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प्रताड़ना, तिरस्कार ने ‘शिमला’ को दिया लड़ने का हौसला!

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भोपाल | विषम परिस्थितियां कई लोगों को तोड़ देती हैं तो कइयों को लड़ने का हौसला भी दे जाती हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की शिमला शुक्ला के साथ। उनके इसी साहस को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में सम्मानित किया गया है। उन्हें सुमित्रा जिज्जी स्मृति सम्मान से नवाजा गया है।

अन्य लड़कियों की तरह शिमला भी एक थी, जिसने शादी के समय सुनहरे सपने देखे थे। मगर उसके इन सपनों को टूटते देर नहीं लगी। फतेहगढ़ में उसकी शादी हुई, कुछ ही दिनों बाद शिमला के पति का असली चेहरा सामने आने लगा। वह शराब पीता और उसे तरह-तरह से प्रताड़ित करता। शिमला बताया कि उसे छत से भी नीचे फेका गया। पति दहेज चाहता था मगर माता-पिता की हैसियत उसकी मांग पूरी करने की नहीं थी। उसके एक बेटा और बेटी थी, पति की प्रताड़ना के आगे वह अपने को हारा हुआ महसूस करने लगी और आत्महत्या जैसे कदम उठाने का विचार मन में आया, मगर बच्चों का चेहरा उसके सामने आ जाता था। शिमला बताती है कि एक दिन देर रात उसने अपने बेटे-बेटी के साथ घर छोड़ दिया, और एक रेलगाड़ी में बैठकर बांदा के लिए चल पड़ी। उसके पास एक दिन काटने के लिए पैसा नहीं था, मगर बांदा पहुंचने पर उसे परिचितों का ऐसा साथ मिला कि उसमें लड़ने का जज्बा जाग उठा।

आज शिमला का बेटा और उसकी बेटी स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं, वहीं शिमला खुद सिलाई कढ़ाई करके परिवार चला रही है। अब तो वे उन गरीब बालिकाओं को निशुल्क सिलाई-कढाई सिखा रही हैं, जो स्वावलंबी बनकर कुछ कर गुजरना चाहती हैं। दोनों बच्चे ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए हैं, वे भी गरीब बच्चों को निशुल्क ट्यूशन पढ़ाते हैं। शिमला कहती है कि उसका परिवार आज ठीक चल रहा है। बच्चों का जीवन संवर जाए, यही उम्मीद लेकर वह चल रही है। उन्हें इस बात का अफसोस नहीं है कि पति की ओर से तिरस्कार व प्रताड़ना मिली, मगर आत्मसंतोष इस बात का है कि वे भी समाज के उन लोगों के काम आ रही हैं, जिन्हें रोजगार हासिल करने के लिए किसी के सहयोग की जरूरत है। वह विपरीत हालात से जूझती महिलाओं को संदेश देती है, “हार नहीं मानना चाहिए, बल्कि उससे मुकाबला करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जो लोग संघर्ष करते हैं समाज भी उनका साथ देता है।”

शिमला के संघर्ष को सराहते हुए रविवार को राजधानी भोपाल में आयोजित एक समारोह में उन्हें सुमित्रा जिज्जी स्मृति सम्मान से नवाजा गया। शिमला को सम्मान के तौर पर 11 हजार रुपये नगद, शाल, श्रीफल व प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए हैं। साहित्यकार गोविंद मिश्र अपनी मां की स्मृति में हर वर्ष एक ऐसी महिला का सम्मान करते हैं, जिसने विपरीत हालात से लड़ाई लड़ी हो। मिश्र का कहना है कि उनकी संस्था का साहसी व विपरीत हालात से लड़ने वाली महिलाओं का सम्मान करने का मकसद है कि दूसरी महिलाएं भी उनके बारे में जानें और हालात के आगे समर्पण न करें।

 

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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