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भावनात्मक शोषण पर वर्कशॉप में छात्रों ने सीखे बचाव के गुर

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नई दिल्ली, 16 मार्च (आईएएनएस)| भावनात्मक शोषण को नाम देना या इसके बारे में बात करना बहुत मुश्किल है। भावनात्मक शोषण को लोग गंभीरता से भी बहुत कम ही लेते हैं क्योंकि इसमें कोई बाहरी चोट या टूटी हुई हडिड्यां नहीं दिखतीं।

किसी भी तरह के संबंध में पैरंट्स और बच्चों में, भाई-बहनों में, दोस्तों में या पति-पत्नी में भावनात्मक शोषण की स्थिति आ सकती है। रिश्तों में भावना प्रधान शोषण की व्याख्या करने, इसकी प्रकृति की पहचान और इससे निपटने के तौर-तरीके सिखाने के लिए द्वारका स्थित दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज ने बेहतर भावनात्मक रहन-सहन के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी जायगो के साथ इस विषय पर वर्कशॉप आयोजित करने के लिए हाथ मिलाया जिसमें छात्रों ने बढ़चढ़कर भाग लिया शोषण से बचाव के गुर सीखे।

जायगो के मनोवैज्ञानिकों और काउंलसरों ने छात्रों के साथ बातचीत में उनको भावनात्मक शोषण की अवधारणा के बारे में समझाया। उन्होंने छात्रों को यह भी बताया कि वास्तविक जिंदगी में किन संबंधों में भावनात्मक शोषण की स्थिति आ सकती है। करीब 3 घंटे की इंटरएक्टिव वर्कशॉप में विडियो प्रेजेंटेशन भी दी गई। इसके अलावा वर्कशॉप में ग्रुप डिस्कशन के कई राउंड हुए। केस स्टडी और रोल प्ले भी किया गया। इस वर्कशॉप का उद्देश्य छात्रों को इस विषय की असल जानकारी देना था और उन्हें उन महत्वपूर्ण टिप्स के बारे में बताना था, जिसे वह अपनी-अपनी जिंदगी में भावनात्मक शोषण से बचाव के लिए लागू कर सकें।

दीन दयाल उपाध्याय में मेंटरिंग और काउंसलिंग कमिटी की कन्वीनर डॉ. अनुभा मुखर्जी सेन ने कहा, हम भावनात्मक रूप से अच्छे रहन-सहन की अहमियत समझते हैं। यह जायगो के साथ काम करने का हमारा सशक्त प्रयास है। इससे छात्रों को भावनात्मक स्थितियों को पहचानने और ऐसी स्थिति से सावधानीपूर्वक निपटने में मदद मिलेगी।

दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज में इंग्लिश की प्रोफेसर बरखा ने कहा, मैं कॉलेज की ओर से आयोजित वर्कशॉप का हिस्सा रही थी। मुझे इस तरह की वर्कशॉप का आइडिया बेहद पसंद आया, जो छात्रों के लिए अपने आसपास की भावनात्मक स्थितियों के प्रति आंखें खोलने जैसा था। मैंने इस वर्कशॉप को इसमें हुए इंटरएक्टिव सेक्शन के कारण और ज्यादा पसंद किया। टीम ने हमें केस स्टडी भी समझाई, जो बोरिंग और एक ही लीक पर चलने वाले लेक्च रों की जगह एक्टिविटी से भरपूर थी।

जायगो के संस्थापक अरिंदम सेन ने कहा, भावनात्मक शोषण समय के साथ धीरे-धीरे होता है और यह किसी भी व्यक्ति के आत्म विश्वास, आत्मसम्मान, अपने बारे में धारणा, विचारों और अवधारणाओं को पूरी तरह तहस-नहस कर देता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भावनात्मक शोषण से किसी भी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे उसका सामाजिक विकास प्रभावित होता है और यह उस व्यक्ति के दिल पर हमेशा के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से गहरे जख्म छोड़ जाता है।

उन्होंने कहा, हम छात्रों में इस विषय पर जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे ऐसी स्थिति से गुजरते हुए किसी भी व्यक्ति को जागरूक करने में उन्हें मदद मिलेगी। इससे वह उस व्यक्ति को सिखा सकेंगे कि कैसे भावनात्मक शोषण के संकेतों को पहचाना जा सकता है और डॉक्टरों से मदद ली जा सकती है।

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टेनिस : दुबई चैम्पियनशिप में सितसिपास ने मोनफिल्स को हराया

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 दुबई, 1 मार्च (आईएएनएस)| ग्रीस के युवा टेनिस खिलाड़ी स्टेफानोस सितसिपास ने शुक्रवार को दुबई ड्यूटी फ्री चैम्पियनशिप के पुरुष एकल वर्ग के सेमीफाइनल में फ्रांस के गेल मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में मात देकर फाइनल में प्रवेश कर लिया।

  वर्ल्ड नंबर-11 सितसिपास ने वर्ल्ड नंबर-23 मोनफिल्स को कड़े मुकाबले में 4-6, 7-6 (7-4), 7-6 (7-4) से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया।

यह इन दोनों के बीच दूसरा मुकाबला था। इससे पहले दोनों सोफिया में एक-दूसरे के सामने हुए थे, जहां फ्रांस के खिलाड़ी ने सीधे सेटों में सितसिपास को हराया था। इस बार ग्रीस के खिलाड़ी ने दो घंटे 59 मिनट तक चले मुकाबले को जीत कर मोनफिल्स से हिसाब बराबर कर लिया।

फाइनल में सितसिपास का सामना स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर और क्रोएशिया के बोर्ना कोरिक के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल के विजेता से होगा। सितसिपास ने साल के पहले ग्रैंड स्लैम आस्ट्रेलियन ओपन में फेडरर को मात दी थी।

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