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प्रादेशिक

बुंदेलखंड में खंड खंड ‘गुलाबी गैंग’

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बांदा| देश के अलावा विदेशों में भी अपनी हनक कायम करने वाला बुंदेलखंड का ताकतवर महिला जन संगठन आपसी जंग में खंड खंड हो गया है। वर्चस्व की लड़ाई इस कदर बढ़ी कि ‘गुलाबी गैंग’ तीन धड़ों में बंट गया और महिला हिंसा से बेखबर यह संगठन खुद अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है।

करीब सात साल पहले वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की धरती बुंदेलखंड में महिलाओं ने संपत पाल की अगुआई में ‘गुलाबी गैंग’ नाम से एक गैर पंजीकृत जन संगठन की नींव डाली थी। इस संगठन ने सरहद पार भी अपनी हनक कायम की। संगठन के जरिए संपत को कई पड़ोसी देशों की यात्रा का मौका मिला। समय गुजरा तो संगठन के उद्देश्य बदल गए।

संगठन में संयोजक रहे जयप्रकाश शिवहरे ने कमांडर संपत पर गलत कार्य करने का आरोप लगाकर इसी साल मार्च माह में उन्हें संगठन से निष्कासित करा दिया। इसके बाद गुलाबी गैंग तीन धड़ों में बंट गया। संपत अभी भी खुद को गुलाबी गैंग की कमांडर बता रही हैं। जयप्रकाश ‘गुलाबी गैंग’ (लोकतांत्रिक) के बैनर तले काम कर रहे हैं तो गैंग के संस्थापक सदस्य रहे सत्बोध साईं दाता जी ने ‘गुलाबी गैंग महिला फाउंडेशन’ के नाम से पंजीयन करा कर कानपुर की आशा निगम को शीर्ष कमांडर घोषित कर दिया। इस समय तीनों धड़े महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा से बेखबर आपस में ही जूझ रहे हैं।

गुलाबी गैंग की आमसभा द्वारा कथित तौर पर हटाए जाने के बाद भी संपत खुद को कमांडर बता रही हैं, हालांकि अब उनकी वह हनक नहीं रही जो कभी हुआ करती थी। संपत पाल कहती हैं कि वह “गुलाबी गैंग की संस्थापक कमांडर हैं। यह गैर पंजीकृत संगठन है, जिससे उन्हें कोई नहीं बर्खास्त कर सकता।”

गुलाबी गैंग-लोकतांत्रिक के संयोजक जयप्रकाश शिवहरे का कहना है, “महिला हिंसा को रोकने की गरज से संपत की अगुआई में गुलाबी गैंग का गठन हुआ था। संपत के गलत कारनामों की वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया है।” उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व वाला संगठन जन कल्याण के लिए काम कर रहा है तथा महिला हिंसा रोकने का भरसक प्रयास कर रहा है।

तीसरे पंजीकृत धड़े ‘गुलाबी गैंग महिला फाउंडेशन’ के प्रबंध निदेशक सत्बोध साईं दाता जी का कहना है, “जयप्रकाश और संपत के बीच उपजी वर्चस्व की लड़ाई में गुलाबी गैंग बेमतलब हो गया था, इसलिए आशा निगम को कमांडर घोषित कर महिलाओं की लड़ाई लड़ी जा रही है।” इस टीम की कमांडर आशा निगम का कहना है कि उनकी लड़ाई किसी संगठन के खिलाफ नहीं, बल्कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वालों के विरूद्ध है। कुल मिलकर यह कहना गलत न होगा कि वर्चस्व की जंग में तीन हिस्सों में बंटा गुलाबी गैंग बुंदेलखंड ही नहीं, बल्कि देश के हर कोने में अस्तित्वहीन हो गया है।

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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