प्रादेशिक
भूकंप से मजबूत हुआ रोटी-बेटी का संबंध
मोतिहारी (बिहार)| पिछले तीन दिनों से आ रहे भूकंप के झटके से भले ही बिहार और नेपाल की सड़कों में दरारें आ गई हों, परंतु इस भूकंप से दो देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं। भारत-नेपाल के सीमावर्ती इलाके के लोग एकजुट होकर पीड़ितों की मदद में लगे हैं। दो देशों की सरहद की सीमा भी मानों इन मद्दारों के सामने टूट गई हैं। कहा जाता है कि भारत और नेपाल में प्रारंभ से ही रोटी और बेटी का संबंध रहा है। भूकंप के बाद जिस तरह पीड़ितों की मदद के लिए दोनों ओर से हाथ उठे हैं, उससे रोटी-बेटी का संबंध और मजबूत हुआ है। बिहार के लोग जहां रोजी-रोटी कमाने के लिए नेपाल जाते हैं, वहीं बिहार की कई बेटियों की ससुराल नेपाल में हैं। लोगों का तर्क है कि इस भूकंप के बाद सीमांचल क्षेत्रों में यह स्थिति साफ दिखाई दे रही है। इस भूकंप पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए दोनों देशों का प्रशासन, नागरिक और स्वयंसेवी संस्थाएं साथ-साथ जुटे हुए हैं। भारत-नेपाल सीमा पर रक्सौल के सीमा शुल्क चौकी के पास सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) ने राहत शिविर की स्थापना की है। एसएसबी के जवान नेपाल से आने वाले भूकंप पीड़ितों की सेवा में लगे हैं। इस शिविर में जहां दवा उपलब्ध है, वहीं जवान खाना बनाकर पीड़ितों को खाना खिला रहे हैं।
इधर, वीरगंज में भी 15 राहत शिविर लगाए गए हैं। प्रत्येक शिविरों में 1000 लोगों के रहने की व्यवस्था की गई है। नेपाल के काठमांडू, पोखरा और दूसरे इलाकों से वीरगंज के रास्ते पीड़ित रक्सौल पहुंच रहे हैं। रक्सौल के हजारीमल उच्च विद्यालय परिसर में भी राहत शिविर बनाए गए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के डिप्टी कमांडेंट बालचंद्र कहते हैं, “नेपाल से आ रहे पीड़ितों को सीमा से बस द्वारा राहत शिविर में लाकर इलाज करवाकर भोजन-पानी के साथ घर भेजा जा रहा है।” पूर्वी चंपाारण के प्रभारी जिलाधिकारी भरत दूबे ने बताया कि नेपाल से आने वाले भूकंप पीड़ितों का यहां पंजीकरण कराया जा रहा है। इसके लिए स्टॉल लगाए गए हैं। आने वालों को जरूरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।”जो लोग वापस नेपाल से लौट रहे हैं। उनके चेहरे पर मौत का खौफ साफ दिखाई दे रहा है। नेपाल से लौटे नौशाद अंसारी कहते हैं, “मौत से किस तरह पीछा छूटा, यह तो पता नहीं परंतु आज घर जरूर पहुंच चुका हूं। इसमें जरूर अल्लाह की कृपा होगी।” वह कहते हैं कि दोनों देशों के बीच प्रारंभ से ही रोटी-बेटी का संबंध रहा है। एसएसबी के सेनानायक राकेश सिन्हा बताते हैं कि रविवार देर रात से यहां के लोगों की वतन वापसी प्रारंभ हो गई है। उन्होंने बताया कि अब तक कम से कम सात हजार लोग या तो शिविर में या अपने घर वापस लौट चुके हैं।
IANS News
वसुधैव कुटुंबकम’ भारत का शाश्वत संदेश : योगी आदित्यनाथ
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के आदर्श वाक्य के महत्व पर जोर देते हुए इसे भारत की वैश्विक मानवता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया है। उन्होंने इसे भारत का शाश्वत संदेश बताते हुए कहा कि हमने हमेशा से शांति, सौहार्द और सह-अस्तित्व को प्राथमिकता दी है। सीएम योगी ने यह बात शुक्रवार को एलडीए कॉलोनी, कानपुर रोड स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल (सीएमएस) के वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 25वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में कही। कार्यक्रम में 56 देशों के 178 मुख्य न्यायाधीश और डेलिगेट्स ने भाग लिया।
‘अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक’
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 51 की भावनाओं को विश्व शांति और सुरक्षा के लिए प्रेरक बताया। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद सम्मानजनक अंतरराष्ट्रीय संबंधों को विकसित करने और संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए हम सभी को प्रेरित करता है। उन्होंने समारोह को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि 26 नवंबर 2024 को संविधान अंगीकरण के 75 वर्ष पूरे होंगे। यह संविधान के अंगीकृत होने के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत के दौरान आयोजित हो रहा है।
‘युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है’
योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र के ‘समिट ऑफ दि फ्यूचर’ में दिये गये संबोधन की चर्चा करते हुए कहा कि युद्ध समस्याओं का समाधान नहीं है। युद्ध ने दुनिया के ढाई अरब बच्चों के भविष्य को खतरे में डाला है। उन्होंने दुनिया के नेताओं से आग्रह किया कि वे एकजुट होकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, सुरक्षित और भयमुक्त समाज का निर्माण करें। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन को वैश्विक संवाद और सहयोग का मंच बताते हुए विश्वास व्यक्त किया कि अनुच्छेद 51 की भावना के अनुरूप यह आयोजन विश्व कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करेगा। उन्होंने दुनिया भर के न्यायाधीशों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का भी आह्वान किया।
‘भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध’
मुख्यमंत्री ने संविधान के अनुच्छेद 51 की चर्चा करते हुए कहा कि यह वैश्विक शांति और सौहार्द की दिशा में भारत की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह अनुच्छेद संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान और सभी देशों के बीच सम्मानजनक संबंधों को बढ़ावा देने का संदेश देता है। मुख्यमंत्री ने भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि भारत विश्व शांति और सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध है।
सीएमएस के संस्थापक को दी श्रद्धांजलि
सीएमएस के संस्थापक डॉ. जगदीश गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि और प्रयासों से यह सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच बना है। उन्होंने डॉ. भारती गांधी और गीता गांधी को इस कार्यक्रम को अनवरत जारी रखने के लिए धन्यवाद दिया।
इस अवसर पर हंगरी की पूर्व राष्ट्रपति, हैती रिपब्लिक के पूर्व प्रधानमंत्री सहित दुनिया के 56 देशों से आए हुए न्यायमूर्तिगण, सीएमएस की संस्थापक निदेशक डॉ भारती गांधी, प्रबंधक गीता गांधी किंगडन समेत स्कूली बच्चे और अभिभावकगण मौजूद रहे।
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