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भारत, दक्षिण कोरिया आर्थिक साझेदारी बढ़ाएंगे
नई दिल्ली, 10 जुलाई (आईएएनएस)| भारत और दक्षिण कोरिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे-इन के नेतृत्व में हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता में अपनी समग्र आर्थिक साझेदारी(सीईपीए) को और मजबूत करने पर सहमति जताई। मोदी ने बैठक के बाद मून के साथ संयुक्त रूप से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, हमने अर्ली हार्वेस्ट पैकेज के तहत हमारी समग्र आर्थिक साझेदारी समझौते को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
उन्होंने कहा, हमारे रिश्ते के भविष्य और दुनिया में तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी को ध्यान में रखते हुए, हमने एक नवाचार सहयोग केंद्र स्थापित करने और एक भविष्य रणनीति समूह गठित करने का निर्णय लिया है।
तत्कालीन राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के दक्षिण कोरिया के दौरे के बाद, दोनों देशों के बीच 2010 में सीईपीए का संचालन शुरू हुआ था।
इसके बाद, दोनों देशों के बीच 2011 में द्विपक्षीय व्यापार 20.5 अरब डॉलर को पार कर गया था। दो वर्ष के अंतराल में ही दोनों देशों के बीच 70 प्रतिशत व्यापार की वृद्धि दर्ज की गई।
हालांकि 2014-15 से द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट दर्ज की गई। इस वर्ष द्विपक्षीय व्यापार 18.13 अरब डॉलर, 2015-16 में 16.56 अरब डॉलर, 2016-17 में 16.82 अरब डॉलर दर्ज किया गया। 2017 के पहले सात माह में हालांकि व्यापार में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।
मोदी ने कोरियाई कंपनियों की भारत में न सिर्फ निवेश करने के लिए, बल्कि मेक इन इंडिया पहल के तहत रोजगार सृजन करने के लिए सराहना की।
उन्होंने कहा, कोरियाई कंपनियां अपने उत्पादों की गुणवत्ता की वजह से भारत के घर-घर में लोकप्रिय हो गई हैं।
मंगलवार को वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने अपनी विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने के लिए एक दृष्टि-पत्र जारी किया।
मोदी ने कहा, हमारा उद्देश्य हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाना है। आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध इसके महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों को 2015 में मोदी की यात्रा के दौरान एक विशेष रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दक्षिण पूर्व एशिया के साथ संबंध बढ़ाने के उद्देश्य वाली भारत की एक्ट ईस्ट नीति और राष्ट्रपति मून की नई दक्षिणी नीति के बीच स्वाभाविक समानता है।
मून ने कहा कि हम नई दक्षिणी नीति के साथ आगे बढ़ रहे हैं, जिसमें सहयोग के लिए दक्षिण कोरिया भारत को प्रमुख साझेदार बनाना चाहता है।
दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने कहा, दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे देश भेज कर, हम अपने पारस्परिक समझ के क्षेत्र को बढ़ाना चाहते हैं।
मून ने कहा, हम रोजाना आधार पर पारस्परिक सम्मेलन स्तर की वार्ता और दोनों देशों के बीच उच्च स्तर के मंत्रणा के लिए सहमत हुए हैं।
मोदी ने कोरियाई प्रायद्वीप में मून के मौजूदा शांति प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, हमारी आज की वार्ता में, मैंने उनसे कहा कि पूर्वी और दक्षिण एशिया के लिए प्रसार संबंध(प्रोलिफेरेशन लिंक) भारत के लिए चिंता का सबब है। इसलिए भारत भी इस शांति प्रक्रिया की सफलता में हितधारक है।
भारत और दक्षिण कोरिया ने विभिन्न क्षेत्रों में सात समझौता ज्ञापन(एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
नेशनल
क्या रद्द होगी राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता ?
नई दिल्ली। राहुल गांधी के पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है और इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता रद्द कर दी जानी चाहिए.’ एस विग्नेश शिशिर ने यह दावा करते हुए एक जनहित याचिका दायर की है, जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को फैसला करने का निर्देश दिया. इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘याचिकाकर्ता की तरफ से कुछ दस्तावेज गृह मंत्रालय को मिले हैं और वह इस पर विचार कर रहा है कि राहुल गांधी की नागरिकता रद्द की जानी चाहिए या नहीं.’
जस्टिस एआर मसूदी और सुभाष विद्यार्थी की डिविजन बेंच ने अपर सॉलिसिटर जनरल एसबी पांडेय को निर्देश दिया कि वो तीन हफ्ते के अंदर इस बारे में गृह मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करें और अगली तारीख पर इसका जवाब पेश करें. इस मामले की सुनवाई अब 19 दिसबंर को रखी गई है.
मामले की पूरी जानकारी
राहुल गांधी की नागरिकता से जुड़ा विवाद तब शुरू हुआ जब लखनऊ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता है। याचिकाकर्ता एस विग्नेश शिशिर ने दावा किया कि उन्होंने गहन जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि राहुल गांधी के पास यूके की नागरिकता है। शिशिर ने यह भी कहा कि उनके पास कुछ गोपनीय जानकारी है, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी का विदेशी नागरिकता प्राप्त करना कानून के तहत भारतीय नागरिकता को रद्द करने का कारण हो सकता है।
पहले इस मामले में शिशिर की याचिका को जुलाई 2024 में खारिज कर दिया गया था, लेकिन इसके बाद शिशिर ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास शिकायत की थी, जिसमें कोई एक्शन नहीं लिया गया। फिर से इस मामले को अदालत में लाया गया और अब गृह मंत्रालय से राहुल गांधी की नागरिकता पर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
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