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भारत की सदस्यता पर विचार करेगा एनएसजी, मोदी जाएंगे अमेरिका

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नई दिल्ली। परमाणु आपूतिकर्ता समूह (एनएसजी) भारत की सदस्यता के मुद्दे पर जून 2016 में अपने विस्तारित सत्र में विचार कर सकता है।

भारतीय राजनयिक भारत की लंबे समय से लंबित सदस्यता के मुद्दे पर एनएसजी से संपर्क बनाए हुए हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 30 अक्टूबर को एनसीजी अध्यक्ष राफेल ग्रोसी से इस बारे में बात की थी। उन्होंने आश्वासन दिया था कि वह जल्द से जल्द इस मामले को समूह में शामिल 48 देशों के सामने रखेंगे।

इस मामले में अमेरिका का पूरा समर्थन भारत को हासिल है। अमेरिका ने प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में भारत को आने वाले चंद महीनों में शामिल करने के बाद इस मामले को गति देने की बात कही है।

राजनयिक सूत्रों ने बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मार्च 2016 में अमेरिका की सरकारी यात्रा का न्योता दिया है। इसे स्वीकर भी कर लिया गया है।

एमटीसीआर की सदस्यता को भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए अमेरिका की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी को उपहार माना जा सकता है।

दोनों देशों के बीच वार्ताओं के दौर चल रहे हैं। माना जा रहा है कि मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर समझौतों का ऐलान हो सकता है।

एनसीजी सदस्यता की राह में भारत के लिए कुछ रोड़े चीन लगा सकता है। उसका कहना है कि पाकिस्तान और कुछ अन्य देशों को भी यह सदस्यता दी जाए, बावजूद इसके कि परमाणु प्रसार के मामले में पाकिस्तान का रिकार्ड बहुत खराब माना जाता रहा है।

ग्रोसी का कहना था कि केवल भारत को छूट देने का मामला आसान नहीं होगा। यह देखना होगा कि बातें कैसा रूप लेती हैं।

दरअसल, भारत, पाकिस्तान और इजरायल तीन ऐसे देश हैं जिनके पास परमाणु क्षमता है लेकिन जिन्होंने अभी तक परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत नहीं किए हैं। हालांकि, परमाणु अप्रसार के मामले में भारत का रिकार्ड साफ सुथरा रहा है। जबकि, पाकिस्तान पर आरोप है कि उसने परमाणु तकनीक ईरान को चोरी-छिपे दी और मिसाइल प्रौद्योगिकी इसी तरह उत्तर कोरिया-चीन से हासिल की।

सूत्रों का कहना है कि भारतीय राजनयिक चीन से भी संपर्क बनाए हुए हैं।

एनएसजी का अस्तित्व 1974 में भारत के परमाणु विस्फोट की प्रतिक्रिया में हुआ था। इसमें किसी नए सदस्य को शामिल करने के लिए सभी सदस्य देशों के बीच सर्वसम्मति जरूरी होती है।

अन्तर्राष्ट्रीय

पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार देगा डोमिनिका, कोरोना के समय भेजी थी 70 हजार वैक्सीन

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डोमिनिका। कैरेबियाई देश डोमिनिका भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार- ‘डोमिनिका अवॉर्ड ऑफ ऑनर’ से सम्मानित करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री को कोविड-19 महामारी के दौरान डोमिनिका की मदद करने के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है।भारत ने फरवरी 2021 में डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन के 70 हजार डोज भेजे थे। यह वैक्सीन डोमिनिका और उसके पड़ोसी अन्य कैरेबियाई देशों के काम आई थी। भारतीय प्रधानमंत्री के डोमिनिका के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में सहयोग के लिए यह अवॉर्ड दिया जा रहा है।

डोमिनिका के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि राष्ट्रपति सिल्वेनी बर्टन भारत-कैरिबियन समुदाय (कैरिकॉम) शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी को डोमिनिका सम्मान से सम्मानित करेंगी। डोमिनिका के पीएम ऑफिस के आधिकारिक बयान में कहा गया, “फरवरी 2021 में, प्रधानमंत्री मोदी ने डोमिनिका को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की 70,000 खुराकें उपलब्ध कराईं। एक उदार उपहार जिसने डोमिनिका को अपने कैरेबियाई पड़ोसियों को सहायता प्रदान करने में सक्षम बनाया।” इसमें कहा गया कि यह पुरस्कार पीएम मोदी के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और सूचना प्रौद्योगिकी में डोमिनिका के लिए भारत के समर्थन को मान्यता देता है।

बयान में कहा गया कि पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में सहयोग के महत्व पर जोर देते हुए पुरस्कार की पेशकश स्वीकार की। इसके मुताबिक पीएम मोदी ने इन मुद्दों को हल करने में डोमिनिका और कैरिबियन के साथ काम करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। ये सम्मान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का प्रतिबिंब हैं, जिसने वैश्विक मंच पर भारत के उदय को मजबूत किया है। यह दुनिया भर के देशों के साथ भारत के बढ़ते संबंधों को भी दर्शातें हैं।

 

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