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बीएसएफ के ‘ऑपरेशन अर्जुन’ ने पाकिस्तान को वार्ता के लिए विवश किया

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नई दिल्ली, 13 दिसम्बर (आईएएनएस)| पाकिस्तान के साथ एक महीने तक चली भारी गोलाबारी के बाद आखिरकार सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन अर्जुन’ के कारण पाकिस्तानी सीमा रक्षकों को इस मुद्दे का समाधान शांतिपूर्वक निकालने के लिए विवश होना पड़ा है।

रक्षा अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी।

25 अगस्त को पाकिस्तान की तरफ से हुई भारी गोलाबारी में सीमा सुरक्षा बल के जवान के. के. अप्पा शहीद हो गए थे, जिसके बाद ‘ऑपरेशन अर्जुन’ चलाया गया। इस अभियान के जरिए इंटर सर्विसिस इंटेलिजेंस (आईएसआई) और पाकिस्तान सेना के सेवानिवृत्त अधिकारियों के फार्म और आवास को निशाना बनाया गया।

राव, जम्मू क्षेत्र की बधवार सीमा चौकी पर बीएसएफ की 192 बटालियन में तैनात थे, जो पाकिस्तानी रेंजरों के बंदूकधारियों का शिकार हुए।

आईएएनएस के पास मौजूद एक आधिकारिक दस्तावेज से पता चला है कि ‘ऑपरेशन अर्जुन’ 24 सितंबर तक जारी रहा, जिसमें बीएसएफ ने छोटे और मध्यम दर्जे के हथियारों का इस्तेमाल करने के साथ ही हवाई हथियारों का भी इस्तेमाल किया और पाकिस्तानी पक्ष को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए।

इस कार्रवाई से बौखलाए पाकिस्तान ने जम्मू एवं कश्मीर के ज्यादातर नागरिक निवास क्षेत्रों और बीएसएफ चौकियों को निशाना बनाकर अखनूर, जम्मू और साम्बा क्षेत्रों में भारी और रुक-रुक कर गोलाबारी की।

अगस्त 25 से 24 सितंबर तक एक महीने लंबी चली सीमा पर गोलाबारी में सात पाकिस्तान रेंजर कर्मी और आतंकी घुसपैठियों के साथ ही 11 पाकिस्तानी नागरिक मारे गए। ‘इसके अलावा बीएसएफ की जवाबी गोलीबारी में 35 पाकिस्तानी रेंजर घायल हुए’।

पाकिस्तानी रेंजर द्वारा की गई गोलाबारी में यह दावा किया गया कि बीएसएफ के एक जवान और एक नागरिक की मौत हो गई। दस्तावेज में दर्शाया गया है कि रेंजरों द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन में बीएसएफ के छह और 16 स्थानीय नागरिक भी घायल हुए हैं।

लेकिन ‘ऑपरेशन अर्जुन’ ने स्थिति को नाटकीय मोड़ दे दिया और पाकिस्तानी रेंजरों ने पेंचीदे संघर्ष को समाप्त करने के मकसद से महानिदेशक स्तर की द्विवर्षीय सीमा वार्ता का अनुरोध शुरू कर दिया।

‘ऑपरेशन अर्जुन’ 2016 में बीएसएफ द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन रुस्तम’ की सफलता के बाद अमल में लाया गया।

दस्तावेज के अनुसार, बीएसएफ ने पाकिस्तानी रेंजरों को अपनी बंदूकों शांत कर वार्ता के लिए तैयार होने के लिए मजबूर किया।

दस्तावेज में कहा गया है कि रेंजर्स के महानिदेशक ने बीएसएफ के प्रमुख के.के. शर्मा को बताया कि वे नई दिल्ली में डीजी स्तर की द्विवार्षिक सीमा वार्ता के लिए तैयार हैं।

एक साल से ज्यादा समय के अंतराल बाद दोनों पक्षों के बीच तीन दिवसीय वार्ता आठ नवंबर से शुरू हुई थी।

सम्मेलन में, बीएसएफ प्रमुख ने कहा कि बातचीत को सीमित सफलता मिली।

शर्मा ने आईएएनएस को बताया, मेरा मानना है कि यह सम्मेलन एक बहुत ही अनुकूल माहौल में आयोजित किया गया और दोनों पक्ष बेहतर तरीके से काम करने के लिए उत्सुक हैं। दुर्भाग्य से, पाकिस्तान में स्थिति ऐसी है कि वास्तविक आधार पर बहुत अधिक प्रगति नहीं हुई है, मुझे यह कहने में बड़ा खेद है।

शर्मा ने कहा, सीमित सफलता यह थी कि एक लंबे अंतराल के बाद वार्ता शुरू हुई।

शर्मा के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर में अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पिछले एक साल में पाकिस्तानी सेना ने 1,020 बार संघर्षविराम के उल्लंघन की घटनाओं को अंजाम दिया है। इसके बाद कई आतंकवादियों ने भारत में गुप्त तरीके से घुसपैठ का प्रयास किया।

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नेशनल

महाराष्ट्र में बोले अमित शाह- शरद पवार की चार पुश्तें भी जम्मू-कश्मीर में धारा 370 वापस नहीं ला सकती

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महाराष्ट्र के सांगली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी, कांग्रेस और महाविकास अघाड़ी गठबंधन पर जमकर हमला बोला। अमित शाह ने कहा, “मैं एमवीए वालों से पूछने आया हूं कि औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर होना चाहिए या नहीं?

अमित शाह ने आगे कहा, ”अभी-अभी जम्मू कश्मीर के असेंबली में मीटिंग हुई, नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ कांग्रेस पार्टी ने भी एक संकल्प किया कि धारा 370 वापस लाइए, कश्मीर जो है भारत का अभिन्न यंग नहीं है। मैं आज संभाजी महाराज की भूमि पर कह कर जा रहा हूं- शरद पवार साहब, चाहे आपकी चार पुश्ते भी आ जाएं, हम धारा 370 को वापस नहीं आने देंगे।”

अमित शाह यहीं पर नहीं रुके। उन्होंने राम मंदिर का जिक्र करके कांग्रेस पार्टी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी 75 साल से राम मंदिर को लटका रही थी। राहुल गांधी अयोध्या नहीं गए, उन्हें वोट बैंक से डर लगता है। हम बीजेपी वाले उस वोट बैंक से नहीं डरते हैं. हमने काशी विश्वनाथ का कॉरिडोर भी बनाया, सोमनाथ का मंदिर भी सोने का बन रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यहां पर तुष्टिकरण की राजनीति चल रही है, इसे रोकने का एकमात्र रास्ता बीजेपी की सरकार है। महायुति की सरकार है।

 

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