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भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में फिर पेश

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नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को विपक्ष के भारी हंगामे के बीच विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक को पेश करने के विरोध में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी सहित सभी बड़ी विपक्षी पार्टियों ने सदन से बहिर्गमन किया।
यह विधेयक फरवरी में बजट सत्र के प्रथम चरण के दौरान लोकसभा में पारित हो गया था। लेकिन यह राज्यसभा में लटक गया था।

राज्यसभा का मार्च में सत्रावसान कर दिया गया था। भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन में निष्पक्ष मुआवजा एवं पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2015 एक अध्यादेश का स्थान लेगा, जिसे अप्रैल में दोबारा लागू किया गया है। इस अध्यादेश के जरिए संप्रग सरकार के दौरान 2013 में पारित अधिनियम के कुछ प्रावधानों को संशोधित किया गया है।

पुराने कानून से जिन प्रमुख बिंदुओं को हटाया गया है, वे सहमति के प्रावधान और सामाजिक प्रभाव आकलन अध्ययन से संबंधित हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दलों ने नए मसौदा विधेयक का विरोध किया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बीरेंद्र सिंह ने इस विधेयक को पेश करते हुए कहा कि नए अध्यादेश को अप्रैल में लागू किया गया था। यह महत्वपूर्ण था कि हम सदन के समक्ष इस अध्यादेश को रखें।

कांग्रेस और तृणमूल सहित लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने इस विधेयक का विरोध किया। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विधेयक राज्यसभा में लंबित है। विधेयक कहां है, हमें इसकी जानकारी नहीं है। इस स्थिति में जो विधेयक अस्तित्व में है, उसे रद्द करने के प्रयास क्यों किए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार लोगों पर विधेयक थोपने का प्रयास कर रही है। हम इसे सहन नहीं करेंगे। यह विधेयक सिर्फ पूंजीपतियों और कॉरपोरेट जगत के लोगों के लिए है।

बीजू जनता दल के सदस्य बी.महताब ने कहा कि हम इस विधेयक को पेश किए जाने के खिलाफ हैं। इस सदन द्वारा पारित विधेयक को दोबारा पेश करने की जरूरत क्यों है। तृणमूल कांग्रेस के सुगता रॉय ने संवैधानिक आधारों का हवाला देते हुए इस विधेयक का विरोध किया।
चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्यमंत्री एम.वैंकेया नायडू ने कहा, “विपक्ष को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन आप सरकार पर यह आरोप नहीं लगा सकते कि यह कॉरपोरेट जगत की मदद कर रही है। हम सदन को विश्वास में लेना चाहते हैं कि हमने आवश्यकतानुसार ही बदलाव किए हैं।” उन्होंने कहा, “यह किसान समर्थक विधेयक है।” इससे पहले सदन की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने विधेयक पेश करने की अनुमति दी।

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लद्दाख में एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन का हुआ उद्घाटन, 4300 मीटर की ऊंचाई पर है स्थित

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लद्दाख। एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन, मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरीमेंट (एमएसीई) वेधशाला का लद्दाख के हानले में उद्घाटन किया गया है। इस दूरबीन से वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।

मंगलवार को जारी एक बयान में कहा गया कि 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दूरबीन दुनिया में इस तरह की सबसे ऊंची दूरबीन भी है। इस दूरबीन की मदद से अब वैज्ञानिक रिसर्च में और भी प्रगति होगी। इस दूरबीन को मुंबई स्थित BARC ने इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों की मदद से बनाया है और इसे स्वदेशी तरीके से बनाया गया है।

4 अक्तूबर को हुआ उद्घाटन

MACE वेधशाला का उद्घाटन DAE के प्लेटिनम जुबली वर्ष प्रोग्राम का एक हिस्सा था। 4 अक्तूबर को लद्दाख के हनले में डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) वेधशाला का उद्घाटन किया। इसके उद्घाटन के बाद उन्होंने उन सभी कोशिशों की प्रशंसा भी की जिस कारण MACE दूरबीन सफल हुई।

 

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