Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

मप्र का स्वास्थ्य विभाग चल रहा ‘दीपक’ के भरोसे

Published

on

Loading

संदीप पौराणिक 

भोपाल| मध्यप्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं में निजीकरण की शुरुआत हो गई है, और इसका पहला पड़ाव बना है, आदिवासी बहुल जिला अलिराजपुर। यहां की स्वास्थ्य सेवाओं और खासकर शिशु मृत्युदर तथा मातृ मृत्युदर कम करने के लिए गुजरात के गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘दीपक फाउंडेशन’ के साथ स्वास्थ्य विभाग ने करार किया है।

लेकिन अब इस करार पर ही सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि बीते वर्षो में राज्य की शिशु मृत्युदर और मातृ मृत्युदर में कोई कमी नहीं आ रही है।

राज्य की सरकार लगातार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होने का दावा किए जाने के साथ अपनी कोशिशों को लेकर पीठ भी थपथपाती रही है, मगर जमीनी हकीकत इससे अलग है।

कई अस्पतालों में चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मी नहीं है। नतीजतन मरीजों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। सरकारी अस्पतालों की बदहाली और लापरवाही केा हाल ही में बड़वानी और श्योपुर की घटनाआंे ने सामने ला दिया है। जहां मोतियाबिंद के ऑपरेशन आंखों को रोशनी पाने की चाहत में 65 लोग अंधेरा लेकर लौटे हैं।

स्वास्थ्य विभाग सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों हालत में सुधार लाने की बजाय निजीकरण की दिशा में बढ़ने लगा है और इसकी शुरुआत हुई है अलिराजपुर से। नवंबर 2015 में राज्य स्वास्थ्य समिति और दीपक फाउंडेशन, बड़ोदरा (गुजरात) के बीच करार हुआ है। इस करार के मुताबिक दीपक फाउंडेशन जिला चिकित्सालय और जोबट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्य करते हुए शिशु व मातृ मृत्युदर में कमी लाने के लिए काम करेगा।

राज्य स्वास्थ्य समिति और दीपक फाउंडेशन के करार की प्रति आईएएनएस को मिली है, उसके अनुसार फाउंडेशन जिला अस्पताल में निश्चेतन (एनेस्थेटिएस्ट) विशेषज्ञ और जोबट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में निश्चेतन (एनेस्थेटिएस्ट), स्त्रीरोग और बाल रोग विशेषज्ञों की पदस्थापना में सहयोग करेगा।

वैसे इन चिकित्सकों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन वेतन देता है, मगर तय वेतन से ज्यादा देने की स्थिति में शेष राशि की पूर्ति दीपक फाउंडेशन करेगा। इसके अलावा अल्टा सोनोग्राम (यूएसजी) और जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम में भी यह फाउंडेशन जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद करेगा।

करारनामे के अनुसार, अलिराजपुर के अलावा झाबुआ और बड़वानी में दीपक फाउंडेशन हेल्प डेस्क भी शुरू करेगा। इसके अलावा अलिराजपुर में आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देगा। यह फाउंडेशन ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य, पोषण तथा स्वच्छता समितियों को भी प्रशिक्षण देगा। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन बजट के मुताबिक, राशि मुहैया कराएगा। यह करार तीन वर्ष के लिए है।

सरकार और दीपक फाउंडेशन के बीच हुए करार पर ही सवाल उठ रहे हैं। जन स्वास्थ्य अभियान के डॉ. एस.आर. आजाद ने बताया है कि इस करार में सरकार ने उन सभी दिशा निर्देशों की अवहेलना की है, जो किसी गैर सरकारी संगठन के साथ करार करने के लिए आवश्यक है।

करार से पहले न तो कोई विज्ञापन जारी किया और न ही निविदाएं आमंत्रित की गईं। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह से शिकायत की तो वे जांच कराने की बात कह रही है।

