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भारतीय क्रिकेट में हो रहा ‘खेल’

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विश्वकप क्रिकेट सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों मिली करारी हार से मिले जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि बांग्लादेश ने भारतीय टीम की बखिया उखाड़ कर रख दी। इसी के साथ एक बार फिर से कप्तान के तौर पर महेंद्र सिंह धौनी को लेकर कयासों का बाजार गर्म हो चुका है। धौनी खुद भी व्यंग्यात्मक लहजे में कह रहे हैं कि यदि उनके कप्तानी से हट जाने से भारतीय क्रिकेट सही दिशा में आगे बढ़ती है तो वह इसके लिए तैयार हैं। वाकई में कैप्टन कूल के नाम से प्रसिद्ध धौनी का यह अंदाज किसी के गले नहीं उतर रहा।

बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे वनडे मैच से एक दिन पहले भी खबरें आईं कि धौनी ने वनडे में टीम इंडिया के उप-कप्तान और टेस्ट कप्तान विराट कोहली से मदद मांगी। खबर है कि कप्तान धोनी ने कोहली से कहा कि वह मैदान पर उनकी कप्तानी में मदद करें। साधारण हालात में देखें तो इसमें कोई बहुत बड़ी बात नजर नहीं आती और खिलाड़ी गाहे-बगाहे एकदूसरे की मदद करते भी रहते हैं लेकिन ये बात जिस तरह सुर्खियां बनीं उससे भारतीय क्रिकेट में सबकुछ ठीक चल रहा है, इसपर शक पैदा हो गया। यूं भी महेंद्र सिंह धोनी और विराट कोहली में कथित अनबन की अफवाहें समय-समय पर जोर पकड़ती रही हैं। यह भी कहा जा रहा है कि भारतीय टीम के डायरेक्टर और अंतरिम कोच रवि शास्त्री की नियुक्ति के बाद से ये दूरियां और बढ़ गई हैं।

शास्त्री को विराट कोहली का समर्थक भी बताया जाता है। वैसे भी शास्त्री और धौनी के बीच दूरियां तभी हो गई थीं जब धौनी ने पूर्व कोच डंकन फ्लेचर को टीम इंडिया का बिग बॉस बताया था। दरअसल टेस्ट सीरीज में टीम इंडिया के लचर प्रदर्शन से नाराज बीसीसीआई ने पिछले साल रवि शास्त्री को टीम का डायरेक्टर नियुक्त कर दिया और फ्लेचर की पावर कम कर दी थी। तब बोर्ड ने आदेश दिया कि फ्लेचर अब रवि शास्त्री को रिपोर्ट करेंगे, लेकिन धौनी को ये नागवार गुजरा। उन्होंने टीम का असली बॉस फ्लेचर को बताया। धोनी ने तब यहां तक कह डाला कि फ्लेचर ही 2015 तक टीम इंडिया के कोच रहेंगे। तब से खड़ी हुई दीवार आज और ऊंची हो चुकी है। लेकिन इसका खामियाजा भारतीय क्रिकेट को भुगतना पड़ रहा है। टीम में राजनीति रोकने के लिए ही करीब पिछले एक दशक से बीसीसीआई विदेशी कोच को तरजीह देता रहा है। वरना देश में योग्य खिलाड़ियों की कभी कमी नहीं रही। इसका सुबूत दिग्गज खिलाड़ी इंडिया-ए और अंडर 19 क्रिकेट टीम के कोच नियुक्त किए गए दिग्गज खिलाड़ी राहुल द्रविड के बयान से आसानी से हो जाती है। द्रविड़ ने साफ कहा कि उन्होंने टीम इंडिया का कोच बनने के बारे में कभी नहीं सोचा। यह किसी से छिपा नहीं है कि द्रविड एक बेहद सरल व सौम्य स्वभाव के खिलाड़ी हैं। ऐसे में बीसीसीआई और भारतीय क्रिकेट टीम में होने वाली राजनीति को संभालना उनके लिए आसान नहीं होता और शायद इसी वजह से उन्होंने बेहद साफगोई से अपने मन की बात कह डाली।

