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प्रादेशिक

बड़ी और रसीली होगी बिहार की लीची

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मुजफ्फरपुर (बिहार)। लीची के लिए मशहूर बिहार राज्य में इस वर्ष लीची खूब रसीली होगी। लगातार पुरवा हवा चलने और बारिश के कारण लीची की थोड़ी देर से तैयार होगी, लेकिन मीठी एवं आकार में बड़ी होने की उम्मीद है।

राज्य में लीची की उत्पादकता को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने 2001 में मुजफ्फरपुर में लीची के लिए एक राष्ट्रीय शोध संस्थान (एनआरसी) की स्थापना की। बिहार में वैसे कई जिलों में लीची के बाग हैं, लेकिन मुजफ्फरपुर लीची की खेती का मुख्य केन्द्र है। राष्ट्रीय शोध संस्थान के निदेशक डॉ. विशाल नाथ ने बताया कि इस साल राज्य में लीची बेहद रसीली होने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान तापमान में वृद्धि होने से लीची में लाली आ रही है। कई बागों में लीची अभी भी हरी हैं। इस वर्ष लीची देरी से पकेगी, लेकिन आकार और मिठास बेहतर होने की उम्मीद है। नाथ ने बताया, “लीची पकने में अब 10 से 12 दिन का समय लगेगा। उसका बीज पूरी तरह विकसित हो गया है। पुरवा हवाओं के बीच मिठास धीरे-धीरे आती है।”

वह कहते हैं कि आंधी चलने के कारण लीची के उत्पादन में इजाफा होने की संभावना नहीं के बराबर है। लीची के पकने के लिए 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना जाता है। जानकारों का कहना है कि पछुवा हवा चलने के कारण लीची में रंग और मिठास जल्दी आती है। इस बार अभी तक तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के पार नहीं पहुंचा है, जो लीची के लिए बहुत उत्तम है।

वहीं, लीची के बाग मालिकों का कहना है कि फलों का आकार भी पिछले वर्ष की तुलना में ठीक है। अभी तक पछुआ हवा अधिक नहीं चली है, जिस कारण जमीन में नमी बरकरार है। डॉ. नाथ ने बताया कि गर्मी ज्यादा होने और बारिश न होने से लीची के आकार में तो कोई खास फर्क नहीं पड़ता, लेकिन उसका रस और गूदा प्रभावित होता है। वह बताते हैं कि राज्य में शाही, चाइना, लौगिया, बेखना सहित कई प्रकार की लीची की खेती होती है, लेकिन मुजफ्फरपुर में शाही और चाइना लीची का उत्पादन सर्वाधिक होता है।

मुजफ्फरपुर के लीची किसान मणिदेव ने कहा, “इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में लीची का उत्पादन कम जरूर होगा, क्योंकि लीची पर फूल आते ही कई बार आंधी आई थी, जिस कारण उसके फूल गिर गए।” देश में उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम और बिहार में लीची की खेती की जाती है, लेकिन देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत है। बिहार में 30,600 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर लीची के बाग हैं।

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उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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