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प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा दे चुके हैं कई बड़े फैसले

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नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)| देश के प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा कई महत्वपूर्ण फैसले देने वाले न्यायाधीश के रूप में जाने जाते हैं। 63 वर्षीय न्यायमूर्ति मिश्रा 13 महीने, छह दिन तक प्रधान न्यायाधीश पद पर रहेंगे और अक्टूबर 2018 में सेवानिवृत्त होंगे।

न्यायमूर्ति मिश्रा बेहद शिक्षित व्यक्ति माने जाते हैं, खासकर प्राचीन भारतीय धर्मग्रंथों व साहित्य के विद्वान माने जाते हैं।

न्यायमूर्ति मिश्रा ने ओडिशा उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस के साथ शुरुआत की थी। उन्हें 17 जनवरी, 1996 को ओडिशा उच्च न्यायालय का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

उन्हें तीन मार्च, 1997 को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया। वह 19 दिसंबर, 1997 को स्थायी तौर पर न्यायाधीश बना दिए गए।

उन्हें 23 दिसंबर, 2009 को पटना उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 24 मई, 2010 को उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय बतौर मुख्य न्यायाधीश स्थानांतरित कर दिया गया।

न्यायाधीश मिश्रा को 10 अक्टूबर, 2010 को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।

प्रधान न्यायाधीश मिश्रा देश के उन न्यायाधीशों में गिने जाते हैं, जिन्हें कानून की बेहद बारीक जानकारियां हैं।

अपने एक ऐतिहासिक फैसले में न्यायमूर्ति मिश्रा ने एक दुष्कर्म के आरोपी और पीड़िता के बीच समझौते के तौर पर विवाह की बात नकार दी थी।

दिल्ली के बेहद दर्दनाक निर्भया सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखने का फैसला भी न्यायमूर्ति मिश्रा ने ही दिया था। उन्होंने अपने फैसले में कहा था, अगर कोई मामला फांसी की मांग करता है तो तो वह यही मामला है।

सिने कॉस्टूयम एंड मेकअप आर्टिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा किसी महिला मेकअप आर्टिस्ट या हेयर ड्रेसर को सदस्य बनाए जाने पर लगाए गए प्रतिबंध को खत्म करने का फैसला देने वाली पीठ के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मिश्रा ही थे।

न्यायमूर्ति मिश्रा सर्वोच्च न्यायालय की उस संविधान पीठ में भी शामिल थे, जिसने फैसला सुनाया था कि आपराधिक मानहानि असंवैधानिक नहीं है।

न्यायमूर्ति मिश्रा को जिस फैसले ने आम लोगों में मशहूर किया, वह था सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किए जाने का फैसला।

इसके अलावा वह उत्तराखंड में हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के केंद्र सरकार के आदेश को खारिज करने वाली पीठ के भी अध्यक्ष रहे।

न्यायमूर्ति मिश्रा को न्यायमूर्ति पी. सी. पंत और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय के साथ बंबई श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में अपराधी याकूब मेमन की मृत्युदंड के खिलाफ आखिरी मिनट में दायर की गई याचिका पर आधी रात को सुनवाई करने के लिए भी याद किया जाएगा।

न्यायमूर्ति मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ही भारतीय क्रिकेट में सुधारों को लेकर क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के ढांचे व कार्यप्रणाली में बदलाव के मामले की सुनवाई कर रही है।

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बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या पर कर्नाटक में FIR दर्ज, फेक न्यूज फैलाने का है आरोप

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बेंगलुरु। बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या पर कर्नाटक में एफआईआर दर्ज हुई है। तेजस्वी पर एक किसान की आत्महत्या के मामले को वक्फ बोर्ड के साथ भूमि विवाद से जोड़कर फर्जी खबर फैलाने का आरोप है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि किसान की आत्महत्या का कारण कर्ज और फसल खराबी था, न कि जमीन का विवाद। इस मामले ने कर्नाटक में राजनीति को गरमा दिया है।

हावेरी जिले के पुलिस अधीक्षक ने इस मामले में बताया कि किसान की मौत जनवरी 2022 में हुई थी। उन्होंने कहा कि किसान ने आत्महत्या की वजह कर्ज और फसल नुकसान बताया गया था। पुलिस ने मामले की जांच पूरी करके रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी थी। सूर्या की पोस्ट के बाद इस घटना को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई, और सोशल मीडिया पर चर्चाएं शुरू हो गईं।

कन्नड़ न्यूज पोर्टल के संपादकों पर भी FIR दर्ज

इस मामले में केवल तेजस्वी सूर्या ही नहीं, बल्कि दो कन्नड़ न्यूज़ पोर्टल के संपादकों के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है। इन पोर्टल्स ने एक हेडलाइन में दावा किया कि किसान की आत्महत्या वक्फ बोर्ड के भूमि विवाद से जुड़ी थी। पुलिस का कहना है कि इस प्रकार की गलत जानकारी किसानों में तनाव फैला सकती है और इसीलिए मामला दर्ज किया गया है।

वहीँ एफआईआर दर्ज होने के बाद तेजस्वी सूर्या ने इसपर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि हाल ही में वक्फ भूमि के नोटिसों ने किसानों के बीच चिंता बढ़ाई है, जिसके चलते उन्होंने प्रारंभिक रिपोर्ट पर विश्वास किया।

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