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बेहतर स्वास्थ्य सेवा भारत में मातृ मृत्यु दर घटाने में मददगार : यूनीसेफ

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नई दिल्ली, 9 जून (आईएएनएस)| भारत में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में 22 फीसदी की भारी कमी दर्ज की गई है और वर्तमान में यह 130 है। लेकिन इस आंकड़े को 70 से नीचे लाने के सतत विकास दर (एसडीजी) लक्ष्य को पाने के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को समय पर उपलब्ध कराना होगा। यूनीसेफ इंडिया ने शनिवार को यह बात कही।

भारत में यूनीसेफ की प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने कहा, मातृ मृत्यु दर में कमी लाने में भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन एसडीजी लक्ष्य को पाने के लिए और प्रयास करने होंगे। स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने, समय पर सहायता उपलब्ध कराने और बेहतर सेवा प्रदान करने पर ध्यान देना होगा।

सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) द्वारा जारी 2014-16 में भारत में मातृ मृत्यु दर पर आधारित विशेष विज्ञप्ति के अनुसार भारत में एमएमआर 2011-13 के 167 से घटकर 2014-16 में 130 रह गई, जबकि केरल (46), महाराष्ट्र (61) और तमिलनाडु (66) पहले ही एसडीजी लक्ष्य को प्राप्त कर चुके हैं।

उन्होंने कहा, दो और राज्य आंध्र प्रदेश (74) और तेलंगाना (81) एसडीजी लक्ष्य पाने के करीब हैं। उन्होंने गरीबी घटाया है, स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारा है। ये राज्य महिलाओं के मुद्दे पर बेहतर तरीके से संवेदनशील है और इनकी योजनाओं का क्रियान्वयन कुल मिलाकर बेहतर है। इनसे बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

हक ने कहा कि देश को उस बिंदु पर ध्यान देना होगा, जो काम नहीं कर रहा है। अगर 80 फीसदी महिलाएं स्वास्थ्य संस्थाओं में प्रसव करा रही हैं तो बची हुईं 20 फीसदी किस कारण से ऐसा नहीं कर पा रहीं। महिला शिक्षा जरूरी है और इसपर ध्यान देने की जरूरत है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता ज्यादा जरूरी है।

उन्होंने कहा, आदिवासी और दलित जैसे कमजोर समुदायों की अधिक जनसंख्या वाले राज्यों में संस्थागत प्रसव 60 से 65 फीसदी के आसपास है। हमें स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने के लिए समाधान तलाशने के लिए और गहराई में सोचना होगा। इन समाधानों के तहत दूरस्थ स्थानों से आने वाली महिलाओं को प्रसव की तिथि से पहले लाने के लिए मातृत्व प्रतीक्षा घर स्थापित कर सकते हैं।

हक ने कहा, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और गर्भवती महिलाओं से उनकी गरिमा, सम्मान और गोपनीयता जैसी बातों को व्यवहार में लाना ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके बाद अन्य प्रशासनिक मुद्दे, जैसे खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित कर्मियों की उपलब्धता प्रदान करना।

यूनीसेफ इंडिया के स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष ने सफलता के प्रमुख कारणों के बारे में कहा, इन कारणों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मजबूत वित्तीय और मानव संसाधन, सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों का सशक्तीकरण और संस्थागत प्रसव के लिए नकदी प्रोत्साहन हस्तांतरण की शुरुआत शामिल हैं।

अन्य कारणों में मिशन इंद्र धनुष, निशुल्क एंबुलेंस सेवा और लक्ष्य पहल, जिसका लक्ष्य संस्थागत प्रसव के दौरान आने वाली समस्याओं को रोकना है। इसके लिए प्रसव कक्ष के सभी मानकों को सुनिश्चित किया जाना है।

बुलेटिन के अनुसार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों में एमएमआर 93 से 77 पर आया है, जबकि केंद्र शासित राज्यों सहित अन्य सभी राज्यों में एमएमआर 115 से 93 पर है।

भारत में 2016 में 2013 की तुलना में मातृ मृत्यु के मामलों में लगभग 12,000 की कमी दर्ज की गई, जो पहली बार 32,000 से नीचे आई थी।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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