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प्रादेशिक

बिहार : बड़ी भूमिका चाहते हैं शत्रुघ्न

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भाजपा सांसद,फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा,केंद्रीय मंत्री,लालू व नीतीश

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भाजपा सांसद और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का दर्द अंतत: छलक ही गया। केंद्रीय मंत्री न बनने की पीड़ा वह छिपा न सके। पटना में उन्होंने इसका इजहार भी किया। उन्होंने विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी ही पार्टी को सार्वजनिक रूप से अनेक सलाह दी। इतना ही नहीं, उन्होंने लालू यादव, नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी की तो प्रशंसा की, लेकिन प्रदेश भाजपा नेताओं की आलोचना की।

शत्रुघ्न के बयान को दबाव की राजनीति के रूप में देखा जा रहा है। यही कारण है कि जो बातें उन्हें पार्टी फोरम में कहनी चाहिए थी, उसे उन्होंने मीडिया के माध्यम से सार्वजनिक किया। उन्होंने केंद्रीय मंत्री न बन पाने का दर्द बयां किया, फिर अपनी बात को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने तक ले गए। बस इन्हीं बातों से उनकी निजी इच्छा या कमजोरी की झलक मिल गई। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने की उनकी तमन्ना बहुत पुरानी है, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव तक भाजपा और जद (यू) का गठबंधन था। ऐसे में मुख्यमंत्री पद के लिए जद (यू) नेता नीतीश कुमार का नाम घोषित किया गया था। इस गठबंधन को सफलता भी मिली।

इस अवधि में शत्रुघ्न के सामने दूसरा कोई विकल्प नहीं था। उधर, एक वर्ष पहले तक केंद्र में संप्रग का शासन था, इसलिए वहां भी गुंजाइश नहीं थी। अब उन्हें दिल्ली और पटना दोनों जगहों पर अवसर नजर आ रहे हैं। दिल्ली में सरकार बनी, शत्रुघ्न लोकसभा का चुनाव जीत गए। उम्मीद थी कि मंत्री बनेंगे। सालभर बीत गया लेकिन निराश रह गए। इधर पटना में जद (यू) से गठबंधन टूट गया। नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात समाप्त हुई। भाजपा ने किसी को भावी मुख्यमंत्री के रूप में पेश करने का फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है। इसी कारण शत्रुघ्न की उम्मीद कायम है।

उन्होंने शीघ्र ही भावी मुख्यमंत्री का नाम घोषित करने की मांग की। चर्चा है कि शत्रुघ्न अपने नाम को भी दौड़ में रखना चाहते हैं, इसीलिए उन्होंने पहले विपक्ष की चुनौती दिखाई। नीतीश कुमार और लालू यादव को बड़ा और लोकप्रिय नेता बताया। यह भी जोड़ा कि नीतीश लंबे समय तक भाजपा के साथ रहे हैं, इसलिए वह भाजपा की कमजोरी जानते हैं, लेकिन शत्रुघ्न ने इसी आधार पर यह नहीं बताया कि उतने ही समय तक जद (यू) के साथ रहने के कारण भाजपा नीतीश की कमजोरी भी जानती है।  जाहिर है, शत्रुघ्न विपक्ष को मजबूत बता रहे थे। इसी रणनीति के तहत उन्होंने भाजपा के प्रदेश नेताओं की कमजोरी बताई।

उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा नेताओं में आपसी खींचतान बनी रहती है। शत्रुघ्न ने जो बातें इशारे में कही वह ज्यादा महत्वपूर्ण है। वह यह कि लालू व नीतीश दोनों बड़े व लोकप्रिय नेता हैं, जबकि प्रदेश भाजपा में उस कद का कोई नेता नहीं है। क्या इसका यह अर्थ निकालना गलत होगा कि शत्रुघ्न अपने को लोकप्रिय व बड़ा चेहरा मानते हैं? इशारों में बताना चाहते हैं कि वह ही लालू व नीतीश का मुकाबला कर सकते हैं। भावी मुख्यमंत्री घोषित करने की मांग का कहीं यही अर्थ तो नहीं।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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