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बिजनेस

बालको को मिला कम्युनिटी इनिशिएटिव अवार्ड

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बालकोनगर| भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) को जल संरक्षण और वाटरशेड विकास परियोजनाओं के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2014 का वार्षिक ‘इंडिया सीएसआर कम्युनिटी इनिशिएटिव अवार्ड’ मिला है। बालको के सामुदायिक संबंध सह महाप्रबंधक आशीष रंजन और सह प्रबंधक कंचन नगेशिया ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के महानिदेशक व मुख्य प्रचालन अधिकारी भास्कर चटर्जी और इंडिया सीएसआर समूह के प्रबंध निदेशक रूसेन कुमार के हाथों पुरस्कार ग्रहण किया। यह समारोह 6 अप्रैल को नई दिल्ली के पीएचडी हाउस में आयोजित था।

भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड के अलावा सेसा स्टरलाइट लिमिटेड, झारसुगुड़ा, कोरबा वेस्ट पावर कंपनी लिमिटेड, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, जिंदल फाउंडेशन, हंट्समैन इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, हुवेई टेक्नोलॉजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, युनाइटेड टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन, एस्सार फाउंडेशन, जिंदल पावर, वोडाफोन इंडिया, वाक्हार्ड्ट फाउंडेशन आदि संगठनों को सामुदायिक विकास परियोजनाओं की विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए।

इंडिया सीएसआर समूह ने पुरस्कार के माध्यम से प्रतिवर्ष ऐसे व्यक्तियों, समूहों और संगठनों के कार्यों को पहचान देने की शुरुआत की है जो अपने प्रचालन क्षेत्रों में सामुदायिक विकास परियोजनाओं के उत्कृष्ट प्रबंधन से लक्षित नागरिकों के जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने में रचनात्मक भागीदारी कर रहे हैं।

बिजनेस

जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।

NCLT को लगाई फटकार

पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।

शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।

 

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