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भारतीय उपभोक्ताओं को पसंद आ रहे हैं आवाज-आधारित उपकरण

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नई दिल्ली, 11 फरवरी (आईएएनएस)| वर्तमान समय में भारत में 54 प्रतिशत लोग आवाज पर आधारित मशीनों या उपकरणों का प्रयोग कर रहे हैं। इनमें से 30 प्रतिशत लोग स्मार्ट टीवी, 16 प्रतिशत वॉइस असिस्टेंट स्पीकर जैसे कि एलेक्सा-सक्षम अमेजन ईको या गूगल असिस्टेंट और 36 प्रतिशत लोग इंटरनेट से जुड़े थर्मोस्टैट या होम ऑडियो का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे देखते हुए ऐसा स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारत अब ऐसे उपकरणों को इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

फोरेस्टर का ऐसा मानना है कि शहरों में रहने वाले ज्यादातर युवा इस तरह के उपकरणों या तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।

फोरेस्टर की पूर्वानुमान विश्लेषक मीनाक्षी तिवारी का इस बारे में कहना है कि देश के ज्यादातर डिजिटल ग्राहक मोबाइल ग्राहक हैं और वे एक बार में इस पर कई सारे काम करते रहते हैं।

उन्होंने आईएएनएस को बताया, “आजकल लोग ज्यादा चीजें वाइस के माध्यम से ही सर्च करते हैं। हिंदी में सवाल पूछने की दर साल दर साल 400 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले समय में भारत में डिजिटल के क्षेत्र में आवाज एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी।”

मीनाक्षी तिवारी यह भी कहती हैं कि जिस तरह से लोगों के बीच इन मशीनों की मांग बढ़ रही है और इन पर उपभोक्ता जिस हद तक ज्यादा समय व्यतीत कर रहे हैं उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि इस दिशा में स्मार्ट स्पीकर आने वाले समय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

मार्केट रिसर्च फर्म इंटरनेशनल डेटा कॉर्प(आईडीसी) के मुताबिक, भारत में स्मार्ट स्पीकर्स श्रेणी में अमेजन की अगुवाई में 2018 की दूसरी तिमाही में 43 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

आईडीसी के वरिष्ठ विश्लेष्क जयपाल सिंह ने आईएएनएस को बताया, “आने वाले समय में इंटरनेट पर चीजों को ढूंढ़ने, लोगों तक संदेश भेजने जैसे कई कामों में इस तरह के उपकरणों का प्रयोग होगा और साथ-साथ व्यापार व वाणिज्य के क्षेत्र में भी यह एक अहम भूमिका निभाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्ट स्पीकर्स बच्चों के बीच काफी मशहूर है। वे या तो इस तरह के मशीनों का उपयोग गेम खेलने के लिए करते हैं या तो पढ़ाई से संबंधित जानकारी को प्राप्त करने के लिए इन उपकरणों की उन्हें जरूरत पड़ती है। इन सबके साथ-साथ पौराणिक कहानियों को सुनने और क्विज खेलने के काम भी ये मशीनें आती हैं। गाने सुनने और अलार्म सेट करने या किसी विषय में जानकारी हासिल करने के लिए इस तरह की मशीनें भारत में काफी ज्यादा लोकप्रिय है।

आवाज का उपयोग जिन मशीनों में किया जा सकता है वे दिन भर की रूटीन को सेट करने, घरेलू उपकरणों को स्वचालित करने और विभिन्न चीजों के बारे में जानकारी हासिल करने में भी इनका उपयोग क र सकते हैं। इनकी मांग को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि आने वाले समय में इस तरह के उपकरणों के बाजार में और भी वृद्धि होगी।

 

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महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

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महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

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