उत्तराखंड
बद्रीनाथ पहुंचा मंदिर समिति का 55 सदस्यीय दल
गोपेश्वर । बद्रीनाथ के कपाट खुलने से पहले बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति का 55 सदस्यीय दल बद्रीनाथ पहुंचा। कपाट खुलने से पहले मंदिर व से संबंधित तैयारियों को अमलीजामा पहनाने के लिए यह दल पहुंचा है। दल का नेतृत्व बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह कर रहे हैं।
बद्रीनाथ के कपाट छह मई को खुलने हैं। कपाट खुलने से पहले मंदिर से संबंधित व्यवस्था को ठीक-ठाक करने के लिए कर्मचारियों के साथ-साथ मजदूर भी पहुंचे है जो रंगरोगन तथा आवश्यक संसाधनों को पूरा करेंगे। शीतकाल में कपाट बंद थे अतरू बर्फ से हुए नुकसान का भी जायजा लेकर व उससे हुई टूट फूट को ठीक किया जाएगा।
मंदिर समिति का यह दल मंगलवार को बद्रीनाथ गया मगर मंगलवार रात्रि और बुधवार को बद्रीनाथ में हिमपात हो गया जिससे वहां गये कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मगर फिर भी कार्य चल रहा है। बीकेटीसी के सीओ ने बताया कि इस बार बर्फ से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। परंतु फिर भी आवश्यक तैयारियों के लिए कर्मचारी और अधिकारी तथा मजदूर बद्रीनाथ पहुंचकर कार्य करने में लग गये हैं।
उत्तराखंड
शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद
उत्तराखंड। केदारनाथ धाम में भाई दूज के अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल का आगमन हो चुका है। बाबा केदार के कपाट रविवार सुबह 8.30 बजे विधि-विधान के साथ बंद कर दिए गए। इसके साथ ही इस साल चार धाम यात्रा ठहर जाएगी। ठंड के इस मौसम में श्रद्धालु अब अगले वर्ष की प्रतीक्षा करेंगे, जब कपाट फिर से खोलेंगे। मंदिर के पट बंद होने के बाद बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल की ओर रवाना हो गई है।इसके तहत बाबा केदार के ज्योतिर्लिंग को समाधिरूप देकर शीतकाल के लिए कपाट बंद किए गए। कपाट बंद होते ही बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, उखीमठ के लिए प्रस्थान किया।
बता दें कि हर साल शीतकाल की शुरू होते ही केदारनाथ धाम के कपाट बंद कर दिया जाते हैं. इसके बाद बाबा केदारनाथ की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए रवाना होती है. अगले 6 महीने तक बाबा केदार की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होती है.
उत्तरकाशी ज़िले में स्थिति उत्तराखंड के चार धामों में से एक गंगोत्री में मां गंगा की पूजा होती है। यहीं से आगे गोमुख है, जहां से गंगा का उदगम है। सबसे पहले गंगोत्री के कपाट बंद हुए हैं। अब आज केदारनाथ के साथ-साथ यमुनोत्री के कपाट बंद होंगे। उसके बाद आखिर में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद किए जाएंगे।
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