Connect with us
https://aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

महोली : उप्र का छोटा-सा कस्बा सद्भावना की मिसाल

Published

on

Loading

महोली (उत्तर प्रदेश), 8 अप्रैल (आईएएनएस)| देश के कई हिस्सों में सांप्रदायिक व जातीय हिंसा के कारण धर्म और जाति के आधार पर बढ़ते सामाजिक ध्रुवीकरण के बीच उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा कस्बा भी है, जहां मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे ने आपसी मेल और सद्भाव की अनोखी मिसाल पेश की है।

यहां दूषित नदी की सफाई के काम में मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे के सहयोग से तीनों धार्मिक समुदायों के लोग एकजुट हुए हैं।

प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 100 किलोमीटर दूर सीतापुर जिले के महोली कस्बे में प्राचीन शिव और राधा-कृष्ण मंदिर है, जिसके साथ ही प्रज्ञान सत्संग आश्रम है। यहां से कुछ ही दूरी पर एक मस्जिद है। इस धार्मिक समागम परिसर से गुजरती है कथिना नदी, जो आगे चलकर अतिशय दूषित गोमती नदी में मिलती है। गोमती पतित पावनी मगर आज दूषित हो चुकी गंगा की सहायक नदी है।

दर्जनों गांवों के लोगों व वहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए कूड़ेदान बन चुकी कथिना नदी से आने वाली बदबू रोज-रोज बढ़ती ही जा रही थी। इसका एक मात्र समाधान था गंगा-जमुनी तहजीब।

प्रज्ञान सत्संग आश्रम के प्रमुख स्वामी विज्ञानंद सरस्वती कहते हैं, नदी पर सबका अधिकार है। हिंदू नदी जल का उपयोग आचमन के लिए करते हैं तो मुस्लिम वजू के लिए। मगर जागरूकता के अभाव में लोग यहां कूड़ा डाल रहे थे और खुले में शौच भी कर रहे थे। स्थिति बदतर बनती जा रही थी। हम खुद सफाई शुरू करें, यही एकमात्र समाधान था। सरस्वती मस्जिद प्रबंधक समिति के प्रमुख मुहम्मद हनीफ के साथ नदी का निरीक्षण करते हैं।

स्वामी ने बताया कि एक बार जब आश्रम और मंदिर प्रशासन के कार्यकर्ताओं ने सफाई अभियान शुरू किया तो मस्जिद के लोग भी उनकी मदद के लिए आ गए। महोली सिख गुरुद्वारा कमेटी भी आगे आई और अपने साथ सिख समुदाय के कई कार्यकर्ताओं को लाई।

स्वामी ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, समुदायों की एकजुटता के साथ ही कार्यकर्ताओं की तादाद में बढ़ोतरी हो गई। इस पहल ने अब पर्यावरण-आंदोलन का रूप ले लिया है, जोकि धार्मिक भावना से प्रेरित है। हमारे प्रयासों को देखकर स्थानीय प्रशासन ने भी मदद का प्रस्ताव दिया। साथ ही, व्यापारियों के समूह और सिख गुरुद्वारा कमेटी ने भी नदी की सफाई में हाथ बंटाया है।

सिख गुरुद्वारा कमेटी के सदस्य उजागर सिंह ने नदी की सफाई को ‘सेवा’ का काम बताया है। जाहिर है कि सिख धर्म में सामुदयिक सेवा का विशेष महत्व है।

उन्होंने कहा, नदी को स्वच्छ रखना हमारा कर्तव्य है और हम इसके लिए अपनी सेवा जारी रखेंगे।

कस्बे के थाने के पास स्थित मंदिर और मस्जिद दोनों का निर्माण आरक्षी निरीक्षक (पुलिस इंस्पेक्टर) जयकरण सिंह ने करवाया था। यहां तभी से सामुदायिक मेल-मिलाप व उत्साह का सिलसिला चला आ रहा है। नमाज के दौरान आश्रम का लाउडस्पीकर बंद हो जाता है और मंदिर में त्योहारों व विशेष आयोजनों पर मस्जिद कमेटी मंदिर में व्यवस्था कार्य में हाथ बंटाती है।

कार्यकर्ताओं ने बताया कि हिंदू-मुस्लिम संयुक्त दल ने मार्च 2014 में नदी सफाई अभियान शुरू किया और महज तीन दिनों में नदी के सामने पड़ी गंदगी की सफाई कर दी गई।

