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बिहार चुनाव : ‘तेज’ को निस्तेज करने में जुटे ‘रवि’

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बिहार चुनाव, वैशाली जिले के महुआ विधानसभा क्षेत्र, लालू प्रसाद, पुत्र तेज प्रताप

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मनोज पाठक
हाजीपुर (बिहार)| संपूर्ण विश्व को लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले बिहार के वैशाली जिले के महुआ में इस विधानसभा चुनाव के दौरान लोकतंत्र की चर्चा है। यह दीगर बात है कि इस चर्चा में स्थानीय समस्या कम राजनीतिक विरासत संभालने के चर्चे ज्यादा हैं। वैशाली जिले का महुआ विधानसभा क्षेत्र इस चुनाव में सबसे ‘हॉट सीट’ माना जा रहा है, क्योंकि बिहार की राजनीति के कद्दावर नेता लालू प्रसाद ने अपने पुत्र तेज प्रताप को पहली बार चुनाव मैदान में उतारा है। वैसे महुआ की लड़ाई जहां न केवल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना है बल्कि लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और सत्तारूढ़ महागठबंधन के नेताओं के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है।

राजद उम्मीदवार तेज प्रताप यादव का मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक रवींद्र राय से माना जा रहा है, लेकिन सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी से मोर्चा संभाले हुए जोगेश्वर राय इस लड़ाई को त्रिकोणात्मक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। जोगेश्वर राय पिछले विधानसभा चुनाव में राजद के उम्मीदवार थे और तब के जद (यू) उम्मीदवार रवींद्र राय ने उन्हें 21,925 वोटों से शिकस्त दी थी।

महुआ के एक राजद नेता बताते हैं कि स्थानीय कार्यकर्ता जोर-शोर से चुनाव में तो जुटे ही हुए हैं, तेज प्रताप यादव के एक गैर राजनीतिक संगठन धर्मनिरपेक्ष स्वयंसेवक संघ के सदस्य भी रात-दिन एक किए हुए हैं। बिहार के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां की अधिकांश आबादी कृषि पर आधारित है। यही कारण है कि यहां के किसानों का कहना है कि जो भी यहां किसानों की बात करेगा वही महुआ पर राज करेगा। चेहराकला गांव के किसान मंगल सिंह कहते हैं कि इस वर्ष किसानों ने नई तकनीक के जरिए धान की फसल लगाई थी, जिनमें बालियां ही नहीं निकलीं। पूरी तरह फसल बर्बाद होने के बावजूद किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिला। वे कहते हैं कि हमें पटना और देश की समस्याओं से क्या मतलब है।

वैसे युवा मतदाता भी यहां की समस्याओं को लेकर मुखर जरूर हैं, परंतु वे इस चुनाव में बदलाव की बात करते हैं। युवकों का कहना है कि आज तक महुआ का विकास क्या हुआ? बेरोजगार अब भी पलायन करने को विवश हैं। दो लाख से ज्यादा मतदाताओं वाले इस यादव बहुल क्षेत्र में कोईरी और कुर्मी भी चुनाव परिणाम को प्रभावित करते हैं। वैसे इस क्षेत्र में पिछड़ी और अगड़ी जाति के मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है। राजद के स्थानीय नेता शंभु यादव कहते हैं कि महुआ के चुनावी मैदान में सिर्फ तेज प्रताप नहीं लड़ रहे हैं, बल्कि यहां तो राजद के वजूद की लड़ाई है। वे दावा करते हैं कि तेज प्रताप की टक्कर में अन्य कोई उम्मीदवार नहीं है। इधर, राजग के घटक दल हम के प्रत्याशी रवींद्र राय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं। राय मुख्यमंत्री को तानाशाह बताते हुए कहते हैं कि लोकतंत्र में उनकी तानाशाही को चुनौती देने के लिए ही वह मैदान में डटे हुए हैं।

स्थानीय पत्रकार विकास आनंद मानते हैं कि राजद जहां इस चुनाव को वजूद की लड़ाई मानकर चल रहा है, वहीं राय की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उनके कार्यकर्ता जो जद (यू) की वजह से उनके साथ जुड़े थे, वे दो गुटों में बंट गए हैं। आनंद कहते हैं कि महत्वपूर्ण सभी दलों यादव समुदाय के प्रतिनिधियों पर ही दांव खेला है। हम और जन अधिकार पार्टी दोनों ही यादव वोट में सेंध लगाने की बात कह रहे हैं परंतु महुआ में यादव मतदाता एकजुट नजर आते हैं। इधर, आऱ एऩ कॉलेज से सेवानिवृत्त प्रोफेसर और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले समाजसेवी श्याम नारायण चौधरी कहते हैं कि फिलहाल राय की ताकत हैं राजग का पूरा सहयोग और नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मिलने का भरोसा।

उनका मानना है कि मतदाता अपना जनप्रतिनिधि बड़े नेताओं को देखना चाहता है। ऐसे में आज की तारीख में तेजप्रताप भले ही नया चेहरा हों, लेकिन उनके पास राजनीतिक विरासत है। वैसे रवींद्र को भी पिछड़े और अगड़ों का साथ मिलता दिख रहा है। ऐसे में मुकाबला दिलचस्प है। बहरहाल, इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण में 28 अक्टूबर को मतदान होना है, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि जातीय समीकरणों के बीच ‘सियासी विरासत’ की चाल इस क्षेत्र के परिणाम को अवश्य प्रभावित करेगा। बिहार विधानसभा की कुल 243 सीटों के लिए 12 अक्टूबर से शुरू हुआ मतदान का दौर पांच नवंबर तक पांच चरणों में चलेगा। पहले और दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। सभी सीटों के लिए मतगणना आठ नवंबर को होगी।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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