बिजनेस
मर्सिडीज-बेंज ने लांच की ‘नई जीएलए’ एसयूवी
मुंबई, 5 जुलाई (आईएएनएस)| लग्जरी कार निर्माता कंपनी मर्सिडीज-बेंज इंडिया ने बुधवार को लग्जुरियस कॉम्पैक्ट एसयूवी ‘नई जीएलए’ को लांच किया। इसके साथ ही कंपनी ने अपने एसयूवी सेगमेंट को और मजबूत कर लिया है। नई जीएलए और भी अधिक दमदार रंग-रूप और नए फीचर्स के साथ उतारी गई है। मर्सिडीज-बेंज इंडिया के उपाध्यक्ष (सेल्स एवं मार्केटिंग) माइकल जॉप्प ने कहा, अपने लॉन्च के समय से ही जीएलए ने ढेरों दिल जीते हैं और हमारे पोर्टफोलियो में एक महत्वपूर्ण उत्पाद बनी हुई है। जीएलए अर्बन एसयूवी की एक शानदार मिसाल है। नई जीएलए के लांच के साथ, हमें पक्का भरोसा है कि हम उन ग्राहकों की पहली पसंद बने रहेंगे, जो स्पोर्टी डिजाइन, सर्वोत्तम इंटीरियर्स के साथ श्रेणी में अग्रणी प्रदर्शन और बगैर समझौते के सुरक्षा फीचर्स की ख्वाहिश रखते हैं।
उन्होंने कहा कि सबसे सुरक्षित कारें बनाने की मर्सिडीज-बेंज परंपरा के अनुरूप, जीएलए ने यूरो एनसीएपी की सुरक्षा रेटिंग्स में अधिकतम 5 सितारे हासिल किए हैं। जीएलए इस सेगमेंट में अधिकतम छह एयरबैग्स की पेशकश करती है। टक्कर के दौरान, एयरबैग्स ड्राइवर और सामने बैठे यात्री के सिर और धड़ के बचाव में मददगार होते हैं। इसके अलावा वे पूरे शरीर को स्थिर करते हैं। यह किसी दुर्घटना में गंभीर चोटों के जोखिम को कम कर सकता है।
बिजनेस
जेट एयरवेज की संपत्तियों की होगी बिक्री
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के आदेश को रद्द करते हुए दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार निष्क्रिय जेट एयरवेज के परिसमापन का आदेश दिया। एनसीएलएटी ने पहले कॉरपोरेट दिवालियापन समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) के हिस्से के रूप में जालान कालरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को एयरलाइन के स्वामित्व के हस्तांतरण को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि जेकेसी संकल्प का पालन करने में विफल रहा क्योंकि वह 150 करोड़ रुपये देने में विफल रहा, जो श्रमिकों के बकाया और अन्य आवश्यक लागतों के बीच हवाई अड्डे के बकाया को चुकाने के लिए 350 करोड़ रुपये की पहली राशि थी। नवीनतम निर्णय एयरलाइन के खुद को पुनर्जीवित करने के संघर्ष के अंत का प्रतीक है।
NCLT को लगाई फटकार
पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति पारदीवाला ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ एसबीआई तथा अन्य ऋणदाताओं की याचिका को स्वीकार कर लिया। याचिका में जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखने के फैसले का विरोध किया गया है। न्यायालय ने कहा कि विमानन कंपनी का परिसमापन लेनदारों, श्रमिकों और अन्य हितधारकों के हित में है। परिसमापन की प्रक्रिया में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर प्राप्त धन से ऋणों का भुगतान किया जाता है। पीठ ने एनसीएलएटी को, उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई।
शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल किया, जो उसे अपने समक्ष लंबित किसी भी मामले या मामले में पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए आदेश तथा डिक्री जारी करने का अधिकार देता है। एनसीएलएटी ने बंद हो चुकी विमानन कंपनी की समाधान योजना को 12 मार्च को बरकरार रखा था और इसके स्वामित्व को जेकेसी को हस्तांतरित करने की मंजूरी दी थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और जेसी फ्लावर्स एसेट रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ अदालत का रुख किया था।
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