मुहम्मद हनीफ ने आईएनएस को बताया, कई गांवों में शौचालय नहीं हैं, इसलिए लोगों को गंदगी फेंकने से रोकने के लिए कार्यकर्ताओं को यहां दिन-रात रहना पड़ता है। काम का विभाजन किया गया है। मुस्लिम कार्यकर्ताओं को मुस्लिम बहुल इलाकों में और हिंदू कार्यकर्ताओं को अन्य इलाकों में लोगों को गंदगी फैलाने से मना करने के लिए तैनात किया गया है।

मार्च 2017 में करीब 400 कार्यकर्ताओं ने मिलकर नदी के पानी की सफाई की, जबकि तटों की सफाई के कार्य में 700 कार्यकर्ता जुटे थे।

नदी से प्लास्टिक, पॉलीथिन, जूते, रबर, जानवरों के कंकाल, शीशे और मिट्टी के बर्तन व पुरानी नावों के कई ट्रॉली मलबे निकाले गए थे।

महोली कस्बे के स्थानीय निकाय के कार्यकारी अधिकारी सर्वेश शुक्ला ने आईएएनएस को बताया, नदी से कई ट्रॉली फूलदार जलीय पौधा, हायसिंथ निकाला गया। इन पौधों से नदी में पानी के बहाव में रुकावटें आती थीं।

शुक्ला ने कहा कि लोगों की एकजुटता के बिना ऐसा अभियान चलाना संभव नहीं है। मंदिर-मस्जिद के तालमेल से लोगों को सहयोग करने के लिए तैयार करना आसान हो गया।

हालांकि छोटे से कस्बे में कचरा प्रबंधन की व्यवस्था खराब होने के कारण स्वामी और हनीफ को प्रशासन की मदद की जरूरत महसूस हुई।

उचित प्रबंधन के बगैर लोगों को नदी में कचरा डालने से रोकने में भविष्य की चुनौतियों के बारे में हनीफ ने कहा, हाल ही में कुछ कसाई कचरा लेकर नदी की ओर जा रहे थे। हमने उनको रोका, जिसपर उनके साथ गरमागरमी हो गई। इतने में समुदाय के बुजुर्ग भी आ गए और हमने उनको नदी में कचरा डालने नहीं दिया।

स्वामी ने कहा कि सफाई अभियान के दूसरे चरण में उनको नदी से गाद निकालने वाली मशीन की जरूरत होगी।

मस्जिद कमेटी के अब्दुल रऊफ ने कहा कि अभी महज आधा काम हो पाया है।

रऊफ ने कहा, स्वच्छता बनाए रखने की चुनौती है। हम नदी के सिर्फ छोटे-से दायरे को साफ कर सकते हैं। एक बार हमारे बड़ भाई स्वामीजी से निर्देश मिलने के बाद हम दोबारा जुटेंगे और दूसरे चरण का सफाई अभियान चलाएंगे।

करीब एक किलोमीटर के दायरे में नदी की सफाई की गई है। आगे दूसरे किलोमीटर की सफाई का लक्ष्य है।

चाहे नदी की बात हो या सांप्रदायिक सद्भाव की, महोली के निवासियों की चुनौती भलाई के काम में निरंतर जुटे रहने की है।

स्थानीय निवासी और मंदिर कमेटी के सदस्य शैलेंद्र मिश्र ने कहा, असामाजिक तत्व हर जगह हैं। कुछ सप्ताह पहले, बाहरी संगठन विश्व हिंदू जागरण परिषद के लोग मुस्लिम बहुल इलाके में आए और बदसलूकी करने लगे। इतने में इलाके के हिंदू समुदाय के लोग उनके प्रतिरोध में खड़े हो गए। उसके बाद वह समूह दोबारा नहीं आया।

पिछले साल सितंबर में दुर्गापूजा के दौरान प्रतिमा विसर्जन और मुहर्रम एक ही दिन होने पर मिश्र और हनीफ के बेटे मुहम्मद रिजवान ने सांप्रदायिक एकता बनाए रखने के लिए मोर्चा संभाला था।

हनीफ ने बताया, हमें दोनों समुदायों के शरारती लोगों को दूर रखना था। शक्ति की देवी दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन में करीब 5,000 हिंदू समुदाय के लोग शामिल हुए थे, जबकि मुस्लिमों के ताजिया जुलूस में समुदाय के 2,000 लोग शामिल थे। दोनों जुलूस एक ही समय एक ही रास्ते से गए थे, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी।

