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प्रादेशिक

बिहार चुनाव में किसान व प्रोफेशनल युवा भी ठोंकेंगे ताल

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पटना | बिहार में सितंबर-अक्टूबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों के अब तक के रुख से यह साफ है कि चुनावी महाभारत दो ध्रुवीय होने के आसार हैं। चुनावी अखाड़े में कई किसान नेता व प्रोफेशनल डिग्री हासिल कर चुके युवा भी ताल ठोंकते नजर आएंगे। चुनाव की तारीख करीब आते-आते ऐसे शिक्षित युवा भी बड़ी संख्या में अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत करने वाले हैं, जिन्हें किसी पार्टी की विचारधारा रास नहीं आ रही है। ये ऐसे युवा हैं जिनकी न तो राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है और न ही किसी राजनेता के ये अनुयायी रहे हैं।

राष्ट्रीय सवरेदय पार्टी की कमान सूचना तकनीक की नौकरी छोड़ कर आए प्रभात कुमार के हाथ में है। पार्टी के मीडिया प्रमुख उत्पल कुमार का दावा है कि उनकी पार्टी का जनाधार मध्य बिहार के कई जिलों में है और प्रतिदिन युवा उनके संगठन से जुड़ रहे हैं। कुमार कहते हैं कि आज युवाओं के नाम पर राजनीति तो हो रही है, परंतु इसका फायदा युवाओं को नहीं मिल पाता। शिक्षा प्राप्त करने से लेकर नौकरी तक युवाओं को आंदोलन के बल पर ही कुछ हासिल हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि आज राजनीति में जातिवाद हावी है, जिसे किसी भी परिस्थिति में जायज नहीं ठहराया जा सकता। राज्य का पहला ‘किसानश्री’ का खिताब जीत चुके किसान नेता अनिल कुमार सिंह भी इस चुनाव में भाग्य आजमाने की तैयारी में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि गांव से ही किसी राज्य या देश की किस्मत तय होती है, मगर किसान को राजनीति में हिस्सेदारी नहीं मिल पाती।

अनिल अब तक 20 हजार किसान समूह बनाकर किसानों को संगठित किया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि आगामी चुनाव में कई किसान नेता चुनावी समर में उतरेंगे। उधर प्रमोद नारायण पोद्दार की पार्टी भारतीय जनतांत्रिक जनता दल (भाजजद) भी चुनावी समर में उतरने को तैयार है। पोद्दार कहते हैं, “वर्तमान समय में बड़ी राजनीतिक पार्टियों पर से लोगों का विश्वास उठ चुका है। उनके झूठे वादों और दावों से जनता आजिज आ गई है। हमारा मकसद जाति नहीं, समाज को आगे रखने का है।” पटना के फुलवारी शरीफ के कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के अध्यक्ष रह चुके किसान सुरेश पासवान भी इस चुनाव में भाग्य आजमाने को तैयार हैं। बहरहाल, ये किसान नेता और नई राजनीतिक पार्टियां आगामी चुनाव में मतदातओं का कितना समर्थन हासिल कर पाती हैं, यह तो समय बताएगा, लेकिन इतना तय है कि विभिन्न क्षेत्रों में इन नई राजनीतिक पार्टियों की पकड़ को नकारा नहीं जा सकता।

IANS News

वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।

‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।

‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।

‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।

सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।

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