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भारत ने इ‍सलिए चीन के हमलावर रुख पर दिखाई दृढ़ता

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सिक्किम सीमा, केंद्र सरकार, चीन, भारत, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज

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भारत अपनी सुरक्षा के प्रति चौकन्‍ना : सुषमा स्‍वराज

नई दिल्ली। देश की सिक्किम सीमा पर चीन के साथ जारी टकराव को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने गुरुवार को संसद में केंद्र सरकार का पक्ष रखा।

उन्होंने राज्यसभा में बताया कि आखिर भारत को किन परिस्थितियों के मद़देनजर चीन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना पड़ा। बता दें कि महीने भर से ज्यादा वक्त से डोकलाम में भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। इस मामले का अब तक कोई हल निकलता नजर नहीं आ रहा।

साथ ही इस मामले में चीन की सरकारी मीडिया और विदेश मंत्री की धमकियों पर भारत ने अब तक साफतौर पर कोई बयानबाजी भी नहीं की है।

विदेश मंत्री से कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने पूछा कि क्या चीन ने हिंद महासागर में अपनी पनडुब्बियों को तैनात किया है और क्या वह भारत की घेराबंदी कर रहा है?  मामले में सरकार क्या कर रही है? सुषमा ने हिंद महासागर में चीन के भारत को घेरने पर कहा कि ऐसी खबरें आई थीं चीन समुद्री ताकत बनना चाहता है।

इसके लिए उसने समुद्री सीमाओं के आसपास सक्रियता बढ़ाई है, लेकिन भारत अपनी सुरक्षा के बारे में बहुत चौकन्ना है, इसलिए उसे कोई घेर नहीं सकता। सुषमा ने बताया कि भारत की स्थिति दक्षिण चीन सागर के बारे में बिल्कुल साफ है। वहां फ्रीडम ऑफ नेविगशन होनी चाहिए। किसी तरह से व्यापार को बाधित नहीं होना चाहिए।

समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने विदेश मंत्री से सवाल किया कि चीन और भारत के बीच मौजूदा तनाव का कारण क्या है और चीन की क्या-क्या मांगें हैं? उन्होंने पूछा कि चीन किन बातों पर विरोध कर रहा है और भारत का इस पर क्या जवाब है? दुनिया के कौन-कौन से देश भारत के साथ इस मुद्दे पर खड़े हैं?

इस पर सुषमा ने कहा कि भारत और चीन के अलावा चीन और भूटान के बीच सीमा तय होनी है। भारत ने इस मामले के हल के लिए प्रतिनिधि तय किए हैं। विदेश मंत्री के मुताबिक, सीमा तय किए जाने का मामला देशों को आपस में सुलझाना होता है, लेकिन एक जगह ऐसी थी, जिसे ट्राइजंक्शन कहते हैं। इसे लेकर 2012 में समझौता हुआ था कि भारत, चीन और थर्ड कंट्री यानी कि भूटान मिलकर सीमा तय करेंगे।

विदेश मंत्री के मुताबिक, इसके बाद, चीन बीच-बीच में इस क्षेत्र में आता रहा और उसकी हल्की-फुल्की गतिविधियां जारी रहीं। हालांकि, इस बार चीनी सेना बुलडोजर और भारी साजो-सामान लेकर पहुंच गई।

विदेश मंत्री ने बताया कि इस बार चीन चाहता था कि ट्राइजंक्शन को लेकर ‘स्टेटस क्वो’ यानी यथापूर्व स्थिति खत्म हो जाए। सुषमा ने कहा कि ट्राइजंक्शन पॉइंट में चीन की दखल होते ही भारत के हित इस मामले से सीधे तौर पर जुड़ गए। अगर चीन यहां की यथापूर्व स्थिति को बदल देता तो हमारी सुरक्षा खतरे में पड़ जाती।

चीनी सेना से आमना-सामना पर सुषमा ने कहा कि अगर बातचीत के लिए दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटाने की शर्त रखी गई तो इसमें कुछ भी गलत नहीं था। विदेश मंत्री के मुताबिक, भारत की ओर से इस मामले में कोई भी गैर वाजिब कदम नहीं उठाया गया है और भूटान समेत सभी देश भारत के रुख के साथ खड़े हैं।

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नेशनल

ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप को मनमानी करने पर 103 के बदले देने पड़ेंगे 35,453 रु, जानें क्या है पूरा मामला

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हैदराबाद। ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग ऐप स्विगी को ग्राहक के साथ मनमानी करना भारी पड़ गया। कंपनी की इस मनमानी पर एक कोर्ट ने स्विगी पर तगड़ा जुर्माना ठोक दिया। हैदराबाद के निवासी एम्माडी सुरेश बाबू की शिकायत पर उपभोक्ता आयोग ने बड़ा फैसला सुनाया है। बाबू ने आरोप लगाया था कि स्विगी ने उनके स्विगी वन मेंबरशिप के लाभों का उल्लंघन किया और डिलीवरी Food Delivery की दूरी को जानबूझकर बढ़ाकर उनसे अतिरिक्त शुल्क वसूला

क्या है पूरा मामला ?

सुरेश बाबू ने 1 नवंबर, 2023 को स्विगी से खाना ऑर्डर किया था। सुरेश के लोकेशन और रेस्टॉरेंट की दूरी 9.7 किमी थी, जिसे स्विगी ने बढ़ाकर 14 किमी कर दिया था। दूरी में बढ़ोतरी की वजह से सुरेश को स्विगी का मेंबरशिप होने के बावजूद 103 रुपये का डिलीवरी चार्ज देना पड़ा। सुरेश ने आयोग में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि स्विगी वन मेंबरशिप के तहत कंपनी 10 किमी तक की रेंज में फ्री डिलीवरी करने का वादा किया था।कोर्ट ने बाबू द्वारा दिए गए गूगल मैप के स्क्रीनशॉट्स और बाकी सबूतों की समीक्षा की और पाया कि दूरी में काफी बढ़ोतरी की गई है।

कोर्ट ने स्विगी को अनुचित व्यापार व्यवहार का दोषी पाया और कंपनी को आदेश दिया कि वे सुरेश बाबू को 9 प्रतिशत ब्याज के साथ 350.48 रुपये के खाने का रिफंड, डिलीवरी के 103 रुपये, मानसिक परेशानी और असुविधा के लिए 5000 रुपये, मुकदमे की लागत के लिए 5000 रुपए समेत कुल 35,453 रुपये का भुगतान करे।

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