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मुख्य समाचार

प्रणव के आरएसएस समारोह में शामिल होने पर बहस की जरूरत नहीं : भागवत

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नागपुर, 7 जून (आईएएनएस)| राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने यहां संघ के मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के शामिल होने पर सभी आलोचनाओं को खारिज कर दिया और कहा कि यहां उनकी (प्रणव की) उपस्थिति बहस का मुद्दा नहीं होना चाहिए।

भागवत ने कहा, यह परंपरा रही है कि हम तृतीय वर्ष वर्ग समारोह के लिए विभिन्न क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियों को बुलाते रहे हैं। हम केवल उसी परंपरा का पालन कर रहे हैं। इस समय हो रही बहस का कोई मतलब नहीं है।

भागवत ने कहा, सभी कोई इस देश में प्रणव मुखर्जी के व्यक्तित्व को जानते हैं। हम आभारी हैं कि हमें उनसे कुछ सीखने को मिला। कैसे प्रणवजी को बुलाया गया और कैसे वह यहां आए, यह बहस का मुद्दा नहीं है। संघ, संघ है, प्रणव, प्रणव हैं। प्रणव मुखर्जी के इस समारोह में शामिल होने पर कई तरह की बहस चल रही है, लेकिन हम किसी को भी अपने से अलग नहीं समझते हैं।

प्रणव के इस समारोह में शामिल होने पर कांग्रेस और वामपंथी पार्टी के कई नेताओं समेत उनकी बेटी ने भी आलोचना की थी।

भागवत ने कहा, संघ केवल पूरे समाज को संगठित करना चाहता है। हम सभी को अपनाते हैं, हम केवल समाज के एक धड़े के लिए नहीं हैं। आरएसएस विविधता में एकता पर विश्वास करता है। भारत में जन्मा हर नागरिक भारतीय है। मातृभूमि की पूजा करना उसका अधिकार है। हम भारतीय एक व संगठित हैं।

आरएसएस प्रमुख ने कहा कि भारत के पास प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन है और इसलिए यहां जीने के लिए कभी किसी से लड़ने की जरूरत नहीं हुई। भारत ने बाहर से आने वाले सभी लोगों को रहने दिया है। कई महान लोगों ने इस देश के लिए अपना जीवन दिया।

उन्होंने कहा, कई बार हममें मतभेद होते हैं लेकिन हम एक ही मिट्टी, भारत की संतान हैं। विविधता को स्वीकार किया जाना चाहिए, यह अच्छा है। हम सभी इस विविधता के बावजूद एक हैं। सरकार अकेले कुछ नहीं कर सकती, नागरिकों को भी योगदान देना होगा। इसके बाद ही देश में बदलाव हो सकता है।

भागवत ने कहा, सभी को राजनीतिक विचार रखने का अधिकार है लेकिन विचारों का विरोध करने की एक सीमा होनी चाहिए। हमें इस बात का अहसास होना चाहिए कि हम एक ही देश के बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं लेकिन कुछ समूह केवल बात करने से अधिक का लक्ष्य रखते हैं। सरकार बहुत कुछ कर सकती है लेकिन सब कुछ नहीं कर सकती है।

उन्होंने कहा, हमें खुद से अपनी भूमिका तय करने की जरूरत है। केवल इससे ही देश में बदलाव आ सकता है। स्वतंत्रता के पहले, सभी इस बात से सहमत थे कि हम मिलकर देश के लिए काम करेंगे। राजनीतिक मतभेद अब हमें बांट रहे हैं। राष्ट्र का भविष्य आम नागरिकों पर निर्भर करता है। जब नागरिक अपनी आकांक्षाओं को किनारे रखने के लिए इच्छुक होंगे तभी एक देश बेहतरी के लिए बदलेगा।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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