाली महिला शैला नारोड़ ने कहा, मराठवाड़ा केवल किसानों की खुदकुशी के बारे में नहीं है। यह हमारे जैसे लोगों के बारे में भी है, जिन्होंने सूखा तथा किस्मत को चुनौती दे रखी है।
नेशनल
केरल के कन्नूर जिले में चोरों ने व्यवसायी के घर से उड़ाए एक करोड़ रुपये, सोने के 300 सिक्के
कन्नूर। केरल के कन्नूर जिले में चोरों के एक गिरोह ने वालापट्टनम में एक व्यवसायी के घर से एक करोड़ रुपये की नकदी और सोने की 300 गिन्नियां चुरा लिए। पुलिस ने सोमवार को यह जानकारी दी।पुलिस के मुताबिक चोरी की यह घटना उस समय हुई जब व्यवसायी और उसका परिवार एक विवाह समारोह में भाग लेने के लिए तमिलनाडु के मदुरै गए हुए थे। उन्होंने बताया कि चोरी का पता तब चला जब रविवार रात को व्यवसायी का परिवार घर लौटा और लॉकर में रखा कीमती सामान गायब पाया।
सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घर के सभी लोग 19 नवंबर से ही घर से बाहर थे। और संदेह है कि चोरों ने रसोई की खिड़की की ग्रिल काटकर घर में प्रवेश किया। सीसीटीवी फुटेज में तीन लोगों को दीवार फांदकर घर में घुसते देखा जा सकता है।
चोरों को लिए गए फिंगरप्रिंट
पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार ने मीडिया को बताया कि नकदी, सोना और अन्य कीमती सामान आलमारी में बंद करके रखे गए थे। इसकी चाबी दूसरे कमरे में रखी गई थी। पुलिस और ‘फिंगरप्रिंट’ (अंगुलियों के निशान) लेने वाले विशेषज्ञों की एक टीम घर पहुंची और सुबूत एकत्र किए तथा आरोपियों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाश अभियान चलाया गया है।
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