(यह साप्ताहिक फीचर श्रंखला आईएएनएस और फ्रैंक इस्लाम फाउंडेश की सकारात्मक पत्रकारिता का हिस्सा है।)

Continue Reading

मुख्य समाचार

महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात

Published

on

Loading

महाकुम्भनगर|  महाकुम्भ में पहली बार चप्पे चप्पे पर नजर रखने के लिए हवा में टीथर्ड ड्रोन तैनात किया गया है। हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की क्षमता वाले इस हाई सिक्योरिटी टीथर्ड ड्रोन की नजर से किसी का भी बच पाना नामुमकिन है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए यह अत्याधुनिक उपकरण महाकुम्भनगर में लगाया गया है। महाकुम्भनगर के एसएसपी ने इसकी निगरानी के लिए एक एक्सपर्ट टीम तैनात कर दी है।

हर गतिविधि होगी कैप्चर

महाकुम्भनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजेश द्विवेदी ने इसे सेकेंडों में अलर्ट मोड में आ जाने वाला नायाब उपकरण बताया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि इस बार के महाकुम्भ को अविस्मरणीय बनाया जाए, जिसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को हाईटेक किया जा रहा है। इस टीथर्ड ड्रोन में हाई रिजॉल्यूशन इमेज, वीडियो और सेंसर डेटा एकत्र करने की अद्भुत क्षमता है। डेटा ट्रांसमिशन के लिए यह बेहद सुरक्षित है और ऊंचाई से महाकुम्भनगर की हर छोटी-बड़ी गतिविधियां कैप्चर करने में इसे महारत हासिल है।

महाकुम्भ पुलिस की तीसरी आंख से बच पाना नामुमकिन

महाकुम्भनगर की पुलिस के लिए टीथर्ड ड्रोन तीसरी आंख का काम कर रहा है। इससे बच पाना किसी के लिए भी नामुमकिन है। इसके जरिए संगम तट के अलावा अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले घाटों और प्रमुख स्थलों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके अलावा मंदिरों और अन्य प्रमुख स्थलों पर नजर रखने के लिए हाई रिजॉल्यूशन कैमरे से लैस इस उपकरण को तैनात कर दिया गया है, जो पलक झपकते ही श्रद्धालुओं से संबंधित अलर्ट अफसरों को जारी कर रहे हैं।

एआई लाइसेंस युक्त कैमरे के साथ पुलिस अफसर मुस्तैद

महाकुम्भ के दौरान पुलिस पूरे मेला क्षेत्र में 2750 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही है। इसमें आधे से ज्यादा एआई लाइसेंस युक्त कैमरे भी शामिल हैं। एसएसपी महाकुम्भनगर राजेश द्विवेदी के अनुसार, इस बार महाकुम्भनगर में 45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। ऐसे में सीएम योगी की मंशा के अनुरूप सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद बनाए रखने और किसी तरह की कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए हर अधिकारी मुस्तैदी से कार्य कर रहा है।

ये है टीथर्ड ड्रोन

महाकुम्भनगर की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इस बार टीथर्ड ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये एक विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं। इन कैमरों को एक बड़े बलून के सहारे रस्सी से बांधकर एक निश्चित ऊंचाई पर तैनात किया जाता है। महाकुम्भनगर में इन्हें ऊंचे टॉवर्स पर इंस्टॉल किया जा रहा है। यहीं से ये पूरे मेला क्षेत्र में नजर रख रहे हैं। इन्हें बार-बार उतारना भी नहीं पड़ेगा और ये पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी पैनी नजर से निगरानी कर सकने में सक्षम हैं।

बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम

टीथर्ड ड्रोन की मदद से कंट्रोल रूम को मेला क्षेत्र की हर एक महत्वपूर्ण फुटेज प्राप्त हो सकेगी। इसके माध्यम से अत्यधिक भीड़ भाड़ वाले स्थानों को चिह्नित कर वहां तत्काल पुलिस का प्रबंध किया जा सकता है। वहीं किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि पर भी नजर रखी जा सकती है। हाई रिजॉल्यूशन के कारण ये कैमरे बहुत दूर तक देख पाने में सक्षम हैं।

Continue Reading

Trending