भारतीय क्रिकेट टीम के मौजूदा प्रदर्शन को देखते हुए ये मांग बहुत तेज है कि धौनी अब कमान विराट कोहली के हाथों में सौंप दें लेकिन यह भी इतना आसान नजर नहीं आता। ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज के बाद एकाध मौकों को छोड़कर कोहली भी कुछ खास प्रभावित नहीं कर पाए हैं। खेल से ज्यादा चर्चा उनके फिल्म एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा से संबंधों को लेकर होती है। बेशक ये उनका निजी मामला है लेकिन जब वे तस्वीरों में स्टेडियम में अनुष्का के साथ वक्त बिताते नजर आते हैं तो खेल के प्रति उनकी प्रतिबद्धता व निष्ठा पर सवाल उठना लाजिमी है। आईपीएल के दौरान क्रिकेट टीम को ले जा रही बस में भी अनुष्का उनके साथ बैठी नजर आती हैं। इस सब के बावजूद कोहली जिस आक्रामक अंदाज में वह अनुष्का और अपने संबंधों के प्रति सफाई देते हैं वह और भी शर्मनाक है। बेहतर होगा कि वह अपनी ये आक्रामकता क्रिकेट मैदान के लिए बचाकर रखें। इससे भारतीय क्रिकेट टीम का भी भला होगा। वैसे उनका बल्ला रूठा है या किसी ‘विशेष’ कारण से कोहली बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, इसका हल तो उन्हें ही खोजना पड़ेगा। वरना ये मत भूलें कि जो करोड़ों फैंस उन्हें सिर-आंखों पर बैठा सकते हैं, वह किसी नये सितारे के आने पर उन्हें हाशिये पर भी धकेल सकते हैं।

इन हालात से निकलने का रास्ता बीसीसीआई को खोजना होगा। सबसे धनी बोर्ड का तमगा लटकाकर घूमने वाले बोर्ड को इस बात का ख्याल रखना पड़ेगा कि क्रिकेट सर्वोच्च है। कप्तान चाहे धौनी हों या फिर कोहली, देश या फिर क्रिकेट की प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आनी चाहिए। वरना खेल में चल रहा ‘खेल’ क्रिकेट का बहुत बड़ा नुकसान कर देगा।

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पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, 38 लोगों की मौत

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पख्तूनख्वा। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला हुआ है। इस हमले में 38 लोगों की मौत हो गई है। यह हमला खैबर पख्तूनख्वा के डाउन कुर्रम इलाके में एक पैसेंजर वैन पर हुआ है। हमले में एक पुलिस अधिकारी और महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल भी हुए हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में आतंकियों ने शिया मुस्लिम नागरिकों को ले जा रहे यात्री वाहनों पर गोलीबारी की है। यह क्षेत्र में हाल के वर्षों में इस तरह का सबसे घातक हमला है। मृतकों की संख्या में इजाफा हो सकता है।

AFP की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में 38 लोगों की मौत हुई है. पैसेंजर वैन जैसे ही लोअर कुर्रम के ओचुट काली और मंदुरी के पास से गुजरी, वहां पहले से घात लगाकर बैठे आतंकियों ने वैन पर अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दीं. पैसेंजर वैन पाराचिनार से पेशावर जा रही थी। पाकिस्तान की समाचार एजेंसी डॉन के मुताबिक तहसील मुख्यालय अस्पताल अलीजई के अधिकारी डॉ. ग़यूर हुसैन ने हमले की पुष्टि की है.

शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच तनाव 

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कबायली इलाके में भूमि विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दशकों से तनाव बना हुआ है। किसी भी समूह ने घटना की जिम्मेदारी नहीं ली है। जानकारी के मुताबिक “यात्री वाहनों के दो काफिले थे, एक पेशावर से पाराचिनार और दूसरा पाराचिनार से पेशावर यात्रियों को ले जा रहा था, तभी हथियारबंद लोगों ने उन पर गोलीबारी की।” चौधरी ने बताया कि उनके रिश्तेदार काफिले में पेशावर से यात्रा कर रहे थे।

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