जन स्वास्थ्य अभियान के अमूल्य निधि ने बताया है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश को भी प्रति वर्ष बजट स्वीकृत होता है, मगर इस करार में विभाग ने 60 प्रतिशत राशि शुरुआत में ही देने पर सहमति जता दी है। इतना ही नहीं किसी अन्य संस्था को अवसर दिए बिना दीपक फाउंडेशन से करार किया।

आदिवासी क्षेत्र में समाजसेवा कर रही शमारुख मेहरा धारा का कहना है राज्य में आशा कार्यकर्ता को प्रशिक्षण देने वाली संस्था से करार हुआ तो विभाग ने सुरक्षा निधि जमा कराई थी, मगर दीपक फाउंडेशन से सुरक्षा निधि जमा कराना तो दूर इसके उलट उसे साठ फीसदी राशि अग्रिम दी जा रही है। इसके साथ करार में यह भी खुलासा नहीं किया गया है कि फाउंडेशन को कितनी राशि दी जाएगी और फाउंडेशन कितनी राशि खर्च करेगा।

इस करार में नियमों की अवहेलना और एक खास संस्था के प्रति लगाव को लेकर लगाए गए आरोपों को लेकर स्वास्थ्य विभाग का पक्ष जानने के लिए विभाग की प्रमुख सचिव गौरी सिंह से संपर्क किया गया, मगर वे उपलब्ध नहीं हुईं।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बीते चार वर्षों के आंकड़ों के आधार पर बताया है कि राज्य की मातृ मृत्युदर 310 प्रति लाख से घटकर 227 प्रति लाख रह गई है और शिशु मृत्युदर 68 से 62 प्रति लाख है।

वहीं राज्य के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन को बेहतर कार्य के लिए वर्ष 2014-15 मंे केंद्र सरकार की ओर से पुरस्कृत किया गया है। ऐसे में शिशु और मातृ मृत्युदर कम करने के लिए किसी संस्था से समझौता करने पर सवाल उठना लाजिमी है।

अन्य राज्य

हेयर ड्रायर चालू करते ही ब्लास्ट, महिला का दोनों हाथ बुरी तरह घायल

Published

on

Loading

बागलकोट। कर्नाटक के बागलकोट जिले से एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जहां एक हेयर ड्रायर के धमाके में एक महिला के हाथों की हथेलियां और उंगलियां बुरी तरह से घायल हो गईं। यह हादसा इल्कल शहर में हुआ, जहां मृतक सैनिक की पत्नी ने अपने पड़ोसी का कूरियर पार्सल लिया था। जब महिला ने हेयर ड्रायर को चालू किया, तो वह धमाके से फट गया और महिला की दोनों हाथों की गंभीर चोटें आईं। महिला को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों को मजबूरी में उसके हाथ काटने पड़े।

हेयर ड्रायर में धमका, महिला की उड़ी उंगलियां

बता दें कि इस घटना के बाद महिला को इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना 15 नवंबर की है, जिसकी जानकारी बुधवार को सामने आई। पुलिस सूत्रों ने कहा कि घायल महिला की पहचान 37 वर्षीय बसवराजेश्वरी यरनाल के रूप में हुई है, जो पूर्व सैन्यकर्मी पापन्ना यरनाल की पत्नी थी। जिनकी 2017 में जम्मू और कश्मीर में मौत हो गई थी। जांच अधिकारियों के मुताबिक, विस्फोट बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुआ था। हेयर ड्रायर जैसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए 2 वॉट के विद्युत कनेक्शन की आवश्यकता होती है। जिस स्विच में हेयर ड्रायर को डाला गया, तो उसकी क्षमता इतनी अधिक नहीं थी, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। विस्फोट की आवाज सुनकर कुछ पड़ोसी दौड़े और उन्होंने बसवराजेश्वरी की हथेलियां और उंगलियां कटी हुई पाईं। उन्हें तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में ले जाया गया। हालांकि शशिकला ने दावा किया कि उन्होंने ऑनलाइन कोई उत्पाद नहीं मंगवाया था

Continue Reading

Trending