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प्रादेशिक

मणिपुर : कड़ी चौकसी के बीच कर्फ्यू जारी

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इंफाल। मणिपुर के दंगा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में गुरुवार को भी कर्फ्यू जारी रहा। सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने लोगों से राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की अपील की है। अधिकारियों ने अफवाहों पर नकेल कसने के लिए इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं।

चुराचांदपुर जिलाधिकारी लूंमिंथांग हाओकिप ने बताया, “जिले में कर्फ्यू में कोई ढील नहीं दी गई है। फिलहाल हिंसा की कोई ताजा घटना नहीं हुई है।” उन्होंने कहा कि सुरक्षाबल जिले में आगे हिंसा की किसी नापाक कोशिश को विफल करने के लिए पैनी नजर रख रहे हैं। मणिपुर के उपमुख्यमंत्री एच. गईखंगम ने लोगों से शांति रखने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को प्रभावित करने वाली अफवाहें न फैलाने की अपील की है।

जिलाधिकारी ने इस बात से भी इनकार किया है कि राज्य में दो माह लंबी उथलपुथल के दौरान प्रदर्शनकारियों पर कोई गोली चलाई गई है। चुराचांदपुर के नागरिक समाज समूहों ने संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) के बैनर तले हिंसा के दौरान मारे गए सात लोगों के शवों पर दावा न करने का फैसला लिया है। जेएसी के मुख्य संयोजक मंगचिंखुप ने कहा, “हम मसले का सम्मानजनक समाधान न निकलने तक शवों पर दावा नहीं करेंगे।”

उल्लेखनीय है कि मणिपुर सरकार द्वारा तीन प्रमुख विधेयकों को मंजूरी देने के बाद सोमवार शाम से यहां हिंसा भड़क उठी, जिसमें सात लोग मारे गए थे और 30 से अधिक घायल हुए थे। इन तीन विधेयकों में मणिपुर जन संरक्षण विधेयक 2015, मणिपुर भूमि राजस्व एवं भूमि सुधार (सातवां संशोधन) विधेयक 2015, और मणिपुर दुकान एवं प्रतिष्ठान (दूसरा संशोधन) विधेयक 2015 शामिल हैं।

जनजातीय नागरिक समूह-ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम), कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (केएसओ) और ऑल नागा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर (एएनएसएएम)- विधेयक का विरोध कर रहे हैं। केएसओ के प्रवक्ता मिनलान गंगटे ने कहा, “मणिपुर भूमि राजस्व और भूमि सुधार अधिनियम में संशोधन से जातीय समुदायों के अधिकार छीन लिए गए हैं। हम (जनजाति) सरकार से और विशेष रूप से अपने निर्वाचित विधायकों से खुश नहीं हैं, विधेयक पारित करने के बाद वे चुप्पी साधे हुए हैं।”

इस बीच, यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) ने राज्य विधानसभा द्वारा तीन विधेयक पारित करने के खिलाफ मणिपुर के पर्वतीय इलाके में 48 घंटे का बंद लगाया है, जो तीन सितंबर की आधी से प्रभावी है।

यूएनसी ने कहा, “पारित विधेयक पूरी तरह आदिवासी-विरोधी हैं और राज्य के आदिवासी समुदाय पर एक प्रत्यक्ष हमला एवं खतरा है।”

उत्तर प्रदेश

संभल हिंसा: 2500 लोगों पर केस, शहर में बाहरी की एंट्री पर रोक, इंटरनेट कल तक बंद

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संभल। संभल में जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान रविवार को भड़की हिंसा के बाद सोमवार सुबह से पूरे शहर में तनाव का माहौल है। हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू जैसे हालात हैं। प्रशासन ने स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। डीआईजी मुनिराज जी के नेतृत्व में पुलिस बल ने हिंसा प्रभावित इलाकों में फ्लैग मार्च किया। शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर बैरिकेडिंग की गई है, और प्रवेश मार्गों पर पुलिस तैनात है। पुलिस ने अभी तक 25 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। इसमें दो महिलाएं भी शामिल हैं। इंटरनेट अब कल तक बंद रहेगा।

इसके अलावा कोई भी बाहरी व्यक्ति, अन्य सामाजिक संगठन अथवा जनप्रतिनिधि जनपद संभल की सीमा में सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना एक दिसंबर तक प्रवेश नहीं करेगा। ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा। इस आदेश का उल्लंघन भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा। इसके अलावा संभल और आसपास के क्षेत्रों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों को बंद करने का भी आदेश जारी किया गया है। हिंसा मामले में 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनके साथ 2500 लोगों पर भी केस दर्ज किया गया है। साथ ही पुलिस की तरफ से दुकानों को बंद नहीं किया गया है।

इसके साथ ही संभल पुलिस ने समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर एफआईआर दर्ज की है। दोनों नेताओं पर संभल में हिंसा भड़काने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि रविवार (24 नवंबर) की सुबह संभल की शाही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण किया गया था। इस दौरान मस्जिद के पास अराजक तत्वों ने सर्वेक्षण टीम पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते माहौल बिगड़ता चला गया। पुलिस ने हालात को काबू करने के लिए आंसू गैसे के गोले छोड़े और अराजक तत्वों को चेतावनी भी दी। हालांकि, हिंसा के दौरान चार लोगों की मौत हो गई।

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