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बोफोर्स केस: 12 साल बाद SC में सीबीआई की अर्जी, राजनीतिक भूकंप की आशंका

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नई दिल्ली। सीबीआई ने शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट के वर्ष 2005 के उस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है, जिसमें बोफोर्स 155 एमएम होवित्जर तोप की खरीद से संबंधित भ्रष्टाचार मामले में ब्रिटेन स्थित हिंदुजा बंधुओं श्रीचंद, गोपीचंद और प्रकाश हिंदुजा को बरी कर दिया गया था।

64 करोड़ रुपए का यह मामला राजनीतिक दृष्टि से काफी संवेदनशील है। गौरतलब है कि स्वीडन से बोफोर्स तोप खरीदने के लिए 64 करोड़ रुपये दलाली के आरोप यूरोपीय व्यापारी हिंदुजा बंधुओं समेत तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और इटैलियन बिजनेसमैन ओतावियो क्वात्रोच्ची पर लगे थे।

सीबीआई ने वर्ष 2005 में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपनी याचिका में कुछ नए तथ्यों के बारे में बताया है, जिसकी जांच कराए जाने का आधार बनाकर बोफोर्स मामले को दोबारा खोलने की मांग की गई है। सीबीआई ने हालांकि ‘नए तथ्यों’ की ओर इशारा किया है, लेकिन 12 वर्ष लंबे अंतराल के बाद याचिका पर सुनवाई का निर्णय लेना सुप्रीम कोर्ट के लिए आसान नहीं होगा।

महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल ने सरकार को बताया कि उनके विचार में वर्ष 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध इतने लंबे समय बाद याचिका दाखिल करने का औचित्य सिद्ध करना मुश्किल होगा।

कार्मिक सचिव को लिखे एक पत्र में वेणुगोपाल ने कहा है, “इस निर्णय के 12 वर्ष से ज्यादा समय गुजर गए हैं। इस समय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इस संबंध में याचिका, मेरे विचार में देरी के आधार पर संभवत: खारिज कर दी जाएगी।”

सूत्रों के अनुसार, हालांकि बाद में वेणुगोपाल ने 2005 के आदेश को चुनौती देने के एजेंसी के कदम को अपनी मौखिक सहमति दे दी। वर्ष 2005 में हिंदुजा बंधुओं को इस मामले से बरी करने के फैसले को वकील अजय अग्रवाल ने चुनौती दी है, जोकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं।

अग्रवाल की याचिका पर 16 जनवरी को सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता मनिंदर सिंह ने अदालत से कहा कि सीबीआई ने इस फैसले को चुनौती नहीं दी, जबकि उसे ऐसा करने की सलाह दी गई थी और निर्णय को चुनौती दिए जाने की जरूरत है।

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लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर श्रद्धा वॉकर का हत्यारा आफताब पूनावाला

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नई दिल्ली । लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक, मीडिया में चल रही खबरों का संज्ञान लेते हुए तिहाड़ जेल प्रशासन, आफताब पूनावाला की सुरक्षा को लेकर अलर्ट हो गया है क्योंकि उसे लॉरेंश बिश्नोई गैंग से खतरे की बात सामने आई है. तिहाड़ जेल के अंदर जेल नंबर 4 में आफताब पूनावाला को रखा गया है. आफताब, श्रद्धा वॉल्कर हत्याकांड का आरोपी है. दिल्ली के छतरपुर इलाके में आफताब ने श्रद्धा की हत्या करके उसके शरीर को कई टुकड़ों में बांट दिया था.

तिहाड़ जेल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, मुंबई पुलिस से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली है लेकिन प्रशासन ने मीडिया में आई खबरों का संज्ञान लिया है. मुंबई पुलिस के मुताबिक, आफताब पूनावाला लारेंस बिश्नोई गैंग के शूटरों के निशाने पर है.

क्या है मामला ?

पुलिस की जांच में सामने आया था कि 18 मई 2022 की शाम करीब 6:30 से 7:00 बजे के बीच श्रद्धा विकास वॉल्कर की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में आरोपी आफताब और पीड़िता के बीच रिलेशनशिप की टाइम लाइन अहम रही. मई 2019 से मार्च 2022 के दौरान मुंबई में आरोपी और पीड़िता की मुलाकात हुई और प्रेम संबंध बन गए थे. दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगे थे और खुद को शादीशुदा जोड़े के तौर पर दिखाते थे. उन्होंने 3 जगहों पर एक के बाद एक किराए का मकान लिया था, जहां वे रहते थे. दोनों 2 जगहों पर साथ काम कर चुके थे.

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