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IANS News

बिहार में ‘मां जानकी मंदिर’ को लेकर सियासत

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पटना, 26 अप्रैल (आईएएनएस)| उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर सियासत के बीच अब बिहार में जानकी मंदिर को लेकर नई सियासत शुरू हो गई है।

प्रदेश सरकार की ओर सीतामढ़ी के पुनौराधाम स्थित जानकी की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने की घोषणा के बाद बिहार में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। सत्ताधारी दल इसे जहां विकास की दिशा में एक अहम कदम बता रहे हैं। वहीं, विपक्ष इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का ‘नाटक’ बता रहा है।

‘वैदेही’ की जन्मभूमि पुनौराधाम में ‘जानकी नवमी’ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस स्थान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का पर्यटन स्थल बनाने की घोषणा की है। इसके लिए उन्होंने पहले चरण में 48.53 करोड रुपये की लागत से पर्यटक सुविधाओं का विकास और सौंदयर्ाीकरण के कार्यो का शिलान्यास भी किया।

उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यहां विशाल जानकी मंदिर का निर्माण कराया जाएगा।

घोषणा के बाद राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक भाई विरेन्द्र कहते हैं कि यह सब नीतीश कुमार का नाटक है। उन्होंने कहा, केंद्र और राज्य सरकार को देश और राज्य के विकास से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा और जद (यू) में मंदिर बनवाने की होड़ लगी है।

उन्होंने कहा कि नीतीश बिहार को सांप्रदायिक शक्तियों के हाथों गिरवी रख चुके हैं।

इधर, मां सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी को लेकर कई अभियान चला रहे ‘जानकी सेना’ के प्रमुख मृत्युंजय झा ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की घोषणा पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि जब ‘दामाद का जय-जयकार होगा, तो बेटी का भी जय-जयकार’ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘वैदेही’ यानी मां जानकी का रथ जब तक अयोध्या नहीं पहुंचेगा तब तक वहां भव्य राममंदिर का निर्माण असंभव है।

राजद के उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी हालांकि मां जानकी मंदिर के निर्माण को सही कदम बताया है लेकिन उन्होंने कहा, नीतीश कुमार को सही अर्थो में नारी को सम्मान देना सीखना होगा। एक ओर कठुआ जैसे मामलों पर वे चुप रह जाते हैं और दूसरी ओर मां जानकी मंदिर की बात करते हैं। यह नीतीश का ढकोसला है।

उधर, भाजपा के नेता प्रभात झा का कहना है, सीतामढ़ी को ‘संस्कारधानी’ बनाने की जरूरत है। सीता के बिना राम की कहानी न तो आरंभ होगी और न ही अंत। सीता के बिना राम की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।

वे कहते हैं, राम जन्मोत्सव की तरह सीता जन्मोत्सव का भव्य आयोजन किया जाना चाहिए, तभी समाज में भी नारी का सम्मान बढेगा।

बताया जा रहा है कि प्राचीन काल में शिक्षा का केंद्र रहे नालंदा और जैन धर्म के पवित्र स्थल वैशाली की तरह सीतामढ़ी का भी विकास होगा। इसमें दर्शनार्थियों के लिए सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा जाएगा। इससे राज्य में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा।

इधर, जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं, बिहार ज्ञान और अध्यात्म की धरती रही है। मां जानकी की धरती का विकास करना अपराध है क्या? मनेर में सूफी दरगाह के विकास के लिए कार्य करना विपक्षी दलों को नागवार गुजरता है। विपक्ष के लोग आज तक अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम वर्ग के लोगों को डर दिखाकर वोट लेते रहे हैं।

उन्होंने कहा, सम्यक विकास की हमारी पूंजी है और यही सही धर्मनिरपेक्षता है। अब इस पर कोई राजनीति करेगा तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अब बौद्ध सर्किट, रामायण सर्किट, सूफी सर्किट की बात हो रही है।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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