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बुंदेलखंड के युवाओं की मुहिम : नोट बांटने वालों को वोट नहीं

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छतरपुर, 19 जुलाई (आईएएनएस)| चुनाव कोई भी हो, उसमें बाहुबल के साथ धनबल का जमकर इस्तेमाल होता आया है। मतदाताओं को लुभाने के लिए उम्मीदवार नोट और शराब का भरपूर वितरण करते हैं। देश के सबसे समस्या ग्रस्त इलाके बुंदेलखंड के युवाओं ने ऐसे धनपशुओं को सबक सिखाने की मुहिम छेड़ दी है।

युवाओं ने तय किया है कि मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जो भी उम्मीदवार नोट और शराब बांटने की कोशिश करेगा, उसे मतदाता अपना वोट नहीं देंगे, यह शपथ दिलाई जाएगी।

मध्य प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के छह जिलों में 32 विधानसभा क्षेत्र आते हैं, इन क्षेत्रों से सत्ताधारी दल भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा समाजवादी और बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में होते हैं, क्योंकि यह इलाका उत्तर प्रदेश की सीमा से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि बाहुबल और धनबल का भरपूर इस्तेमाल होता है।

छतरपुर जिले की बड़ा मलेहरा विधानसभा क्षेत्र की रामटौरिया पंचायत के सरपंच लखन अहिरवार का कहना है कि चुनाव में बड़े पैमाने पर गरीबों को नोट और शराब बांटने की अरसे से परंपरा चली आ रही है, इस बार युवाओं ने संकल्प लिया है कि वे गांव-गांव जाकर लोगों में जागृति लाएंगे और संकल्प दिलाएंगे कि जो नोट और शराब की बात करेगा, उस दल के उम्मीदवार को किसी भी कीमत पर वोट नहीं देंगे।

युवा सामाजिक कार्यकर्ता उत्तम यादव बुंदेलखंड में कई समस्याओं की जड़ शराब को मानते हैं, उनका कहना है कि शराब ही परिवारों में अशांति का कारण है और यहां लड़ाई-झगड़े भी शराब का नशा करने के कारण होते हैं। लोगों में नशाखोरी चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हो जाती है, उम्मीदवार चुनाव जीतने के लिए एक तरफ नोट बांटता है तो दूसरी ओर शराब, इससे ग्रामीण इलाकों का माहौल तो खराब होता ही है, लिहाजा युवाओं ने नोट और शराब के खिलाफ अभियान चलाने की रणनीति बनाई है।

रामटौरिया में आयोजित ग्रामीण युवाओं की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे उत्तर प्रदेश के एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म के संयोजक संजय सिंह ने युवाओं के इस संकल्प की सराहना करते हुए कहा कि अगर युवाओं ने चुनाव में नोट और शराब बांटने वालों के खिलाफ जनजागृति लाने का संकल्प लिया है तो यह चुनाव में पारदर्शिता लाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

धनीराम रैकवार ने बताया कि युवाओं की टोली गांव-गांव घूमेगी और शराब के दुष्प्रभाव से महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गो को अवगत कराएगी। साथ ही उन्हें शपथ दिलाई जाएगी कि विधानसभा चुनाव में वे ऐसे उम्मीदवार को नकारेंगे, जो शराब और नोट बांटेगा।

बुंदेलखंड देश के सबसे ज्यादा समस्याग्रस्त इलाकों में से एक है। यहां रोजगार का अभाव है, पानी के अभाव में खेती भी नहीं हो पाती है, मजबूरन हजारों परिवारों को अपने गांव छोड़ना पड़ता है, गांव में जो लोग रह जाते हैं, उनके लिए वक्त काटना मुश्किल हो जाता है। चुनाव आने पर उम्मीदवार उनकी इसी मजबूरी का भरपूर लाभ उठाने का प्रयास करते हैं, मगर इस बार युवाओं ने संकल्प लिया है कि वे अपने इलाके में अरसे से चली आ रही इस गंदी परंपरा को आगे नहीं बढ़ने देंगे।

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नेशनल

क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?

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नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’

जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.

मामले की पूरी जानकारी

राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।

पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।

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