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भोपाल गैस पीड़ितों का प्रदर्शन, सरकार के रवैए को कोसा

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भोपाल | मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में वर्ष 1984 में हुए यूनियन कार्बाइड हादसे के पीड़ितों ने विश्व पर्यावरण दिवस पर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के रवैए की जमकर आलोचना की। पीड़ितों ने कहा कि एक हादसे ने हजारों लोगों को निगल लिया था, मगर आज भी लाखों लोग तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं। यूनियन कार्बाइड के कारखाने के आस पास के निवासियों ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुक्रवार को पिछले 19 सालों से जमीन में दफन हजारों टन जहरीले कचरे को हटा न पाने की सरकार की विफलता के खिलाफ प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन उसी स्थान पर किया गया, जहां जहरीला कचरा जमीन मे दबा हुआ है।

पीड़ितों ने कहा कि जमीन में जमा जहरीला कचरा कैंसर और जन्मजात बीमारियां पैदा करते हैं, साथ ही जिगर, फेफड़े और मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाते हैं।संगठनों ने बताया कि लखनऊ स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च ने अक्टूबर 2012 की अपनी रपट में कहा है कि 22 बस्तियों का भूजल प्रदूषित है। उसके अनुसार हाल की जांचों में प्रदूषण 22 बस्तियों से आगे जा चुका है और इसका फैलना तबतक जारी रहेगा, जबतक जहरीला कचरा जमीन में दफन रहेगा। भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संध की अध्यक्षा रशीदा बी का कहना है कि यूनियन कार्बाइड ने हमारे घरों के पास इस कचरे को जमीन में दबा दिया है। भारत सरकार यूनियन कार्बाइड के वर्तमान मालिक डाओ केमिकल को आज तक इस बात के लिए क्यों मजबूर नहीं कर पाई कि वह अपनी कानूनी जिम्मेदारी स्वीकारे और यहां से जहरीला कचरा हटाए।

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशन भोगी संघर्ष मोर्चा के बालकृष्ण नामदेव ने हाल में पर्यावरण मंत्री द्वारा प्रदूषण की गहराई और फैलाव के वैज्ञानिक आकलन के संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव को ठुकराने की तीव्र भत्सना की। उन्होंने कहा कि इस तरह के आकलन के बगैर जहर सफाई का काम शुरू ही नहीं हो सकता है।भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष नवाब खां ने प्रभावितों की समस्या का जिक्र करते हुए कहा, “जो निवासी पिछले 20 वषरें से प्रदूषित भूजल पीते आ रहे हैं, उनके परिवारों में जन्मजात विकृतियों के साथ सैकड़ों बच्चे पैदा हो रहे हैं। जबतक इस जहरीले कचरे को खोद कर उसे सुरक्षित तरीके से ठिकाने नहीं लगाया जाता, तबतक प्रदूषण पीढ़ियों को विकलांग करता रहेगा।”

भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन के सतीनाथ षडंगी ने बताया, “डाओ केमिकल द्वारा जहरीले कचरे को उठाने और जहर सफाई करने के सम्बन्ध में एक याचिका मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में पिछले 11 सालों से लंबित है।” डाव-कार्बाइड के खिलाफ बच्चे संगठन की संस्थापक साफरीन खां का कहना है कि इस हादसे का सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि इसमें हर दिन नए लोग पीड़ित हो रहे हैं, जबकि हमारे स्वास्थ्य और जीवन की रक्षा के लिए बनी सरकारी संस्थाएं चुपचाप देख रही हैं।

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IPS अधिकारी संजय वर्मा बने महाराष्ट्र के नए डीजीपी, रश्मि शुक्ला के ट्रांसफर के बाद मिली जिम्मेदारी

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महाराष्ट्र। महाराष्ट्र के नए डीजीपी का कार्यभार IPS संजय वर्मा को सौंपा गया है। आईपीएस संजय वर्मा को केंद्रीय चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र के नए पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया है। कुछ ही दिनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव है। उससे पहले चुनाव आयोग ने राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले की शिकायत मिलने के बाद डीजीपी रश्मि शुक्ला के तबादले का आदेश दिया था।

कौन हैं IPS संजय वर्मा?

IPS संजय वर्मा 1990 बैच के पुलिस अधिकारी हैं। वह महाराष्ट्र में वर्तमान में कानून और तकनीकी के डीजी के रूप में कार्यरत रहे। वह अप्रैल 2028 में सेवानिवृत्त पुलिस सेवा से रिटायर होंगे। दरअसल, डीजीपी रश्मि शुक्ला को लेकर सियासी दलों के बीच पिछले कुछ समय से माहौल गर्म था। कांग्रेस के बाद उद्धव गुट की शिवसेना ने भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उन्हें हटाने की मांग की थी।

कांग्रेस ने रश्मि शुक्ला की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से उन्हें महानिदेशक पद से हटाने की मांग की थी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने उन पर आरोप लगाया था कि वह बीजेपी के आदेश पर सरकार के लिए काम कर रही हैं।

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