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प्रादेशिक

मंत्री का बयान ‘लात नहीं मारी सिर्फ अपने पैर छुड़ाए’

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भोपाल। एक नाबालिग को कथित तौर पर लात मारने के चलते विवादों में घिरीं मध्य प्रदेश की पशुपालन मंत्री कुसुम मेहदेले ने अपनी सफाई में कहा है कि उनके पैरों में आकर गिरा नाबालिग नशे में था, उन्होंने तो बस उससे अपने पैर छुड़ाए थे। उल्लेखनीय है कि रविवार को एक वीडियो वायरल हुई थी, जिसमें मेहदेले एक नाबालिग के सिर पर लात मारती दिखाई दे रही हैं। यह घटना पन्ना जिले की है। जहां एक नाबालिग भीख मांगते हुए मंत्री के करीब गया और अपना सिर उनके पैरों के सामने रख दिया। इस पर मेहदेले ने उसके सिर पर कथित तौर पर लात मारी।

बच्चे को लात मारने के मामले के तूल पकड़ने पर सरकार व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) संगठन ने मेहदेले से सफाई मांगी। इस पर मेहदेले ने सोमवार रात मीडिया में एक लिखित बयान जारी किया। उन्होंने बयान में कहा, “मैं स्टैंड के सफाई अभियान में हिस्सा लेकर लौट रही थी। उसी समय 20 वर्षीय लड़का आया जिसे मैं जानती नहीं हूं, जो अत्यधिक शराब पिए हुए था। वह संतुलन खोकर अचानक लड़खड़ाकर मेरे पैरों में गिर पड़ा। उसने मेरे पैर पकड़ लिए, जिस पर मैं अपने पैर छुड़ाते हुए बैठक में भाग लेने के लिए गाड़ी की ओर बढ़ गई।” मेहदेले का कहना है कि मीडिया में जिस तरह की खबर दिखाई जा रही है, वैसी कोई घटना घटी ही नहीं है।

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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने उठाया सवाल, जानें अब कैसे चुने जाएंगे डीजीपी

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाया है। अखिलेश यादव ने कहा कि यह जो नियम बना है उससे साबित हो रहा है कि लखनऊ और दिल्ली में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कहीं ये दिल्ली के हाथ से लगाम अपने हाथ में लेने की कोशिश तो नहीं है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा नेता ने कहा कि सरकार के इस फैसले से कई सीनियर आईपीएस अधिकारी निराश हैं।

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने डीजीपी पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली बना दी है. इस प्रत्सव पर सोमवार को हुई कैबिनेट बैठक में मुहर भी लग गई. इसके लागू होते ही राज्य सरकार अपने स्तर से ही डीजीपी की तैनाती कर सकेगी. इससे पहले राज्य सरकार नामों का पैनल यूपीएससी को भेजती थी, जहां से मुहर लगती थी. हालांकि योगी सरकार के इस फैसले पर सियासत के साथ ही पुलिस महकमे में भी तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं.

क्या है नया नियम

नई नियमावली के तहत पे मैट्रिक्स 16 लेवल के सभी अधिकारी डीजीपी बनने के लिए अब क्वालीफाई कर सकेंगे, जिनकी छह महीने की नौकरी बची हो. आमतौर पर डीजी स्तर के सभी अधिकारी इस लेवल पर होते हैं. अभी तक यूपीएससी गाइडलाइंस के तहत डीजी स्तर के सभी अफसरों का नाम प्रदेश सरकार यूपीएससी को भेजती है, यूपीएससी इनमें से सीनियर मोस्ट तीन अफसरों के नाम प्रदेश सरकार को वापस भेजती थी. इनमें से ही किसी एक को ही विजिलेंस क्लियरेंस के बाद डीजीपी बनाना होता है. सितंबर 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को एक पुलिस एक्ट बनाने के लिए कहा था, जिससे डीजीपी के चयन की व्यवस्था को दबाव से मुक्त रखा जाए, लेकिन तब से अब तक चयन के लिए यूपी ने कोई अलग व्यवस्था नहीं की थी. अब यूपी में डीजीपी के चयन की अपनी नियमावली कैबिनेट से पास करके बना ली है.

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